Chandrayaan-3: क्या चंद्रयान-3 की होगी धरती पर वापसी?
चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुँचने वाला पहला देश बना भारत। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान के एक्सपेरिमेंट शुरू। 14 दिन बाद हो जायेगा निष्क्रिय ।
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की पृथ्वी पर वापसी पर उठ रहे सवाल, इसरों ने दी जानकारी
Chandrayaan-3: 23 अगस्त 2023 को भारत के ईसरो ने चाँद की दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करा कर इतिहास रच दिया है।चाँद की साउथ पोल पर लैंड करना वाला पहला देश बना है भारत। लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान अब चांद की सतह पर चहल कदमी कर रहा है। इसरो और वैज्ञानिकों ने लैंडिंग के पहले के 20 मिनट को ‘ मिनट्स ऑफ टेरर ‘ बताया था।
इसरो ने गुरुवार को अपने X पर एक 2 मिनट 17 सेकेंड का वीडियो शेयर किया । जिस पर इसरो ने लिखा, “लैंडर इमेजर कैमरे ने टचडाउन से ठीक पहले चंद्रमा की इमेज कैप्चर की।” इमेजर कैमरे से हाई-रिज़ॉल्यूशन वीडियो में चंद्रमा की गड्ढों से भरी खूबसूरत सतह दिखाई देती है। जैसे-जैसे लैंडर नीचे जाता है, वैसे-वैसे चांद की सतह ज्यादा बड़ी व स्पष्ट नजर आने लगती है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग चार स्टेप्स में की गई थी – रफ ब्रेकिंग, एल्टीट्यूड होल्ड, फाइन ब्रेकिंग और वर्टिकल डिसेंट। ये सभी बिल्कुल सही तरीके से हुए थे।
चंद्रयान मिशन की लाइफ एक चंद्र दिवस(लूनर डे)है। चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है, आसान शब्दों में बताये तो लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 14 दिन तक चांद के साउथ पोल पर अहम जानकरियाँ इकठ्ठा करेंगे। हालांकि रोवर नें वहा तय एक्सपेरिमेंट करने शुरू कर दिये है। 14 दिन का ही समय इसलिए है क्यों कि 14 दिन बाद वहां अंधेरा हो जाएगा ।चूंकि, विक्रम और प्रज्ञान केवल धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद इनएक्टिव हो जाएंगे। दरअसल सूरज डूबने के बाद, वहा अंधेरा हो जाता है और तापमान करीब -180 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। ऐसे में कोई भी सिस्टम एक्टिव नहीं रह सकता है।
लैंडर और रोवर को 14 दिनों तक चलने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर फिर से सूरज की रौशनी आने विक्रम और प्रज्ञान के वापस एक्टिव होने की संभावना जताई है।
इन सारी बातों को ध्यान रखते हुए एक मुख्य सवाल यह उठता है कि क्या चंद्रयान-3 की धरती पर अब वापसी होगी?
चंद्रयान-3 की वापसी किसी भी हाल में पृथ्वी पर वापस नहीं आयेगा। वो चंद्रमा पर ही रहेंगे। चंद्रमा के साउथ पोल का वातावरण काफी अलग है,वह हिस्सा पृथ्वी से भी नहीं दिखता। ऐसा माना जाता है कि इसके आसपास के इलाकों में हमेशा छाया रहती है, जिस से यह आशा है कि वहाँ पानी मिल सकता है।
इस समय प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर मौजूद रासायनिक तत्वों की पहचान कर रहा है। और चांद की मिट्टी और चट्टानों में रासायनिक यौगिकों का पता लगाएगा।एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन जैसे तत्वों की खोज करेगा।कैल्शियम और टाइटेनियम की तलाश करेगा।इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर तापीय गुणों का अध्ययन करेगा।
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