Mahakal Bhasma Aarti: चिता की राख से नहीं बल्कि इन पांच तत्वों से बनी भस्म से होती है बाबा महाकाल की मंगला आरती, जानें क्या मिलता है संदेश
Mahakal Bhasma Aarti: मध्य प्रदेश के उज्जैन को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। उनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दुनिया भर से आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त यहां आता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है।
Mahakal Bhasma Aarti: देह का अंतिम सत्य और सृष्टि का सार है भस्म, मिलते हैं ये लाभ
मध्य प्रदेश के उज्जैन को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। उनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दुनिया भर से आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त यहां आता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। Mahakal Bhasma Aarti अब ऐसे में आइए इस लेख में विस्तार से महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी खास बातों के बारे में जानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, दूषण नाम के राक्षस ने उज्जैन नगरी में तबाही मचा दी थी। तब यहां के ब्राम्हणों ने भगवान शिव से इसके प्रकोप को दूर करने की विनती की। भगवान शिव ने दूषण को चेतावनी दी लेकिन वो कहां मानने वाला था। Mahakal Bhasma Aarti क्रोध में आकर भगवान शिव यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए और अपनी क्रोध से दूषण को भस्म कर दिया। माना जाता है कि बाबा भोलेनाथ ने यहां दूषण के भस्म से अपना श्रृंगार किया था। इसलिए आज भी यहां महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है।
महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी ये खास बातें Mahakal Bhasma Aarti
यह पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव की दिन में 6 बार आरती की जाती है। इसकी शुरुआत भस्म आरती से ही होती है। महाकाल में सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। इसे मंगला आरती भी कहा जाता है। मान्यता है कि महाकाल भस्म से प्रसन्न होते हैं। यह आरती महाकाल को उठाने के लिए की जाती है। महाकाल की आरती में केवल ढोल नगाड़े बजाकर महाकाल को उठाया जाता है। वर्षों पहले महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाने की परंपरा थी।
देह का अंतिम सत्य और सृष्टि का सार है भस्म Mahakal Bhasma Aarti
हालांकि पिछले कुछ सालों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म का इस्तेमाल किया जाने लगा है। मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है। महाकाल की भस्म आरती के पीछे एक यह मान्यता भी है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं। भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है। भस्म यानी राख देह का अंतिम सत्य और सृष्टि का सार है।
भस्म आरती के नियम Mahakal Bhasma Aarti
बाबा को भस्म लगाना संसार के नाशवान होने का संदेश है। भस्म आरती के दर्शन करने के लिए कुछ खास नियम हैं। यहां आरती करने का अधिकार सिर्फ यहां के पुजारियों को होता है बाकी लोग सिर्फ इसे देख सकते हैं। इस आरती को देखने के लिए पुरुषों को केवल धोती पहननी होती है जबकि महिलाओं को आरती के समय घूंघट करना पड़ता है। माना जाता है कि उस वक्त भगवान शिव निराकार स्वरूप में होते हैं और महिलाओं को भगवान के इस स्वरूप के दर्शन करने की अनुमति नहीं होती है।
भस्म आरती में छिपा है एक गहरा अर्थ Mahakal Bhasma Aarti
देखा जाए तो भस्म आरती में एक गहरा अर्थ छिपा हुआ है। यहां भस्म यानी राख को देह के अंतिम सत्य के रूप में देखा गया है, क्योंकि हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शरीर को जला दिया जाता है और अंत में केवल राख बचती है। ऐसे में जहां भस्म आरती देह के अंतिम सत्य को दर्शाती है, तो वहीं सृष्टि का सार को भी। जिस भस्म से महाकाल की आरती की जाती है, वह पीपल, कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार की जाती है।
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मिलते हैं ये लाभ Mahakal Bhasma Aarti
बाबा को जब भस्म अर्पण की जाती है तो पांच मंत्रों के उच्चारण के साथ की जाती है। ये पांच मंत्र हमारे शरीर के तत्व हैं, इसके उच्चारण के साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर भस्म अर्पित करने के बाद इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है। मान्यता है कि इस भस्म को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे साधक को कई तरह के रोग और दोष से मुक्ति मिल सकती है।
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