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Dussehra significance: दशहरा क्यों मनाया जाता है? 2025 में दशहरे का पौराणिक महत्व, मान्यताएं और शुभ मुहूर्त पूरी जानकारी

Dussehra significance, दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है।

Dussehra significance : दशहरा 2025 की पूरी जानकारी, मान्यताएं, पौराणिक महत्व और शुभ मुहूर्त जिससे बने आपका पर्व खास

Dussehra significance, दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा का पर्व खास तौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य संदेश हमेशा एक ही रहता है – सत्य और धर्म की विजय।2025 में दशहरा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। चलिए जानते हैं इसके पीछे छुपी मान्यताएं, पौराणिक महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।

दशहरा क्यों मनाया जाता है? – प्रमुख मान्यताएं

भगवान राम और रावण का युद्ध
दशहरा के पर्व का सबसे प्रसिद्ध कारण भगवान राम द्वारा रावण का वध करना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने भगवान राम की पत्नी सीता का अपहरण किया था। भगवान राम ने अपनी शक्ति, बुद्धि और धर्म के आधार पर रावण का वध करके सीता को मुक्त किया और धर्म की विजय सुनिश्चित की। इसलिए दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

महिषासुर वध
दशहरे का एक और प्रमुख महत्व देवी दुर्गा के महिषासुर वध से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने बल, शक्ति और भक्ति के माध्यम से महिषासुर नामक असुर का वध किया था। इस दिन को विजयादशमी के रूप में मनाते हुए शक्ति, साहस और धर्म की पूजा की जाती है।

प्राकृतिक परिवर्तन का प्रतीक
दशहरा भारतीय मौसम चक्र का भी प्रतीक माना जाता है। इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है, जो फसल कटाई और नए जीवन की शुरुआत का संकेत देता है। इसलिए यह पर्व नई उमंग, नये विश्वास और सकारात्मकता का संदेश देता है।

दशहरा का पौराणिक महत्व

दशहरे का पौराणिक महत्व भारतीय धर्मग्रंथों में बड़े गौरव के साथ वर्णित है। यह पर्व न केवल भगवान राम के आदर्श चरित्र को याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि कठिन परिश्रम, विश्वास और धर्म के मार्ग पर चलने से हर कठिनाई पर विजय प्राप्त की जा सकती है। महाभारत, रामायण और देवी पुराण जैसी पौराणिक ग्रंथों में दशहरे से जुड़े कई रोचक किस्से मिलते हैं। ये किस्से जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को उजागर करते हैं। दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आस्था, परंपरा और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का हिस्सा है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में आने वाले हर संघर्ष में अच्छाई की हमेशा जीत होती है।

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शुभ मुहूर्त 2025 में दशहरा मनाने का समय

इस बार दशहरा 2025 में 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। विशेष रूप से धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और यज्ञ इस दिन किए जाते हैं।

– शुभ मुहूर्त (Timing) –

– दशहरा का मुख्य मुहूर्त प्रातः काल में होता है।

-विशेष रूप से 10:30 AM से 12:00 PM तक को सबसे शुभ समय माना गया है।

-इस समय पर घर में रावण की प्रतिमा का पूजन और उसके दहन का कार्य किया जाता है। सूर्य देव की कृपा से यह मुहूर्त अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस समय किया गया पूजा-पाठ और हवन विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा लोग दिन भर अपने घर को साफ-सुथरा रखते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और माता के मंदिर में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

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दशहरा पर प्रमुख परंपराएं और उत्सव

भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग रीति-रिवाजों से दशहरा मनाते हैं, लेकिन कुछ प्रमुख परंपराएं समान रूप से देखी जाती हैं:

  1. रावण के पुतले का दहन
  2. देवी दुर्गा की पूजा
  3. विशेष हवन और यज्ञ
  4. भजन-कीर्तन का आयोजन
  5. पंडालों में रामलीला का आयोजन

लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी लाइट्स, फूल-मालाओं और सजावट से सजाते हैं। मिठाइयों का विशेष प्रबंध किया जाता है। खासकर मिठाईयों में रसमलाई, पेड़ा, बर्फी और लड्डू शामिल किए जाते हैं। शाम को रावण दहन का कार्यक्रम होता है, जिसमें बड़े रावण के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक प्रस्तुत किया जाता है। यह पल विशेष रूप से उत्साहवर्धक और यादगार होता है।

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