History Of Murudeshwar Temple: रावण से जुड़ा है कर्नाटक के इस मंदिर का इतिहास, जहां 123 फीट ऊंची है भोलेनाथ की प्रतिमा, तीन ओर से अरब सागर से घिरी है से जगह
History Of Murudeshwar Temple: भारत में कई ऐसे शिव मंदिर हैं, जिनका इतिहास काफी रोचक है। जहां दर्शन करने हर दिन बड़ी संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कर्नाटक में जहां भगवान शिव की 123 फीट ऊंची प्रतिमा है। और सबसे खास बात तो ये है कि ये प्रतिमा तीन ओर से अरब सागर से घिरी है।
History Of Murudeshwar Temple: भगवान शिव की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा को बनाने में लगा था दो साल का समय, पांच करोड़ की आई थी लागत
भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका संबंध या तो किसी दूसरे युग से है या फिर उनका इतिहास हजारों साल पुराना है। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है, खासकर रावण से। यह मंदिर कर्नाटक में कन्नड़ जिले के भटकल तहसील में स्थित है, जो तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। समुद्र तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर के आसपास का नजारा बेहद ही खूबसूरत लगता है। इस मंदिर का नाम है मुरुदेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। History Of Murudeshwar Temple ‘मुरुदेश्वर’ भगवान शिव का ही एक नाम है। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसके परिसर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे दुनिया की दूसरी सबसे विशाल और ऊंची शिव प्रतिमा (मूर्ति) माना जाता है।
आपको बता दें कि भारत में करोड़ों की संख्या में शिव मूर्तियां मौजूद हैं। राजस्थान के राजसमंद जिले में मौजूद भगवान शिव की मूर्ति सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है, लेकिन अगर आपसे यह पूछा जाए कि भगवान शिव की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति भारत के किस राज्य में हैं, तो फिर वो कर्नाटक की कहा जाएगा। History Of Murudeshwar Temple यह विशाल मूर्ति कर्नाटक के कंडुका पहाड़ी पर बनी है। कहा जाता है कि इस विशाल मूर्ति को एन शेट्टी ने बनवाया था जोकि एक व्यवसायी और परोपकारी थे। आपको यह भी बता दें कि यह मंदिर समुद्र तट के किनारे मौजूद है।
राजस्थान में है भगवान शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा History Of Murudeshwar Temple
कर्नाटक के भटकल जिले में मौजूद भगवान शिव के इस मूर्ति का नाम मुर्देश्वर/मुरुदेश्वर भगवान है। इस विशाल मूर्ति ऊंचाई 123 फीट यानी लगभग 37 मीटर है। कहा जाता है कि इस विशाल मूर्ति को शिवमोग्गा के काशीनाथ और कई अन्य मूर्तिकारों द्वारा बनाया गया था। आपको जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान में स्थित भगवान शिव की मूर्ति 369 फीट ऊंची है। मुर्देश्वर मंदिर की पौराणिक कथा रामायण काल से है।
रावण को भोलेनाथ ने दिया था शिवलिंग History Of Murudeshwar Temple
पौराणिक कथा है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे एक शिवलिंग दिया था। भगवान भोलेनाथ ने रावण से कहा कि अगर अमर होना है तो शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी रखना मत। जब रावण शिवलिंग लेकर निकला तो रास्ते में भगवान गणेश ने चालाकी से रावण को लंका भेज दिया और शिवलिंग को गोकर्ण की धरती पर रख दिया था। इससे रावण क्रोधित हो उठा और शिवलिंग उखाड़ने और नष्ट करने की कोशिश करने लगा।
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मूर्ति को बनाने में लगा था दो साल का समय History Of Murudeshwar Temple
इस दौरान जिस कपड़े से शिवलिंग ढका था, वह रिदेश्वर के कंदुका पर्वत पर जा गिरा और यह जगह मुरुदेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुई। शिव पुराण में इस कथा के बारे में विस्तार से लिखा गया है। मुर्देश्वर मंदिर भारत के साथ-साथ पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। ऐसे में यहां हर दिन लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं। खासकर, महाशिवरात्रि और सावन के महीने में लाखों भक्त पहुंचते हैं। आपको बता दें कि इस मूर्ति को बनवाने में करीब दो साल का समय लग गया था। 5 करोड़ के आसपास लागत आई थी।
मुर्देश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना का समय History Of Murudeshwar Temple
- दर्शन का समय- सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक।
- पूजा का समय- सुबह 5 बजे लेकर रात आठ बजे तक।
- रुद्राभिषेक का समय- सुबह 6 बजे लेकर 12 बजे के बीच में।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है।
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मुर्देश्वर मंदिर कैसे पहुंचें? History Of Murudeshwar Temple
- मुर्देश्वर मंदिर पहुंचना बहुत आसान है। आप सड़क, हवाई और ट्रेन के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।
- हवाई यात्रा- मंदिर के सबसे पास में मंगलौर हवाई अड्डा है। मंदिर 159 किमी की दूरी पर है। यहां से टैक्सी या कैब लेकर जा सकते हैं।
- ट्रेन यात्रा- देश के किसी भी कोने से मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन से मंदिर 3 किमी की दूरी पर है।
- सड़क मार्ग- मुर्देश्वर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक के किसी भी शहर से आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
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