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Amarnath Yatra 2024: कठिन राह होने के बावजूद लोग क्यों करते हैं अमरनाथ यात्रा? महत्व जानकर दर्शन किए बिना नहीं रह पाएंगे आप, जानें किसने की थी गुफा की खोज
धार्मिक

Amarnath Yatra 2024: कठिन राह होने के बावजूद लोग क्यों करते हैं अमरनाथ यात्रा? महत्व जानकर दर्शन किए बिना नहीं रह पाएंगे आप, जानें किसने की थी गुफा की खोज

Amarnath Yatra 2024: हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा को बहुत कल्याणकारी माना गया है। अमरनाथ यात्रा करने के लिए भक्त पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से एक शिवलिंग बनता है, जिसे बाबा बर्फानी के नाम से भी जाना जाता है।

Amarnath Yatra 2024: 29 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा, दर्शन से मिलता है 100 गुना अधिक पुण्य

लाखों शिव भक्त, प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग के दर्शन करने के लिए अमरनाथ की कठिन यात्रा करते हैं। अमरनाथ तीर्थ, जो समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसे सनातन धर्म में सबसे पवित्र तीर्थों में से एक माना जाता है। बाबा अमरनाथ की यात्रा बेहद कठिन मानी जाती है। इसके बावजूद लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अमरनाथ यात्रा करने के लिए शिव भक्त पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं, जिससे उन्हें पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन प्राप्त हो सकें। अमरनाथ यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कभी बारिश तो कभी ठंड का मौसम हर कदम पर भक्तों की परीक्षा लेता है। लेकिन इन सब कठिनाइयों के बाद भी भक्त पूरे जोश से बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंचते हैं। सावन के महीने में अमरनाथ यात्रा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

पवित्र अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर में स्थित है। अमरनाथ यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होती है और श्रावण (सावन) पूर्णिमा तक बाबा अमरनाथ की यात्रा चलती है। इस दौरान लाखों शिव भक्त बाबा के दरबार में उनके दर्शन करने पहुंचते हैं। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक मानी गई है। Amarnath Yatra 2024 अमरनाथ गुफा में प्रकृतिक रूप से प्रकट होने वाले शिवलिंग को दुर्लभ माना जाता है। अमरनाथ की पवित्र गुफा में बर्फ के शिवलिंग रूप में कब प्रकट हो रहे हैं, इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है। लेकिन ऐसी मान्यता है कि यह गुफा स्मृतियों से लुप्त हो गई थी और करीब 150 पहले इसे दोबारा खोजा गया।

29 जून से शुरू हो रही यात्रा Amarnath Yatra 2024

बाबा बर्फानी की कठिन तीर्थयात्रा अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होने वाली है और 19 अगस्त तक चलेगी। यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण भी शुरू हो गया है। केदारनाथ यात्रा की तरह ही अमरनाथ यात्रा को भी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा माना जाता है। अमरनाथ गुफा जम्मू और कश्मीर के गंदेरबल जिले में 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो श्रीनगर से लगभग 140 किमी, पहलगाम से 45-48 किमी और बालटाल से 16 किमी दूर है।

Amarnath Yatra 2024

चढ़ाई के लिए हैं दो रास्ते Amarnath Yatra 2024

पहलगाम मार्ग को पूरा करने में 3 दिन लगते हैं। इस दौरान तीर्थ यात्रियों को लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इस मार्ग पर कोई खड़ी चढ़ाई नहीं है और इसमें कम कठिनाई वाली चढ़ाई करनी पड़ती है। तीर्थयात्री चंदनवाड़ी (16 किमी), शेषनाग (12 किमी) पर रुकते हैं और अंत में गुफा (20 किमी) तक पहुंचते हैं। वहीं अमरनाथ यात्रा का दूसरा बालटाल मार्ग तुलनात्मक रूप से छोटा है, लेकिन इसमें 14 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई शामिल है और यह अधिक चुनौतीपूर्ण है।

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दोनों मार्गों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध Amarnath Yatra 2024

