Ganesh Visarjan 2025: गणपति विसर्जन 2025, महाभारत से क्या है गणेश विसर्जन का कनेक्शन?
Ganesh Visarjan 2025, भारत में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिन तक घर-घर और पंडालों में बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है।
Ganesh Visarjan 2025 : गणपति बप्पा मोरया! विसर्जन क्यों जरूरी है? जानें गणेश विसर्जन 2025 का महत्व
Ganesh Visarjan 2025, भारत में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिन तक घर-घर और पंडालों में बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तगण गणपति बप्पा को बड़े प्यार से घर लाते हैं, उन्हें भोग लगाते हैं, आरती करते हैं और फिर अनंत चतुर्दशी के दिन या गणेश चतुर्थी के बाद किसी भी शुभ मुहूर्त में उनका विसर्जन (Visarjan) करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों गणपति की प्रतिमा को जल में प्रवाहित किया जाता है? आइए जानते हैं गणेश विसर्जन 2025 के महत्व और महाभारत से जुड़े दिलचस्प कनेक्शन के बारे में।
गणेश विसर्जन की परंपरा
गणेश उत्सव की शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने आज़ादी के समय की थी, ताकि लोगों में एकता और देशभक्ति का संदेश फैलाया जा सके। समय के साथ यह परंपरा हर घर और गली का हिस्सा बन गई। दस दिनों तक भक्त गणेशजी की पूजा करते हैं और फिर विसर्जन के जरिए उन्हें विदाई देते हैं। विसर्जन का असली अर्थ है—“आगमन और प्रस्थान।” इसका संदेश यही है कि जीवन में सब कुछ अस्थायी है।
क्यों की जाती है प्रतिमा का जल में विसर्जन?
हिंदू धर्म में पंचतत्व (जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश) का विशेष महत्व है। प्रतिमा का जल में विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि हम ईश्वर को प्रकृति से ही गढ़ते हैं और अंत में उसी में समर्पित कर देते हैं। दस दिन की पूजा के बाद बप्पा को विदाई देना सिखाता है कि हमें मोह-माया से बंधकर नहीं रहना चाहिए। मिट्टी की प्रतिमा जब जल में विसर्जित होती है तो वह पुनः प्रकृति में मिल जाती है, जो जीवन चक्र का प्रतीक है। मान्यता है कि पूजा के दौरान प्रतिमा में स्थापित ऊर्जा विसर्जन के समय जल में प्रवाहित होकर चारों ओर फैल जाती है।
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महाभारत से जुड़ा गणेश विसर्जन का कनेक्शन
धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी का संबंध महाभारत से भी है। कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी को लेखक चुना था। गणपति ने शर्त रखी कि वे बिना रुके लिखेंगे। वहीं, वेदव्यास ने भी यह शर्त रखी कि गणेश जी हर श्लोक को समझकर ही लिखेंगे। इस प्रकार महाभारत का ग्रंथ तैयार हुआ।
मान्यता है कि विसर्जन इसी घटना से जुड़ा है। जैसे गणपति ने महाभारत लिखकर अपने कार्य को पूर्ण कर प्रकृति में लय हो गए, वैसे ही प्रतिमा का विसर्जन यह दर्शाता है कि हर शुरुआत का अंत भी निश्चित है और अंत के बाद नई शुरुआत होती है।
गणेश विसर्जन 2025 का महत्व
साल 2025 में गणेश चतुर्थी 26 अगस्त को मनाई जाएगी और गणेश विसर्जन 5 सितंबर (अनंत चतुर्दशी) को होगा। इस दिन पूरे देश में गणपति बप्पा को ढोल-नगाड़ों, जयकारों और उत्साह के साथ विदाई दी जाएगी। यह विदाई असल में “विदा नहीं, अगले साल फिर आने का वादा” होती है। गणेश विसर्जन केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं, बल्कि जीवन का बड़ा दर्शन भी है। यह हमें सिखाता है कि ईश्वर हर जगह विद्यमान हैं और हमें उनसे जुड़कर रहना है। विसर्जन हमें त्याग, अनासक्ति और जीवन की क्षणभंगुरता का गहरा संदेश देता है। महाभारत से जुड़ी कथा इस परंपरा की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक गहराई को और भी मजबूत बनाती है।
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