कर्म बड़ा हैं या भाग्य जानने के लिए पढ़े
कर्म और भाग्य का भेद हैं पुराणों में
कर्म कर्म बड़ा हैं या भाग्य?, यूं दुनिया में दो तरह के लोग हैं एक वो जो भाग्य को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं. और दूसरे वो जो मानते हैं कि कर्म ही भाग्य का जनक है. ऐसे में ये बहस बदस्तूर सदियों से है. इस दुनिया में कर्म को मानने वाले लोग कहते हैं भाग्य कुछ नहीं होता. और भाग्यवादी लोग कहते हैं किस्मत में जो कुछ लिखा होगा वही होके रहेगा. यानी इंसान कर्म और भाग्य इन दो बिंदुओं की धूरी पर घूमता रहता है. और एक दिन इस जग को अलविदा कहकर चला जाता है. लेकिन यह भी सत्य है कि भाग्य और कर्म दोनों के बीच एक रिश्ता जरूर है. भाग्य और कर्म का भेद पुराणों में किस तरह बताया गया है वो जान कर आपको भी इस गुत्थी को सुलझाने में थोड़ी मदद मिलेगी. भाग्य और कर्म को बेहतर से समझने के लिए पुराणों में एक कहानी का उल्लेख मिलता है.
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· जिसमे लिखा है कि एक बार देवर्षि नारद जी वैकुंठधाम गए, वहां उन्होंने भगवान विष्णु का नमन किया. नारद जी ने श्रीहरि से कहा, ’प्रभु! पृथ्वी पर अब आपका प्रभाव कम हो रहा है. धर्म पर चलने वालों को कोई अच्छा फल नहीं मिल रहा, जो पाप कर रहे हैं उनका भला हो रहा है.’तब श्रीहरि ने कहा, ’ऐसा नहीं है देवर्षि, जो भी हो रहा है सब नियति के जरिए हो रहा है.’ नारद बोले, मैं तो देखकर आ रहा हूं, पापियों को अच्छा फल मिल रहा है और भला करने वाले, धर्म के रास्ते पर चलने वाले लोगों को बुरा फल मिल रहा है. भगवान ने कहा, कोई ऐसी घटना बताओ. नारद ने कहा अभी मैं एक जंगल से आ रहा हूं, वहां एक गाय दलदल में फंसी हुई थी. कोई उसे बचाने वाला नहीं था.
· तभी एक चोर उधर से गुजरा, गाय को फंसा हुआ देखकर भी नहीं रुका, वह उस पर पैर रखकर दलदल लांघकर निकल गया आगे जाकर चोर को सोने की मोहरों से भरी एक थैली मिली. थोड़ी देर बाद वहां से एक वृद्ध साधु गुजरा. उसने उस गाय को बचाने की पूरी कोशिश की. पूरे शरीर का जोर लगाकर उस गाय को बचा लिया लेकिन मैंने देखा कि गाय को दलदल से निकालने के बाद वह साधु आगे गया तो एक गड्ढे में गिर गया. प्रभु!
· बताइए यह कौन सा न्याय है? नारद जी की बात सुन लेने के बाद प्रभु बोले, ’यह सही ही हुआ. जो चोर गाय पर पैर रखकर भाग गया था, उसकी किस्मत में तो एक खजाना था लेकिन उसके इस पाप के कारण उसे केवल कुछ मोहरें ही मिलीं.’ वहीं, उस साधु को गड्ढे में इसलिए गिरना पड़ा क्योंकि उसके भाग्य में मृत्यु लिखी थी लेकिन गाय के बचाने के कारण उसके पुण्य बढ़ गए और उसकी मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गई. इंसान के कर्म से उसका भाग्य तय होता है. इंसान को कर्म करते रहना चाहिए, क्योंकि कर्म से भाग्य बदला जा सकता है.