Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक देव जी की जयंती पर जानिए उनके जीवन और शिक्षाओं की प्रेरणादायक कहानी
Guru Nanak Jayanti, भारत विविध धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं की भूमि है। यहां हर धर्म अपने अनुयायियों को सत्य, प्रेम और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Guru Nanak Jayanti : रु नानक जयंती 2025, क्यों मनाई जाती है यह पावन तिथि, जानिए इसका महत्व
Guru Nanak Jayanti, भारत विविध धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं की भूमि है। यहां हर धर्म अपने अनुयायियों को सत्य, प्रेम और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इन्हीं में से एक है सिख धर्म, जिसके संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी हैं। हर वर्ष उनके जन्मदिन को गुरु नानक जयंती या गुरपुरब के रूप में बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे भारत और विश्वभर के लोगों के लिए अत्यंत प्रेरणादायी अवसर होता है।
गुरु नानक देव जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को वर्तमान पाकिस्तान के ननकाना साहिब नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम माता त्रिप्ता था। बचपन से ही नानक देव जी असाधारण बुद्धि और अध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। वे हमेशा समाज में फैली असमानता, अंधविश्वास और पाखंड से दुखी रहते थे। गुरु नानक देव जी ने बहुत कम उम्र में ही यह समझ लिया था कि ईश्वर एक है, और वह हर जीव में विद्यमान है। वे कहते थे “एक ओंकार सतनाम”, अर्थात् ईश्वर एक है और वही सत्य है।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में अनेक यात्राएँ कीं जिन्हें “उदासियाँ” कहा जाता है। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों, तिब्बत, श्रीलंका, अरब, फारस और मक्का-मदीना तक की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने लोगों को मानवता, समानता, सत्य, और सेवा का संदेश दिया।
उनकी मुख्य शिक्षाएँ थीं —
- नाम जपो – ईश्वर का सदा स्मरण करना।
- किरत करो – ईमानदारी से मेहनत कर जीविका चलाना।
- वंड छको – अपने अर्जन का कुछ हिस्सा दूसरों के साथ बाँटना।
गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं क्योंकि सबमें एक ही परमात्मा का वास है।
लंगर और सेवा की परंपरा
गुरु नानक देव जी के समय से ही लंगर की परंपरा शुरू हुई थी। लंगर वह सामूहिक भोजन है जिसमें सभी लोग बिना भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। इसका उद्देश्य समाज में समानता, भाईचारा और करुणा की भावना को बढ़ाना है। आज भी हर गुरुद्वारे में लंगर चलता है और लाखों लोगों को प्रतिदिन निःशुल्क भोजन कराया जाता है। सेवा (Service) सिख धर्म का मूल आधार है। गुरुद्वारे में झाड़ू लगाना, जूते पोंछना, बर्तन धोना या भोजन परोसना ये सभी कार्य सेवा माने जाते हैं। गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि सच्ची पूजा वही है जो दूसरों की भलाई के लिए की जाए।
गुरु नानक जयंती का पर्व
गुरु नानक जयंती, सिख पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। जयंती से कुछ दिन पहले “नगाड़ कीर्तन” या “प्रभात फेरी” निकाली जाती है जिसमें श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण करते हैं। इस अवसर पर गुरुद्वारों को सुंदर ढंग से सजाया जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ (48 घंटे का निरंतर पाठ) किया जाता है। श्रद्धालु गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं, सेवा करते हैं और लंगर में भाग लेते हैं। रात को दीप जलाए जाते हैं और आतिशबाजी भी की जाती है।
गुरु नानक देव जी का संदेश और आज का समाज
आज जब दुनिया में हिंसा, असमानता और स्वार्थ बढ़ रहे हैं, तब गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उनका संदेश केवल सिख धर्म के अनुयायियों के लिए नहीं, बल्कि समूची मानवता के लिए है।
उन्होंने सिखाया —
- “ना कोई हिन्दू, ना कोई मुसलमान, सब ईश्वर की संतान हैं।”
- “मनुष्य को अपने कर्मों से पहचाना जाता है, जन्म या धर्म से नहीं।”
उनकी वाणी हमें सिखाती है कि सच्चा धर्म वह है जो प्रेम, करुणा और समानता का मार्ग दिखाए।
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गुरु नानक देव जी की वाणी और योगदान
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को उनके अनुयायियों ने “गुरु ग्रंथ साहिब” में संकलित किया है। इसमें उनकी वाणी “जपुजी साहिब” के रूप में दर्ज है, जिसे सिख प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक पढ़ते हैं। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी, जो बाद में दस गुरुओं की शिक्षाओं के माध्यम से और सशक्त हुआ। उनके बाद आने वाले गुरुओं ने उनके सिद्धांतों को समाज में और गहराई से स्थापित किया। गुरु नानक जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अवसर है, जो हमें सिखाता है कि प्रेम, शांति और मानवता ही जीवन का सच्चा उद्देश्य हैं। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ हर युग में लोगों को सही दिशा दिखाती हैं।
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