Ganga Aarti: काशी की दिव्यता, जाने सिर्फ इन दो घाटों पर क्यों होती है गंगा आरती?
Ganga Aarti: वाराणसी, जिसे काशी या बनारस भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे प्राचीन और आध्यात्मिक नगरों में से एक है।
Ganga Aarti : वाराणसी की पहचान, गंगा आरती सिर्फ दो घाटों तक ही क्यों सीमित?
Ganga Aarti, वाराणसी, जिसे काशी या बनारस भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे प्राचीन और आध्यात्मिक नगरों में से एक है। यह नगरी केवल अपने मंदिरों और घाटों के लिए ही नहीं, बल्कि Ganga Aarti जैसे दिव्य अनुभव के लिए भी विश्वप्रसिद्ध है। हर शाम, जब सूर्य अस्त होता है, तब दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर होने वालीGanga Aarti श्रद्धालुओं और पर्यटकों के मन को मोह लेती है। लेकिन एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है, आखिर क्यों वाराणसी में सिर्फ दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर ही भव्य Ganga Aarti होती है?
1. दशाश्वमेध घाट का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
दशाश्वमेध घाट वाराणसी का सबसे प्रमुख और प्राचीन घाट माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे, इसी कारण इसे दशाश्वमेध घाट कहा जाता है। यह घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित है, और Ganga Aarti की परंपरा यहां लंबे समय से चली आ रही है। इस घाट की Ganga Aarti पूरी तरह से सुनियोजित होती है, जिसमें सात ब्राह्मण पुजारी एक साथ दीप जलाकर, शंखनाद के साथ, मंत्रोच्चार करते हुए गंगा मां की आरती करते हैं। यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन बन गया है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।
2. अस्सी घाट
अस्सी घाट वाराणसी का सबसे दक्षिणी घाट है और यह आधुनिक और पारंपरिक वाराणसी का मिलन स्थल माना जाता है। यहां की आरती दशाश्वमेध घाट की तुलना में थोड़ी कम औपचारिक लेकिन उतनी ही प्रभावशाली होती है। यह घाट साहित्य, संगीत, कला और योग का केंद्र बन गया है। यहां “सुबहे बनारस” के नाम से सुबह की Ganga Aarti और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जो पर्यटकों और स्थानीयों को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करते हैं।
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3. अन्य घाटों पर क्यों नहीं होती आरती?
वाराणसी में लगभग 80 से अधिक घाट हैं, लेकिन सभी घाटों पर Ganga Aarti नहीं होती। इसके पीछे कई कारण हैं, दशाश्वमेध और अस्सी घाट को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। इन दोनों घाटों पर पर्यटकों की सुविधा, जगह की उपलब्धता और सुरक्षा प्रबंधन अधिक प्रभावी रूप से होता है। इन घाटों पर आरती आयोजन को मंदिर ट्रस्ट, प्रशासन और स्थानीय समितियों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है, जो अन्य घाटों पर नहीं हो पाता।
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4. आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र
दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर होने वाली Ganga Aarti केवल धार्मिक नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है। मंत्र, दीप, धूप, संगीत और गंगा की लहरों का संगम हर व्यक्ति को एक दिव्यता का अनुभव कराता है। गंगा आरती वाराणसी की आत्मा है और दशाश्वमेध व अस्सी घाट इसके सबसे सुंदर मंच हैं। धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक विरासत, और प्रशासनिक प्रबंधन के कारण ये दो घाट विशेष रूप से गंगा आरती के लिए चुने गए हैं। अगर आप कभी वाराणसी जाएं, तो इन घाटों पर गंगा आरती का अनुभव अवश्य लें – यह जीवन भर स्मरणीय रहेगा।
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