Shravan maas: श्रावण में क्यों खास होता है हर सोमवार? जानिए पौराणिक रहस्य
Shravan maas, श्रावण मास, जिसे हम सामान्यतः सावन का महीना कहते हैं, हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवाँ और सबसे पवित्र महीना माना जाता है।
Shravan maas : सावन की कथा, जब शिव ने पिया विष और बने नीलकंठ
Shravan maas, श्रावण मास, जिसे हम सामान्यतः सावन का महीना कहते हैं, हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवाँ और सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह माह विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और पूरे महीने श्रद्धालु व्रत, पूजा, जलाभिषेक और धार्मिक अनुष्ठानों में लगे रहते हैं। लेकिन इस पवित्र मास से जुड़ी कुछ ऐसी पौराणिक कहानियाँ और रोचक तथ्य हैं, जिन्हें जानना हर शिवभक्त के लिए न केवल दिलचस्प, बल्कि प्रेरणादायक भी है।
श्रावण मास का पौराणिक महत्व
1. समुद्र मंथन और विषपान कथा
सबसे प्रसिद्ध कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो 14 रत्नों के साथ कालकूट विष भी निकला। यह विष इतना भयंकर था कि ब्रह्मांड के सभी प्राणी संकट में पड़ गए। तब भगवान शिव ने करुणा पूर्वक विष को अपने कंठ में धारण किया और इस कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा। यह घटना श्रावण मास में ही घटी थी, इसलिए यह माह शिव को अर्पित है।
2. माता पार्वती का तप
श्रावण मास की एक और प्रमुख कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इसी महीने में कठोर तप किया था। उनके समर्पण और श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी स्वीकार किया। इसीलिए आज भी कुंवारी कन्याएं सावन सोमवार का व्रत रखती हैं।
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3. शिवलिंग की उत्पत्ति कथा
कहते हैं कि ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ, तो भगवान शिव ने एक अग्नि स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) के रूप में प्रकट होकर उन्हें यह दिखाया कि शिव ही आदिशक्ति हैं। यह घटना भी सावन मास में मानी जाती है।
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श्रावण मास से जुड़े रोचक तथ्य
श्रावण मास का हर दिन किसी देवता को समर्पित होता है सोमवार शिव के लिए, मंगलवार पार्वती के लिए, बुधवार गणेश के लिए, गुरुवार विष्णु के लिए, शुक्रवार लक्ष्मी के लिए, शनिवार शनिदेव के लिए और रविवार सूर्यदेव के लिए। श्रावण में कांवड़िए गंगा से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। यह परंपरा उत्तर भारत, विशेषकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में अधिक देखने को मिलती है। श्रावण में व्रत रखना और शिवलिंग पर जल, दूध, दही, बेलपत्र, और शहद चढ़ाना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। सावन में हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षा बंधन जैसे पावन त्योहार भी आते हैं, जो इस मास को और भी शुभ बनाते हैं।
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