Divine Energy : इन 5 रहस्यमयी शक्तिपीठों में आज भी गूंजती है सती की शक्ति
Divine Energy : हिंदू धर्म में शक्तिपीठ देवी पूजा के अत्यंत पवित्र स्थल माने जाते हैं। ये वे स्थान हैं जहां देवी सती की अपार शक्ति आज भी अनुभव की जा सकती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर प्राण त्याग दिए थे, तब भगवान शिव शोक में भरकर उनका शव उठाकर तांडव करने लगे। तब सृष्टि की रक्षा हेतु भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित कर दिया। जहाँ-जहाँ सती के शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। ये सभी स्थल आज भी देवी की असीम शक्ति और उपासना का प्रतीक हैं।
हालांकि इनमें से कई शक्तिपीठ प्रसिद्ध हैं और भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन कुछ शक्तिपीठ ऐसे भी हैं जो कम प्रसिद्ध होने के बावजूद उतने ही शक्तिशाली और दिव्य माने जाते हैं।इस लेख में हम आपको 5 ऐसे कम चर्चित पर अत्यंत शक्तिशाली शक्तिपीठों के बारे में बताएंगे, जहां एक बार अवश्य दर्शन करने चाहिए।
चंडिका स्थान बिहार

यह मंदिर बिहार में स्थित हैं ऐसा माना जाता है की यहाँ पर देवी सती की बाई आँख गिरी थी। यहां के भक्तो का मानना है की यहां पर काजल या केसर युक्त दूध चढ़ाने से नेत्र रोग या मोतियाबिंद जैसी बिमारी दूर हो जाती है। नौरात्रि के समय खास कर अस्टमी के दिन भक्त एकाग्रता के साथ पूजा पाठ करते है
नर्तियांग की मां जयंती, मेघालय
मेघालय राज्य के वेस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले में स्थित नर्तियांग शक्तिपीठ को देवी मां जयंती का पावन स्थल माना जाता है। यह शक्तिपीठ हिन्दू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां मान्यता है कि देवी सती का बायां जांघ गिरा था।
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श्रींकला देवी मंदिर, पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में स्थित श्रींकला देवी शक्तिपीठ हिन्दू धर्म के 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है। इस शक्तिपीठ में मां सती का उदर गिरने की मान्यता है, और देवी को यहां “श्रींकला देवी” के रूप में पूजा जाता है। फरवरी में, यहां एक महीने तक चलने वाला मेला लगता है, जहां हिंदू और मुसलमान दोनों एक साथ आकर पूजा-अर्चना करते हैं, जो इसे एक अनोखा त्योहार बनाता है।
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विशालाक्षी मंदिर, वाराणसी
विशालाक्षी मंदिर, उत्तर प्रदेश के पवित्र नगर वाराणसी में स्थित है और यह हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां पर देवी मां विशालाक्षी की पूजा होती है, मान्यता है कि जब देवी सती का शरीर खंडित होकर पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरा, तब वाराणसी में देवी का कान का कुंडल गिरा था।
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श्रीशैलम शक्ति पीठ, आंध्र प्रदेश
श्रीशैलम शक्तिपीठ भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित एक पवित्र स्थल है, जिसे शक्ति और भक्ति का अद्वितीय केंद्र माना जाता है। यह स्थान न केवल 18 महा शक्तिपीठों में से एक है, बल्कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भी यहीं स्थित है। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर को विभाजित किया, जिससे उनके अंग जहां-जहां गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई। श्रीशैलम में देवी का कंठ या ऊपरी होंठ गिरा था, इसलिए यह स्थान अत्यंत शक्तिशाली शक्तिपीठ माना गया।
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