जानें क्यों भगवान कृष्ण मोर पंख पहनते थे
कई कहानी है इस बारे में
भगवान कृष्ण का नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहले अगर कोई बात आती है तो वह है उनका ऋंगार। कृष्ण भगवान को ऋंगार बहुत पसंद था। आज भी जब भी हम भगवान कृष्ण की कोई फोटो देखते है तो वह पूरी तरह से ऋंगार किए हुए होते हैं। उनके ऋंगार में सबसे प्रमुख से अगर कोई चीज देखी जाती है वह हैं उनके सिर पर मोर का पंख।
तो चलिए आज आपको बताते है भगवान कृष्ण क्यों मोर के पंख का प्रयोग करते थे।
सात रंग
मोरपंख में सभी तरह के रंग पाए जाते हैं गहरे और हल्के। भगवान कृष्ण मोरपंख के इन रंगों के माध्यम से सही देना चाहते हैं। हमारा जीवन भी इसी तरह के सभी रंगों से भरा पड़ा है। कभी चमकीला तो कभी हल्का, इसी तरह जीवन में भी इन रंगों के भांति कभी सुख आते हैं और कभी दुख।
स्कंद के शुभेच्छु
भगवान विष्णु और देवी पार्वती का भाई बहन का रिश्ता है क्योंकि विष्णु ने देवी पार्वती से शिव की शादी करने के लिए भगाया था। इसलिए कृष्णा अपने मुकूट पर मोर पंख धारण करते हैं जिससे उनके भतीजा साड़ी मनोकामना पूरी हो और वो युद्ध के राजा कहलाएं।
कृष्ण और मोर का नृत्य
एक बार कृष्ण अपने दोस्तों के साथ जंगल मे सो रहे थे। तभी कृष्ण की आंख खुली और देखा की मौसम बहुत अच्छा है। यह देखकर उन्होंने बांसुरी बजाना शुरु कर दिया। जिसके संगीत से सारे पशु पक्षी नाचने लगे। उनमें कुछ मोर भी थे। जब संगीत खत्म हुआ तो मोरों के राजा कृष्ण के पास गए और अपने पंख तोड़कर जमीन पर गिरा दिए। इन पंखों को उन्होंने कृष्ण को गुरुद्दिना के रुप दिए। जिसे कृष्णा ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया और कहा कि इसे कृष्ण अपने बालों पर सजा लें। इस पर कृष्णा ने कहा कि वे हमेशा यह पंख अपने मुकुट पर पहनेंगें।
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