Lord Ganesh Birth Story: कैसे हुआ भगवान गणेश का जन्म? पढ़ें प्रचलित पौराणिक कथा
Lord Ganesh Birth Story: भगवान गणेश, जिन्हें गणपति, विनायक, और एकदंत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं।
Lord Ganesh Birth Story : भगवान गणेश की उत्पत्ति की रोचक कथा और उसका महत्व
Lord Ganesh Birth Story, भगवान गणेश, जिन्हें गणपति, विनायक, और एकदंत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। गणेश जी को हाथी के सिर वाला देवता चित्रित किया जाता है, जिसकी अपनी एक अनोखी और रोचक जन्मकथा है।
जन्मकथा की पौराणिक पृष्ठभूमि
भगवान गणेश की उत्पत्ति की कथा पुराणों में विभिन्न रूपों में मिलती है, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा शिव पुराण और भागवत पुराण में वर्णित है। इस कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान गणेश को अपने हाथों से बनाया था।
देवी पार्वती द्वारा गणेश की सृष्टि
देवी पार्वती, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, ने स्नान करते समय अपनी त्वचा के मृत कणों और मिट्टी से एक लड़के की मूर्ति बनाई और उसे जीवन दिया। इस लड़के को गणेश कहा गया। पार्वती ने उसे आदेश दिया कि वह उनके कक्ष के द्वार पर बैठकर किसी को भी अंदर न आने दे।
गणेश और भगवान शिव का पहला सामना
इसी बीच भगवान शिव घर लौटे। जब गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका, तो भगवान शिव को गुस्सा आ गया क्योंकि उन्हें गणेश की पहचान नहीं थी। गणेश ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए शिव को रोक दिया। इसके परिणामस्वरूप, भगवान शिव और गणेश के बीच संघर्ष हुआ। शिव ने क्रोधित होकर अपनी त्रिशूल से गणेश का सिर काट दिया। जब पार्वती को यह पता चला तो वे अत्यंत दुःखी और क्रोधित हुईं। उन्होंने शिव से अनुरोध किया कि गणेश को जीवित किया जाए। शिव ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए आदेश दिया कि कहीं भी पहला जीवित प्राणी जिसका सिर काटे हुए गणेश के सिर से लगाया जा सके, उसे लेकर आएं।
हाथी के सिर की स्थापना
यह खोज पूरे विश्व में की गई। अंत में, एक हाथी को लाया गया, जिसका सिर गणेश के शरीर पर लगाया गया। इसके साथ ही गणेश पुनः जीवित हो गए। इस घटना के बाद शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले और सभी कार्यों के आरंभ में पूजनीय होंगे।
गणेश जी का महत्व और प्रतीकत्व
भगवान गणेश का हाथी का सिर बुद्धिमत्ता और ज्ञान का प्रतीक है। उनकी बड़ी सूंड दूरदर्शिता और सटीक निर्णय का संकेत देती है। वे हाथी की तरह विशाल हृदय वाले हैं, जो प्रेम और करुणा का परिचायक हैं। गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है क्योंकि वे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में उनका पूजन करना शुभ माना जाता है।
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अन्य पौराणिक कथाएं
कई अन्य पौराणिक कथाएं भी भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी हैं। एक कथा के अनुसार, गणेश को सूर्य देव से घमंड था, और उनका सिर काटने का संबंध इसी कहानी से भी जोड़ा जाता है। कुछ कथाओं में कहा गया है कि गणेश जी ने महाभारत में भगवान कृष्ण के लिए संगीत का आयोजन किया था। उनकी विद्या और बुद्धि के कारण वे सभी देवताओं और ऋषियों के प्रिय थे।
गणेश चतुर्थी और जन्मदिन का उत्सव
भगवान गणेश का जन्मदिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना कर, पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण किया जाता है। यह त्योहार महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें भगवान गणेश की मूर्ति को दस दिनों तक पूजा जाता है और फिर समुद्र या जलाशयों में विसर्जित किया जाता है। भगवान गणेश की जन्मकथा न केवल एक धार्मिक कथा है, बल्कि जीवन में बुद्धि, धैर्य और समर्पण के महत्व को भी दर्शाती है। उनका हाथी का सिर ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है, जो हमें हर संकट का सामना करने की प्रेरणा देता है। गणेश जी का जन्म हमें यह सिखाता है कि हर बाधा को पार किया जा सकता है, यदि हम समझदारी और धैर्य से काम लें। इसीलिए, वे सभी शुभ कार्यों की शुरुआत में पूजे जाते हैं, ताकि जीवन में सफलता और समृद्धि आए।
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