Jaya Ekadashi Vrat 2024: पिशाच योनि से मुक्ति दिलाता है जया एकादशी का व्रत, जानें पौराणिक कथा और महत्व
Jaya Ekadashi Vrat 2024: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी व्रत करने से बुरे कर्मों के कष्ट दूर होते हैं। इस बार जया एकादशी 20 फरवरी, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
Jaya Ekadashi Vrat 2024: जया एकादशी पर जरूर पढ़ें गंधर्व की ये कथा, मिलेगी मोक्ष की प्राप्ति, जानें पूजा का मुहूर्त
हिंदू धर्म में एकादशी के दिन का खास महत्व होता है। सभी एकादशी में जया एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। जया एकादशी का यह व्रत बहुत ही पुण्यदायी होता है। इस एकादशी को सभी पापों को हरने वाली उत्तम और पुण्यदायी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी व्रत करने से बुरे कर्मों के कष्ट दूर होते हैं। इस बार जया एकादशी 20 फरवरी, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसका व्रत करने से मनुष्यों को मृत्यु के बाद परम् मोक्ष की प्राप्ति होती है। जया एकादशी की व्रत कथा सुनने से जीवन के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
जया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, धर्मराज युधिष्ठिर ने एक बार श्रीकृष्ण जया एकादशी व्रत का महाम्त्य जाना। श्रीकृष्ण ने कथा कहते हुए बताया कि एक बार नंदन वन में इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा था। इस सभा में देवतागण और ऋषि प्रफुल्लित होकर उत्सव का आनंद ले रहे थे। उत्सव में गंधर्व गाने रहे थे और अप्सराएं नृत्य कर रहीं थीं। इन्हीं में से एक गंधर्व था माल्यवान। वहीं एक सुंदर नृत्यांगना थी जिसका नाम था पुष्यवती।
उत्सव के दौरान पुष्यवती और माल्यवान एक दूसरे पर मोहित हो गए और सभी की उपस्थिति में वे अपनी मार्यादाएं भूल गए। पुष्यवती और माल्यवान के इस कृत्य से देवतागण और ऋषि असहज हो गए। इसके बाद देवराज इंद्र भयंकर क्रोधित हो उठे। इंद्र ने दोनों को श्राप दे दिया कि वह स्वर्गलोक से निष्कासित होकर मृत्यु लोक (पृथ्वी) पर पिशाच योनि में निवास करेंगे।
श्राप के प्रभाव से पुष्यवती और माल्यवान पिशाच योनि में दुख भोगने लगे। प्रेत योनि में दोनों का जीवन बहुत पीड़ादायक रहा। माघ मास में शुक्ल पक्ष की जया एकादशी का दिन आया। इस दिन दोनों को सिर्फ फलाहार ही खाने को मिला। दोनों रात्रि में ठंड की वजह से सो नहीं पाए। इस तरह अनजाने में एकादशी का रात्रि जागरण भी हो गया।
उस दिन उन्होंने अपने किए पर पछतावा करते हुए भगवान विष्णु से इस कष्टदायक जीवन से मुक्त करने की प्रार्थना की। अनजाने में ही दोनों ने जया एकादशी का व्रत पूर्ण कर लिया लेकिन सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई। इस व्रत के प्रभाव से दोनों को पिशाच योगि से मुक्ति मिल गई और वह दोबारा स्वर्ग लोक चले गए। इसके बाद जया एकादशी का व्रत किया जाने लगा।
जया एकादशी पूजा मुहूर्त 2024
- माघ शुक्ल जया एकादशी तिथि शुरू – 19 फरवरी 2024, सुबह 08.49
- माघ शुक्ल जया एकादशी तिथि समाप्त – 20 फरवरी 2024, सुबह 09.55
- विष्णु पूजा समय – सुबह 09.45 – दोपहर 02.00
- जया एकादशी व्रत पारण समय – सुबह 06.55 – सुबह 09.11 (21 फरवरी 2024)
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जया एकादशी 2024 शुभ योग
जया एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, प्रीति योग, आयुष्मान योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार, त्रिपुष्कर योग में धन लाभ होने से तिगुना फायदा मिलता है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए शुभ कार्यों को जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मकान, वाहन, आभूषण या कोई कीमती वस्तु बनाने के लिए यह योग शुभ होता है। वहीं आयुष्मान योग के प्रभाव सेना सिर्फ जातक को सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि लंबी आयु और सत्ता का सुख भी मिलता है।
- त्रिपुष्कर योग – दोपहर 12.13 – सुबह 06.55, 22 फरवरी
- रवि योग – सुबह 06.56 – सुबह 12.13
- प्रीति योग – 19 फरवरी 2024, दोपहर 12.01 – 20 फरवरी 2024, सुबह 11.46
- आयुष्मान योग – 20 फरवरी 2024, सुबह 11.46 – 21 फरवरी 2024, सुबह 11.51
जया एकादशी के दिन क्या करें
- जया एकादशी के दिन श्रीहरि को पीपले के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाकर रखकर भोग लगाएं। पीपल का पत्ता एक दिन पहले तोड़ लें। मान्यता है कि इस उपाय से जीवन में कष्ट दूर होते हैं। आर्थिक तंगी नहीं रहती।
- इस दिन विष्णु सहस्रनाम का जाप करें और जरूरतमंदों की मदद करें। 14 मुखी दीपक लगाकर श्रीहरि का ध्यान करें। ये उपाय वैवाहिक जीवन में सुख लाता है। लव मैरिज के रास्ते आसान होते हैं।
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