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Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी 2025 व्रत नियम, क्या खाएं, क्या न खाएं और कैसे करें पूजा?

Mokshada Ekadashi 2025, हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। हर माह आने वाली एकादशी में से मोक्षदा एकादशी को विशेष महत्व प्राप्त है।

Mokshada Ekadashi 2025 : मोक्षदा एकादशी पर व्रत का सही तरीका, क्या खा सकते हैं और किन चीजों से बचें?

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Mokshada Ekadashi 2025, हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। हर माह आने वाली एकादशी में से मोक्षदा एकादशी को विशेष महत्व प्राप्त है। यह एकादशी न सिर्फ पापों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है, बल्कि पूर्वजों के मोक्ष और आत्मिक शांति के लिए भी बेहद फलदायी होती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और नियमपूर्वक उपवास रखने से जीवन की नकारात्मकताएं दूर होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी इस वर्ष 2025 में अत्यंत शुभ योगों में मनाई जाएगी। भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण-वासुदेव की भक्ति में लीन होकर आत्मिक शांति, समृद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं।

मोक्षदा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

मोक्षदा एकादशी हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आती है। 2025 में यह पावन तिथि बेहद शुभ फल देने वाली मानी जा रही है।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ – 2 दिसंबर 2025, रात
  • एकादशी तिथि समाप्त – 3 दिसंबर 2025, शाम
  • व्रत पालन और पूजा – 3 दिसंबर 2025 (उत्तम फल हेतु)
  • पारण का समय – अगले दिन सूर्योदय के बाद उचित समय में

एकादशी पर व्रतधारी को तिथि के अनुसार उपवास और पारण का पालन अवश्य करना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी का धार्मिक इतिहास

ग्रंथों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से राजा वैखानस के पिता को मोक्ष मिला था। भगवान विष्णु ने राजा को बताया कि मोक्षदा एकादशी का विधिवत उपवास करने से जीवों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी कारण यह तिथि “मोक्ष देने वाली एकादशी” के नाम से प्रसिद्ध है।

मोक्षदा एकादशी पर व्रत कैसे करें? – सही विधि

1. प्रातः स्नान और संकल्प

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें“मैं भगवान विष्णु की कृपा से मोक्षदा एकादशी का व्रत करूंगा और शुद्ध मन से पूजा करूंगा।”

2. भगवान विष्णु की पूजा

  • तुलसी दल और गंगाजल से जलाभिषेक करें
  • पीले पुष्प, धूप, घी का दीपक अर्पित करें
  • भगवान कृष्ण का विशेष पूजन करें
  • विष्णु सहस्त्रनाम, गीता का पाठ या गोविंद नाम जप अत्यंत फलदायी होता है

3. दिन भर व्रत

इस दिन लोग निर्जला, फलाहार या केवल सत्‍विक भोजन करके उपवास करते हैं। मूल उद्देश्य मन और भोजन दोनों की पवित्रता बनाए रखना है।

4. रात्रि जागरण

रात में भजन-कीर्तन करना और भगवान विष्णु का ध्यान करना अत्यंत शुभ होता है। इससे व्रत के फल की प्राप्ति बढ़ जाती है।

5. द्वादशी तिथि में पारण

अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
अन्न ग्रहण करने से पहले गाय, ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन करवाना शुभ माना गया है।

मोक्षदा एकादशी में क्या खाएं? – उपवास के दौरान सही खानपान

सत्‍विक फलाहार करें

  • केला
  • सेब
  • पपीता
  • अनार
  • मौसमी

एकादशी के अनाज विकल्प

  • साबूदाना खिचड़ी
  • सिंघाड़े का आटा
  • कुट्टू का आटा
  • राजगीरा आटा (लड्डू या पूरी)

नियमित उपवास भोजन

  • आलू की हल्की सब्जी (बिना लहसुन-प्याज)
  • सेंधा नमक
  • दही
  • दूध और छाछ
  • मूंगफली
  • नारियल पानी
  • मखाना (खीर या रोस्टेड)

ऊर्जा देने वाले आहार

व्रत के दौरान शरीर में ऊर्जा बनी रहे, इसके लिए—

  • शहद
  • घी
  • फल रस
  • नींबू पानी
    इनका सेवन लाभकारी माना जाता है।

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मोक्षदा एकादशी में क्या नहीं खाएं? – व्रत में वर्जित चीजें

अनाज वर्जित

एकादशी के दिन चावल, गेहूं, दालें, रोटी, चने, राजमा आदि सभी प्रकार के अनाज खाना वर्जित माना जाता है।

तामसिक पदार्थ

  • मांसाहार
  • लहसुन
  • प्याज
  • शराब
  • तंबाकू
  • फास्ट फूड
    इन सबका सेवन धार्मिक दृष्टि से निषिद्ध है।

मसाले और तेल

घरेलू सामान्य नमक की जगह केवल सेंधा नमक प्रयोग किया जाता है।
तेल में तली चीजें खाना भी उचित नहीं माना जाता।

अहिंसा का पालन

एकादशी पर हत्या, क्रोध, झगड़ा, कटुवचन और हिंसा से दूर रहना चाहिए।
मानसिक शुद्धता व्रत का सबसे महत्वपूर्ण नियम है।

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मोक्षदा एकादशी में क्या करें? – शुभ कर्म

  • गरीबों को भोजन कराएं
  • गौ सेवा करें
  • तुलसी पर जल चढ़ाएं
  • गीता का पाठ करें
  • व्रत के दौरान पवित्रता और संयम बनाए रखें

मोक्षदा एकादशी में क्या न करें? – सावधानियां

  • नकारात्मक बोलना
  • किसी का अपमान
  • देर रात तक नकारात्मक गतिविधियों में शामिल होना
  • अनावश्यक यात्रा
  • भारी व्यायाम

इनसे बचने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। मोक्षदा एकादशी 2025 अध्यात्म, भक्ति और आत्मिक शांति का अद्भुत अवसर है। यह व्रत न सिर्फ पापों को मिटाता है, बल्कि पूर्वजों की मुक्ति और स्वयं के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करता है। सही नियमों का पालन करके, शुद्ध मन से उपासना करके और सत्‍विक आहार लेकर व्रत करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।

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