बालटाल मार्ग बुजुर्ग तीर्थयात्रियों के लिए आदर्श नहीं माना जाता है। खासकर बरसात के मौसम के दौरान जब परिस्थितियां और भी कठिन हो जाती हैं। कई बार बर्फबारी भी यात्रियों के लिए चुनौती बन जाती है। अमरनाथ यात्रा पथ के कुछ इलाकों में तो इस साल 10 फीट तक बर्फबारी हुई। दोनों मार्गों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं लेकिन वे केवल पंजतरणी तक ही यात्रियों को ले जाते हैं। वहां से, तीर्थयात्रियों को गुफा तक पहुंचने के लिए लगभग 6 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।

केदारनाथ धाम की चढ़ाई अमरनाथ के मुकाबले आसान Amarnath Yatra 2024

यात्रा में सहायता के लिए कुली/पालकी भी रखे जा सकते हैं। वहीं बात अगर केदारनाथ की तो केदारनाथ धाम समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ धाम की चढ़ाई अमरनाथ के मुकाबले काफी आसान है लेकिन बारिश और बर्फबारी जैसी परेशानियां यहां भी हैं। अमरनाथ यात्रा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर उसी दिन फिर नीचे उतरना होता है। क्योंकि गुफा के पास रुकने की कोई जगह नहीं है। जबकि केदारनाथ धाम में मंदिर के पास कई होटल हैं, जहां लोग रात को रुकते हैं।

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अमरनाथ का बालटाल मार्ग काफी खतरनाक Amarnath Yatra 2024

केदारनाथ के मुकाबले अमरनाथ के आसपास के पहाड़ों पर बर्फ अधिक होती है, जिससे यात्रा अधिक ठंडी और चुनौतीपूर्ण हो जाती है। केदारनाथ ट्रैक 16 किलोमीटर लंबा है और अमरनाथ की तुलना में इसमें कम खड़ी चढ़ाई है। इसके अलावा, इसका पूरा ट्रैक अच्छी तरह से बनाया गया है, जबकि अमरनाथ का बालटाल मार्ग काफी खतरनाक है। केदारनाथ धाम में भी हेलीकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध है जो मंदिर के बिल्कुल सामने तक पहुंचाती है।

भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे अमरत्व के रहस्य Amarnath Yatra 2024

हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार, अमरनाथ वह पवित्र गुफा है जहां पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व के रहस्य के बारे में बताया था। पौराणिक ग्रंथों की मान्यता है कि जो भक्त इस पवित्र गुफा में बने बर्फ के शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी का दर्शन करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों के दर्शन करने के बराबर पुण्य मिलता है।

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अमरनाथ दर्शन से मिलता 100 गुना अधिक पुण्य Amarnath Yatra 2024

धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने से काशी में लिंग दर्शन से 10 गुना, प्रयागराज से 100 गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से 100 गुना अधिक पुण्य मिलता है। अमरनाथ तीर्थ करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यही कारण है कि शिव भक्त पूरे श्रद्धा भाव से इस कठिन यात्रा को पूरा करते हैं और बाबा बर्फानी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।

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लगातार 15 दिन तक रोजाना धीरे-धीरे बढ़ती है शिवलिंग Amarnath Yatra 2024

आपको बता दें कि पवित्र अमरनाथ गुफा प्रकट बाबा बर्फानी को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग जैसी आकृति प्रकट होती है, जो लगातार 15 दिन तक रोजाना धीरे-धीरे बढ़ती है। 15 दिन में बर्फ के इस शिवलिंग की ऊंचाई 2 गज से भी ज्यादा बढ़ जाती है। चंद्रमा के घटने के साथ ही शिवलिंग का आकार भी घटने लगता है और चांद के लुप्त होते ही शिवलिंग भी लुप्त हो जाता है।

15वीं शताब्दी में एक मुसलमान ने की थी गुफा की खोज Amarnath Yatra 2024

इसके साथ ही अमरनाथ में भगवान शिव के हिमलिंग दर्शन के साथ ही माता सती के शक्तिपीठ के भी दर्शन होते हैं। ऐसा अद्भुत संयोग कहीं और नहीं देखने को मिलता है। गुफा में बाबा बर्फानी के बिल्कुल साथ ही देवी पार्वती और भगवान गणेश की भी संरचना बनती है। आपको बता दें कि ऐसी मान्यताएं हैं कि 15वीं शताब्दी में एक मुसलमान गड़रिये ने इस गुफा की खोज की थी। उस गड़रिए का नाम बूटा मलिक था।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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