Chaitra Navratri 2024: सबसे पहले इस राजा ने रखा था 9 दिन का व्रत, जानें कैसे हुई थी मां दुर्गा की उत्पत्ति
Chaitra Navratri 2024: वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी। ब्रह्मा जी ने श्री राम को माता दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी थी।
Chaitra Navratri 2024: कैसे हुई थी नवरात्रि की शुरुआत? एक क्लिक में जानें सब कुछ
नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साल में दो बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्त माता की उपासना करते हैं। नवरात्रि में माता की आराधना करने का विधान सदियों से चला आ रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले नवरात्रि में 9 दिनों तक व्रत किसने रखे थे ? कैसे नवरात्रि की शुरुआत हुई थी? साथ ही माता दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई थी। अगर नहीं तो, आज हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई थी और सबसे पहले किसने नवरात्रि के व्रत रखे थे।
ऐसे हुई थी नवरात्रि की शुरुआत
माता दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में भक्त आध्यात्मिक बल, सुख-समृद्धि की कामना के साथ इनकी उपासना करते हैं। नवरात्रि की शुरुआत जिनके द्वारा हुई थी उन्होंने भी माता से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी। वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि, किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने माता दुर्गा की उपासना की थी। ब्रह्मा जी ने श्री राम को माता दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी थी। ब्रह्मा जी की सलाह पाकर भगवान राम ने प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक चंडी देवी का पाठ किया था।
भगवान राम को मिला माता का आशीर्वाद
बह्मा जी ने चंडी पाठ के साथ ही राम जी को यह भी बताया कि, पूजा सफल तभी होगी जब चंडी पूजन और हवन के बाद 108 नील कमल भी अर्पित किए जाएंगे। ये नील कमल अतिदुर्लभ माने जाते हैं। राम जी को अपनी सेना की मदद से ये 108 नील कमल तो मिल गए, लेकिन जब रावण को ये बात पता लगी तो उसने अपनी मायावी शक्ति से एक नील कमल गायब कर दिया। चंडी पूजन के अंत में भगवान राम ने जब कमल के पुष्प चढ़ाए तो एक कमल कम निकला। ये देखकर वो चिंतित हुए, लेकिन अंत में उन्होंने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंढी पर अर्पित करने का फैसला लिया।
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मां दुर्गा ने प्रभू श्रीराम को दिया विजय प्राप्ति का आशीर्वाद
अपने नयन अर्पित करने के लिए जैसे ही उन्होंने तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुईं। माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए श्री राम ने अन्न जल भी ग्रहण नहीं किया था। नौ दिनों तक माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की पूजा करने के बाद भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई। ऐसा माना जाता है कि तभी से नवरात्रि की शुरुआत हुई, और भगवान राम नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखने वाले पहले राजा और पहले मनुष्य थे।
ऐसे हुई थी मां दुर्गा की उत्पत्ति
मां दुर्गा की उत्पत्ति असुरों के राजा रंभ के पुत्र महिषासुर के वध से जुड़ी हुई है। पुराणों के मुताबिक, राक्षसराज महिषासुर ने तपस्या कर ब्रह्राा जी को प्रसन्न वरदान प्राप्त किया कि वह जब चाहे विकराल और भयंकर भैंसे का रूप धारण कर सके। इसके अलावा उसने वरदान पाया कि उसे कोई भी देवता या दानव युद्ध में हरा नहीं पाएगा। वरदान मिलने से महिषासुर बलशाली होने के साथ ही अंहकारी भी हो गया था। उसने स्वर्ग पर हमला किया और देवताओं को हराकर कब्जा कर लिया था। भगवान शिव और भगवान विष्णु भी उसे युद्ध में नहीं हरा पाए।
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देवताओं ने शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा को किया प्रकट
महिषासुर की शक्ति, अहंकार और अत्याचार लगातार बढ़ते चले गए। उसका आतंक तीनों लोकों में फैलने लगा। सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि उसके अत्याचारों से परेशान होने लगे थे। तब भगवान शिव और भगवान विष्णु ने सभी देवताओं से सलाह लेते हुए एक ऐसी योजना बनाई, जिसमें एक शक्ति को प्रगट कर महिषासुर का वध किया जा सके। सभी देवताओं ने एक साथ मिलकर एक तेज के रूप में शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा को प्रकट किया।
सभी देवताओं ने दिए अपने अपने शस्त्र
सभी देवताओं की शक्तियों को एक साथ एक जगह इकट्ठा करने से एक आकृति की उत्पत्ति हुई। सभी देवताओं की इस शक्ति को शिवजी ने त्रिशुल, विष्णु जी ने चक्र, ब्रह्राा जी कमल का फूल, वायु देवता से नाक व कान, पर्वतराज से कपड़े और शेर मिला। यमराज के तेज से मां शक्ति के केश बने, सूर्य के तेज से पैरों की अंगुलियां, प्रजापति से दांत और अग्रिदेव से आंखें मिलीं। इसके अलावा सभी देवताओं ने अपने शस्त्र और आभूषण उन्हें दिए।
नौवें दिन मां दुर्गा ने किया राक्षसराज महिषासुर का वध
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवताओं के तेज और शस्त्र पाकर जो देवी प्रगट हुईं, वो तीनों लोकों में अजेय और दुर्गम बनीं। युद्ध में बहुत भंयकर और दुर्गम होने के कारण इनका नाम मां दुर्गा पड़ा। इसके बाद शक्ति रूपी मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिन तक युद्ध हुआ। फिर नौवें दिन देवी दुर्गा ने राक्षसराज महिषासुर का वध कर दिया। जिन नौ दिनों तक मां दुर्गा ने महिषासुर के साथ वध किया, वहीं आज चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाए जाते हैं।
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