पश्चिमी घाट पर मेंढकों की 2 नई टरटराती प्रजातियाँ
प्रोफ़ेस्सेर सत्यभामा दास बीजू ने की मेंढकों की 2 ओर प्रजाति की खोज
प्रफ़ेसर सत्यभामा दास बीजू जो स्थल-जलचर जीव विज्ञानी हैं जिन्हें “फ़्रॉगमैन ऑफ इंडिया” की उपाधि दी गयी है, उन्होंने मेंढकों की 2 नई प्रजाति की खोज की है। इसी के साथ उनकी 80 खोज पूरी हो चुकी हैं। इनकी सबसे पहली खोज साल 2003 में सभी के सामने आई। इनकी सबसे नई खोज केरल और कर्नाटक में की गयी। जो प्रजाति केरल में पायी गई उसे रॉकी टेरैन लीपिंग फ़्रॉग (indirana paramakri) नाम दिआ गया और कर्नाटक में मिली प्रजाति को भद्रा लीपिंग फ़्रॉग (indirana bhadrai) नाम दिआ गया।
पश्चिमी घाट हमेशा से ही स्थल-जलचर जीवों का संग्रह रहा है। 2014 में प्रफ़ेसर सत्यभामा दास बीजू और उनके साथियों ने यहीं पर 7 प्रजातियों की खोज की थी। 2012 में प्रफ़ेसर एस.डी.बीजू और उनके साथियों ने यहीं पर बिना पैर वाले उभयचरों की खोज की थी जिन्हें सिसेलियन (caecillians) नाम दिआ गया।
Indirana paramakri प्रजाति के मेंढक वयनाड ज़िले के सेट्टूकनु और सुगंधागिरी वन में नदी की धाराओं के पास पड़े गीले पत्थरों पर पाए गए। इन्हें इनके लाल-भूरे रंग और काली धारी से पहचाना जा सकता है। indirana bhadrai का नाम यह इसलिए है क्योंकि यह भद्राई वन्यजीव अभ्यारण्य में पाए गये। इनका रंग हल्के भूरा होता है और उस पर गहरे भूरे रंग के धब्बे होते हैं।
मेंढकों की ये दोनो प्रजाति ranixalidae परिवार की हैं जो मेंढकों के सबसे पुराने 3 परिवारों में से एक है। इस परिवार की आधी से ज़्यादा प्रजातियाँ जिन्हें पहचाना जा सकता है उनकी खोज पिछले 3 सालों में की गयी है। अब इस परिवार के नए सदस्यों की भी खोज की जा चुकी है।
यह खोज ना केवल प्रफ़ेसर सत्यभामा दास बीजू के लिए एक उपलब्धि है बल्कि यह हमारे देश के लिए भी उपलब्धि है की आज भी हमारे देश में स्थल-जलचर या उभयचर जीव लुप्त नही हुए है और इतनी संख्या में हमारे देश के पश्चिमी घाटों में पाए जाते है।