Protem Speaker Of Lok Sabha: कौन हैं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब? कौन करता है नियुक्ति और क्या होता है काम? एक क्लिक में जानें सब कुछ
Protem Speaker Of Lok Sabha: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोटेम स्पीकर यानी लोकसभा के अस्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। उड़ीसा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा सत्र के मद्देनजर इस पद पर नियुक्त किया गया है। अगले स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति तक वे सदन में स्पीकर की सभी जिम्मेदारियां निभाएंगे।
Protem Speaker Of Lok Sabha: लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है प्रोटेम स्पीकर, 24 जून से शुरू हो रहा पहला सत्र
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोटेम स्पीकर यानी लोकसभा के अस्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। उड़ीसा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा सत्र के मद्देनजर इस पद पर नियुक्त किया गया है। Protem Speaker Of Lok Sabha अगले स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति तक वे सदन में स्पीकर की सभी जिम्मेदारियां निभाएंगे। आपकाे बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 95 (1) के तहत भाजपा सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने बताया कि प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सुरेश कोडिकुन्नील, थलिककोट्टई राजुथेवर बालू, राधामोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंदोपाध्याय को भी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा उन्होंने आगे बताया कि भर्तृहरि महताब लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक पीठासीन अधिकारी के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
उड़ीसा के कटक से सांसद हैं भर्तहरि महताब
भर्तहरि महताब उड़ीसा के कटक से सांसद हैं। वे यहां से सात बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि उनकी नियुक्ति पर विवाद भी खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने वरिष्ठता को नजर अंदाज करने का आरोप लगाया है। आपको बता दें कि नई लोकसभा के गठन होने के बाद और लोकसभा अध्यक्ष के चयन से पहले प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है। संसदीय परंपरा के अनुसार प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य को तरजीह दी जाती है।
लोकसभा की पहली बैठक की करता है अध्यक्षता Protem Speaker Of Lok Sabha
वरिष्ठ सांसद सत्ता पक्ष या विपक्ष किसी का भी हो सकता है। इसके बाद सत्तारूढ़ दल संसदीय मामलों के मंत्रालय के जरिए प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति को भेजता है। राष्ट्रपति ही प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करते हैं। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर की अध्यक्षता में सभी लोकसभा सदस्य शपथ ग्रहण करते हैं। सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण के बाद लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होता है। बता दें कि देश में आजादी से अभी तक लोकसभा अध्यक्षों का चयन सर्वसम्मति से होता आया है। लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता प्रोटेम स्पीकर करता है।
24 जून से 18वीं लोकसभा का पहला सत्र Protem Speaker Of Lok Sabha
भर्तहरि महताब स्पीकर के चुनाव तक लोकसभा के पीठासीन अधिकारी के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा, जबकि नवनिर्वाचित सदस्य 24-25 जून को शपथ/प्रतिज्ञा लेंगे। वहीं, लोकसभा स्पीकर का चुनाव 26 जून को होना है। बता दें कि भर्तृहरि महताब की नियुक्ति से पहले प्रोटेम स्पीकर के लिए कांग्रेस नेता कोडिकुन्निल सुरेश का नाम चर्चा में था। कोडिकुन्निल सुरेश 8 बार के लोकसभा सांसद रहे हैं, लेकिन इन अटकलों पर विराम लग गया है।
सहायता के लिए इन लोगों की भी नियुक्ति Protem Speaker Of Lok Sabha
भर्तृहरि महताब 18वीं लोकसभा में अस्थायी अध्यक्ष होंगे। राष्ट्रपति ने 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसदों को लोकसभा स्पीकर के चुनाव तक शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत सुरेश कोडिकुन्निल, टीआर बालू, राधामोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को नियुक्त किया है।
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क्या है प्रो-टेम स्पीकर Protem Speaker Of Lok Sabha
प्रोटेम अध्यक्ष को लोकसभा का पीठासीन अधिकारी भी कहा जा सकता है। उसे रोजमर्रा की कार्यवाही करवानी होती है। वो नए अध्यक्ष के चुनाव तक सारी जिम्मेदारियां निभाएगा, यहां तक कि नए सदस्यों को शपथ भी दिलाएगा। हालांकि प्रो-टेम एक अस्थाई ओहदा है। ये तब तक काम करता है जब तक कि सदन का नया अध्यक्ष न चुन लिया जाए। बता दें कि स्पीकर का चुनाव बहुमत से होता है। संविधान में प्रो-टेम का जिक्र नहीं है। लेकिन संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर ऑफिशियल हैंडबुक में प्रो-टेम अध्यक्ष की नियुक्ति और शपथ ग्रहण पर बात की गई है।
कैसे होता है प्रो-टेम का चुनाव Protem Speaker Of Lok Sabha
इसका नियम ये है कि लोकसभा के सबसे सीनियर सदस्य को स्पीकर का ये अस्थाई पद दिया जाए। यहां वरिष्ठता का मतलब सदन में सदस्यता से है, न कि सदस्य की उम्र से। सरकार बनने के साथ ही अध्यक्ष पद खाली हो चुका होता है, तो भारत सरकार का लेजिस्लेटिव सेक्शन एक लिस्ट तैयार करता है। इसमें उन सारे सदस्यों के नाम होते हैं, जो सदन में सबसे वरिष्ठ हों। यह सूची संसदीय कार्य मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजी जाती है, ताकि एक सांसद प्रोटेम चुना जा सके।
राष्ट्रपति से मांगी जाती है स्वीकृति Protem Speaker Of Lok Sabha
पीएम की रजामंदी के बाद संसदीय कार्यमंत्री भी इस पर मुहर लगाते हैं, जिसके बाद राष्ट्रपति को ये नाम देते हुए उनसे स्वीकृति मांगी जाती है। प्रेसिडेंट ही राष्ट्रपति भवन में प्रोटेम को लोकसभा की अस्थाई अध्यक्षता की शपथ दिलाते हैं। प्रोटेम स्पीकर के पास अध्यक्ष की तरह मौलिक शक्तियां नहीं होती हैं। संसद की तरह ही विधानसभा के लिए भी ट्रांजिशन के समय इनकी नियुक्ति होती है, यानी जब एक विधानसभा खत्म होकर नई विधानसभा शुरू हो रही हो। ऐसे में अस्थाई अध्यक्ष जरूरी हो जाता है। संसद से अलग, यहां प्रो-टेम की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं।
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