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Virat Kholi: विंटेज कोहली की वापसी! रांची की पिच पर छाया किंग का पुराना तेवर

Virat Kholi, भारतीय क्रिकेट में “विराट कोहली इफेक्ट” एक बार फिर जोरदार तरीके से देखने को मिला है। जहां अंग्रेज़ी क्रिकेट की प्रतिष्ठित ऐशेज सीरीज दुनिया का ध्यान खींच रही है,

Virat Kholi : रन-मशीन मोड ON, रांची में विराट ने दिखाया 2016 वाला रौब

Virat Kholi, भारतीय क्रिकेट में “विराट कोहली इफेक्ट” एक बार फिर जोरदार तरीके से देखने को मिला है। जहां अंग्रेज़ी क्रिकेट की प्रतिष्ठित ऐशेज सीरीज दुनिया का ध्यान खींच रही है, वहीं शुक्रवार को पोर्ट-ऑफ-स्पेन, त्रिनिदाद में कोहली की करिश्माई पारी ने उसकी चमक को क्षणभर के लिए फीका कर दिया। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के 500वें मैच में कोहली ने यादगार शतक जड़कर यह साबित किया कि किंग की भूख, जुनून और क्लास कभी खत्म नहीं होते।

500वें मैच में शतक—एक ऐतिहासिक माइलस्टोन

कोहली का शतक सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि इतिहास का दस्तावेज़ है। यह उनका 29वां टेस्ट शतक था, और इसके साथ ही उन्होंने महान सर डॉन ब्रैडमैन के टेस्ट शतकों की संख्या की बराबरी कर ली। सभी फॉर्मेट में कुल मिलाकर यह उनके करियर का 76वां अंतरराष्ट्रीय शतक है, जो बताता है कि यह खिलाड़ी सिर्फ रन नहीं बनाता, बल्कि हर पारी किसी अध्याय की तरह याद रहती है।

1021 दिनों का सूखा और फिर शानदार वापसी

यह उपलब्धि और भी खास इसलिए है क्योंकि पिछले साल उन्होंने 1021 दिनों के लंबे इंतजार के बाद शतक लगाया था। अफगानिस्तान के खिलाफ एशिया कप में उस शतक से लौटने के बाद कोहली ने अपनी फॉर्म को जिस तरह बनाए रखा है, वह प्रेरणादायक है। उस वापसी के बाद से वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में छह शतक जड़ चुके हैं। वहीं आईपीएल के पिछले सीजन में उन्होंने तीन धुआंधार शतक लगाकर फिर दिखा दिया कि दबाव जितना बढ़ेगा, उनका खेल उतना निखरेगा।

4. क्या कोहली फिर बने ‘2016-17’ वाले सुपरस्टार?

फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञों के बीच यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि क्या कोहली वास्तव में समय को पीछे ले जाकर खुद को फिर से 2016-17 वाले अविश्वसनीय फॉर्म में ला चुके हैं? वह दौर जब उनकी हर पारी क्लासिक होती थी और हर फैसला सटीक। भले इसे कहना साहस की बात लगे, पर इतना तो निश्चित है कि कोहली आज उसी आत्मविश्वास और उसी दृढ़ता के साथ बल्लेबाजी कर रहे हैं।

5. उम्र, अनुभव और बदलता नज़रिया

महान बल्लेबाज जैसे-जैसे उम्रदराज़ होते हैं, दर्शकों का नजरिया और अपेक्षाएँ भी बदलती हैं। लेकिन कोहली की खासियत है कि उन्होंने परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाला, अपने खेल की कमजोरियों को समझा और उन पर विजय प्राप्त की। उन्होंने अपने कौशल को इतना निखारा कि वे फिर उसी स्तर पर लौट आए हैं जहां वे लगातार टीम के लिए महत्वपूर्ण और निर्णायक रन बना पा रहे हैं।

संघर्ष और मानसिक थकान की कोहली कहानी

उतार-चढ़ाव के दौर की चर्चा कोहली ने खुद एक इंटरव्यू में की थी। पिछले आईपीएल सीजन के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि एक समय ऐसा आया जब उन्हें लगा कि शायद उनका क्रिकेट सफर अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। लगातार आलोचना और शतक की कमी ने उन्हें मानसिक रूप से चुनौती दी। इसी कारण उन्होंने 2022 एशिया कप से पहले काफी लंबा ब्रेक लिया था।

7. तकनीक नहीं, मानसिक थकान थी असली समस्या

कोहली ने खुलकर बताया था कि उनका संघर्ष तकनीकी नहीं था। उनके शब्द थे, “तकनीकी दिक्कत होने का सवाल ही नहीं था। यह खेल मैं पिछले 15 सालों से खेल रहा हूं। असल समस्या मानसिक और भावनात्मक थकान थी, जो मेरी लय को प्रभावित कर रही थी।” उन्होंने यह भी बताया कि इस लंबे ब्रेक के दौरान उन्होंने करीब छह सप्ताह तक बल्ला तक नहीं उठाया, ताकि मन को पूरी तरह से रीसेट कर सकें।

ब्रेक के बाद नई ऊर्जा और पुराना क्लास

ब्रेक के बाद जब कोहली फिर से नेट्स में उतरे, तो उनकी बल्लेबाजी में वही चमक लौट आई। लोग मानने लगे कि उन्होंने तकनीक में बड़ा बदलाव किया है, पर वे साफ बताते हैं कि ऐसा नहीं था। यह बदलाव तकनीकी नहीं बल्कि मानसिक स्पष्टता, ताजगी और ऊर्जा का नतीजा था, जिसने उनके खेल को फिर से जीवंत कर दिया।

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संघर्ष से चरम तक: एक प्रेरक यात्रा

500वें मैच में जड़ा उनका शतक केवल एक संख्या नहीं, बल्कि उस पूरी यात्रा का प्रतीक है जिसमें उन्होंने आत्मविश्वास खोया भी, फिर पाया भी। दबाव से जूझते हुए, आलोचना झेलते हुए और अंततः खुद को फिर से साबित करते हुए कोहली आज फिर वहीं खड़े हैं जहां से उन्होंने दुनिया को बताया था कि वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक युग हैं।

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विराट कोहली इफेक्ट: भारतीय क्रिकेट की पहचान

आज जब कोहली फिर पुराने रंग में दिख रहे हैं, तो स्पष्ट है कि “विराट कोहली इफेक्ट” सिर्फ उनकी फॉर्म का नाम नहीं—यह भारतीय क्रिकेट की आत्मा है। उनकी दृढ़ता, अनुशासन और दमदार प्रदर्शन नई पीढ़ी के क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा है।

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