Sawan 2024: सुखी वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने जा रहे हैं। तो शिव और माता पार्वती से सीखे ये पांच बातें
इस वर्ष महाशिवरात्रि का महापर्व 22 जुलाई को मनाया जाएगा। शिव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। इसी दिन से भगवान शिव की गृहस्थ जीवन की शुरुआत हुई थी।
Sawan 2024: सुखी पारिवारिक जीवन के लिए भगवान शिव से सीखनी चाहिए ये पांच बातें
शिव और माता पार्वती की हर कोई प्रशंसा करता है। इन अलौकिक बंधन की हर जगह चर्चा की जाती है। कथाओं में बताया जाता है माता पार्वती ने बहुत कड़ी भगवान शिव जी से शादी की थी। साथ ही दोनों एक दूसरे के प्रति हमेशा प्यार ,सम्मान, बनाए रखते थे। इसीलिए यह भी कहा जाता है कि पति-पत्नी का संबंध भी शिव पार्वती जैसा होना चाहिए।
इस वर्ष महाशिवरात्रि का महापर्व 22 जुलाई को मनाया जाएगा। शिव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। इसी दिन से भगवान शिव की गृहस्थ जीवन की शुरुआत हुई थी। ऐसे में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और मान्यता
यह है कि सावन में उपवास करने के सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है इसीलिए सावन के दिन कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर पाने के लिए भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करती है। बाबा भोलेनाथ को वैरागी कहा जाता है। फिर भी उनके वैवाहिक जीवन को आदर्श माना जाता है। ऐसे में सुखी दांपत्य जीवन के लिए हर शादीशुदा जोड़े को माता पार्वती और भगवान शिव के वैवाहिक जीवन से कुछ बातों को सीख कर अपनी जिंदगी में अपनाना चाहिए।
1) भगवान शिव को अर्धनारीश्वर कहा जाता है जिसका अर्थ होता है। आधा पुरुष और आधा नारी भगवान के इस स्वरूप में आधा रूप उनका और आधा हिस्सा उनकी पत्नी पार्वती का है इस स्वरूप को शादीशुदा लोगों का प्रतीक माना जाता है भले ही शरीर अलग हो पर मन दोनों का एक होना चाहिए। इसलिए अपने पार्टनर को बराबर का दर्जा दें
2) पति पत्नी के रिश्ते में प्रेम भाव होना बहुत जरूरी है। विवाह के दौरान लोग एक दूसरे की बैंक बैलेंस ,खूबसूरती, व्यक्तित्व पर ध्यान देते हैं। उन सभी के लिए एक अच्छा उदाहरण भगवान शिव और माता पार्वती है। माता पार्वती ने भस्मधारी गले में सर्पों की माला वाले शिवजी को पसंद किया। उन दोनों के बीच गृहस्थजीवन के लिए प्यार जरूरी था ना कि पैसा.
3) हर वैवाहिक जीवन में ईमानदारी और विश्वास जरूरी होता है। माता पार्वती और भगवान शिव एक दूसरे का सम्मान करते हैं। उदाहरण है जब मां गौरी अपने पिता के घर पहुंची तो वहां शिवजी का काफी अपमान हुआ।माता पति का अपमान सहन न कर सकीं और वहीं यज्ञ में सती हो गईं। इस पर भगवान भोलेनाथ रौद्र रूप में आ गए और दुनिया का विनाश करने के लिए तांडव करने लगे।
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4)परिवार की जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करने से जीवन सुखी बनता है। भोले बाबा तपस्या में लीन रहते हैं तो माता पार्वती उनकी अनुपस्थिति में परिवार, पुत्रों और सभी देवी-देवताओं समेत सृष्टी की देखभाल करती हैं। हर पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए।
5) एक दूसरे का साथ हर पति पत्नी को देना चाहिए। जैसे माता पार्वती जैसे भोलेनाथ का साथ देती हुई। भोले बाबा जब अपनी तपस्या के लिए बाहर जाती थी तो उसके अलावा वह अपने परिवार के साथ-साथ पूरी दुनिया का ख्याल रखती थी। इस से आप यह सीख सकते हैं। कि अगर आपका पार्टनर ना हो। तो आप अपने घर की जिम्मेदारी संभाले।
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