ओडिशा की चांदनी ने घास से बनाई Eco Friendly पैकेंजिग, साथ ही महिलाओं को दिया रोजगार!
चांदनी के Eco Friendly पैकेंजिग स्टॉर्टअप में 500 कारीगर काम कर रहे है
हम अक्सर अपने घर पर पर्यावरण को बचाने की बात करते हैं। लेकिन इस पर सही से अमल नहीं कर पाते हैं। घर से बाहर जब भी सब्जी के लिए निकलते हैं, तो थैला लेना भूल जाते है और प्लास्टिक का पूरा पिटरा घर सब्जी के साथ लेकर आते हैं। ऐसा ही कुछ हाल ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान भी होता है। हम हमेशा Eco Friendly चीजों की बात करते हैं और खरीदते भी हैं। लेकिन ये सारी चीजें भी प्लास्टिक में ही पैक होकर आती है। समान का हम यूज करते और प्लास्टिक को बाहर फेंक देते हैं। जहां वह पर्यावरण का अच्छा खासा नुकसान पहुंचाती हैं। आजकल लगातार जलवायु परिवर्तन की बात होती है। समुद्रों के किनारों पर प्लास्टिक की बोतलों से लेकर प्लास्टिक की भरमार पड़ी मिलती है। कई सार्क इन प्लास्टिक को खाकर मर रहे हैं। प्लास्टिक के आंकडों की बात करें तो हर साल दुनियाभर में 500 अरब प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल होता है। गौर करने वाली बात यह है कि यह प्लास्टिक न तो जल्दी सड़ती है और नही नष्ट होती है। यह 500 से 700 सालों बाद नष्ट होना शुरु होती है।
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ओडिशा की चांदनी ने इको फ्रेंडली स्मॉल स्टॉर्टअप की शुरुआत की
इस समस्या को कम करने के लिए ओडिशा की एक युवती ने एक स्मॉल स्टार्टअप शुरु किया है। जिससे सिर्फ व खुद नहीं बल्कि लोगों को भी काम दे रही है। ओडिशा की 26 वर्षीय चांदनी खंडेलवाल ने’सस्टेनेबल पैकेजिंग’ के लिए ‘Ecoloop’ नाम का एक स्टार्टअप शुरु किया है। जिसमें उसने Eco Friendly पैकेजिंग की शुरुआत की है। जिसमें बांस से पैकिंग पैकेड बनाए जाते हैं। जिसकी शुरुआत चांदनी ने जनवरी 2021 में की थी। इसमें वह कई हस्त कारीगरों को नई उम्मीद के साथ-साथ महिलाओं को सशक्त करने का भी काम कर रही है। चांदनी को इस काम की प्रेरणा अपनी मां से मिली है।
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एक हिंदी वेबसाइट को दिए एक इंटरव्यूय के दौरान चांदनी ने बताया कि 10 वीं बाद ही उनकी मां ने उनका एडमिशन ओडिशा के बारीपाद के आर्ट कॉलेज में करवा दिया था। यही से चांदनी ने कला को परखा। चांदनी बताती है कि बचपन से ही उन्होंने देखा कि उनकी मां किसी भी समान को फेंकती नहीं थी ब्लकि उनका रीसाइकल करके इस्तेमाल करते थी। यही से मेरे पास रीसाइकल का आइडिया आया। इसी विषय के आधार पर चांदनी ने भुवनेश्वर NIIT में एडमिशन पाया। इसके बाद कॉलेज के आखिरी साल में अहमदाबाद के मशहूर ‘राइजोम’ फर्म के साथ इंटर्नशिप करने का मौका मिला। इस इंटर्नशिप के दौरान चांदनी ने राइजोम के एक ब्रांड के लिए सस्टेनेबल पैकेजिंग डिजाइन की। जिसके लिए उन्होंने रेलवे द्वारा इस्तेमाल किए गए पुराने कार्डबोर्ड, फ्लेक्स शीट आदि को इस्तेमाल किया।
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चांदनी की इस पैकेजिंग की बहुत सराहना हुई । इस सराहना के बाद से ही चांदनी ने यह निश्चित कर लिया कि वह सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली पैकेजिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी। इसके बाद चांदनी ने गुजरात से वापस आने के बाद ओडिश रुरल डेवलमेंट और मार्केटिंग सोसाइटी के साथ काम करना शुरु कर दिया। यहां काम करते हुए चांदनी ने गांव के कारीगरों से संपर्क किया। उनके हुनर को नई दिशा देते हुए Ecoloop नाम से शुरु किये स्टार्टअप में अपने साथ काम पर रखा। और कई लोगों से संपर्क कर अपने काम को आगे बढ़ाया। आज इस कंपनी में लगभग 500 कारीगर काम करते हैं।
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सबाई घास, बांस का प्रयोग कर Eco Friendly पैकेजिंग
चांदनी के इस स्टार्टअप में अभी तक 20 उत्पादों के लिए पैकेजिंग की जाती है। जिसमें रॉ प्राकृतिक चीजों के तौर पर बांस, सबाई घास और ताड के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। चांदनी बताती है कि संबाई घास एक जंगली घास है जो आसानी से यहां मिल जाता है। ओडिशा में पहले से ही इस घास द्वारा टोकरी, डिब्बे, चटाई बनाई जाती है।
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जैसा कि हम देख सकते हैं कि यह सारी चीजें प्लास्टिक की भी मार्केट में उपललब्ध है। लेकिन इनके खराब हो जाने पर हम लोग इसे फेंक देते हैं। जो हमारी प्राकृतिक को नुकसान पहुंचाती है। लेकिन प्राकृतिक चीजें से बनी चीजें प्राकृति के अनुकूल होती है। जिससे हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। साथ ही कारीगारों को भी पहचाना के साथ काम मिल रहा है। प्रकृति के अनुकूल होने के कारण थोड़े महंगे होते हैं। जिसके कारण इस तरह के उत्पाद बड़े स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाते हैं। साथ ही मार्केटिंग की कमी बनी हुई है।
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