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Lord Shiv Incarnations: भगवान विष्णु ने ही नहीं, देवों के देव महादेव ने भी लिए हैं कई अवतार, यहां जानें कब और क्यों शिव को लेना पड़ा अवतार

Lord Shiv Incarnations: श्रीहरि विष्णु की तरह शिवजी ने भी अनेक अवतार लिए। महावीर हनुमान उनके 11वें रुद्र अवतार माने गए हैं। उनका पहला स्वरूप 'महाकाल' को माना गया है। यही वह रूप है, जो संहार का प्रतीक है। इन्‍हें काल भी कहा जाता है।

Lord Shiv Incarnations: ये हैं देवों के देव महादेव के चर्चित अवतार

सावन का पवित्र महीना चल रहा है। जोकि शिवजी का प्रिय माह माना जाता है। इस माह भक्त श्रद्धाभाव से व्रत रखकर शिव की अराधना करते हैं। शिवजी त्रिदेवों में से एक हैं। ब्रह्मदेव जहां सृष्टि के रचयिता माने गए हैं, वहीं विष्णु पालक और शिव संहारक माने गए हैं। विष्णु को हरि और शिव को हर कहा जाता है। धर्मशास्त्रों में हरि के 24 अवतारों का वर्णन है, उसी प्रकार ‘हर’ के 19 अवतारों का उल्लेख है। यहां आज हम आपको शिव महापुराण में बताए गए शिव जी के कुछ अंश अवतारों का उल्लेख करेंगे। आपको बता दें कि शिवजी ने कई रुद्रावतार लिए, जिनमें 11वें रुद्र अवतार महावीर हनुमान माने गए हैं। शिवजी का पहला स्वरूप ‘महाकाल’ को माना गया है। यही वह रूप है, जो संहार का प्रतीक है। इन्‍हें काल भी कहा जाता है। जब कोई भी प्राणी देह त्यागता है तो ‘काल’ का नाम आता है। बहुत सारे भक्तजन शिवजी को ‘महाकाल’ ही कहते हैं। शिव पुराण में शिव जी के अलग-अलग अवतारों की कथाएं बताई गई है। शिव के अवतारों में पिप्पलाद, नंदी, भैरव, अश्वत्थामा, शरभ, ऋषि दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, किरात अवतार आदि शामिल हैं। यहां जानिए शिव जी के खास अवतारों के बारे में…

शरभ अवतार Lord Shiv Incarnations

शरभ अवतार

भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नृसिंह अवतार लिया था। हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भी नृसिंह शांत नहीं हो रहे थे। तब शिव जी ने शरभ के रूप में अवतार लिया। भगवान शिव आधे हिरण और आधे शरभ पक्षी के रूप में प्रकट हुए थे। शरभ आठ पैर वाला एक जानवर था, जो कि शेर से भी ज्यादा शक्तिशाली था। शरभ जी ने नृसिंह भगवान को शांत करने के लिए प्रार्थना की थी, लेकिन वे शांत नहीं हुए। वे इसी रूप में भगवान नृसिंह के पास पहुंचे तथा उनकी स्तुति की, लेकिन नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ। तब शरभ जी ने अपनी पूंछ में नृसिंह जी को लपेटा और उड़ गए। इसके बाद नृसिंह जी शांत हुए और शरभावतार से क्षमा मांगी।

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पिप्पलाद मुनि Lord Shiv Incarnations

पिप्पलाद मुनि

पिप्पलाद मुनि को भी शिव जी का अवतार माना गया है। वे दधीचि ऋषि के पुत्र थे। दधीची अपने पुत्र को बचपन में ही छोड़कर चले गए थे। एक दिन पिप्पलाद ने देवताओं से इसकी वजह पूछी तो देवताओं ने कहा कि शनि की वजह से ऐसा कुयोग बना था, जिसकी वजह से पिता-पुत्र बिछड़ गए। ये सुनकर पिप्पलाद ने शनि को नक्षत्र मंडल से गिरने का शाप दे दिया। शाप की वजह से शनि गिरने लगे तो देवताओं ने शनि को क्षमा करने की प्रार्थना पिप्पलाद जी से की। तब पिप्पलाद ने शनि को किसी व्यक्ति को जन्म के बाद 16 साल कष्ट न देने का निवेदन किया था, शनि ये बात मान ली। इसके बाद से पिप्पलाद मुनि का नाम लेने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं।

नंदी अवतार Lord Shiv Incarnations

नंदी अवतार

शिलाद मुनि एक ब्रह्मचारी ऋषि थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था तो एक दिन उनके पितरों ने शिलाद से संतान पैदा करने के लिए कहा, ताकि उनका वंश आगे बढ़ सके। इसके बाद शिलाद ने संतान पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की। तब शिव जी ने स्वयं शिलाद के यहां पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। कुछ समय बाद हल चलाते समय शिलाद मुनि को भूमि से एक बालक मिला। शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा। शिव जी ने नंदी को गणाध्यक्ष बनाया। इस तरह नंदी नंदीश्वर बन गए।

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भैरव देव Lord Shiv Incarnations

शिवपुराण के मुताबिक भैरव देव शिव जी के स्वरूप हैं। एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी खुद को श्रेष्ठ बता रहे थे, विवाद कर रहे थे। तभी वहां शिव जी तेजपुंज से एक व्यक्ति के रूप में प्रकट हुए। उस समय ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम मेरे पुत्र हो। ये सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया। तब शिव जी ने उस व्यक्ति से कहा कि काल की तरह दिखने की वजह से आप कालराज हैं और भीषण होने से भैरव हैं। कालभैरव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था। इसके बाद काशी में कालभैरव को ब्रह्महत्या के दोषी से मुक्ति मिली थी।

अश्वथामा Lord Shiv Incarnations

महाभारत के समय द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को शिव जी का ही अंशावतार माना जाता है। द्रोणाचार्य ने शिव जी को पुत्र रूप में पाने के लिए तप किया था। शिव जी ने उन्हें वर दिया था कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकालकर कलियुग के अंत तक भटकते रहना का शाप दिया था।

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वीरभद्र Lord Shiv Incarnations

वीरभद्र

जब सती ने अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ में कूदकर देह त्याग दिया तो शिव जी बहुत क्रोधित हो गए थे। उस समय शिव जी ने अपनी जटा से वीरभद्र को प्रकट किया था। वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव जी दक्ष के धड़ पर बकरे का मुंह लगाकर उसे फिर से जीवित कर दिया था।

दुर्वासा मुनि Lord Shiv Incarnations

दुर्वासा मुनि

अनुसूइया और उनके पति महर्षि अत्रि ने पुत्र प्राप्त करने के लिए तप किया था। तप से प्रसन्न होकर उनके सामने ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी प्रकट हुए थे। तब तीनों भगवानों ने कहा था कि हमारे अंश से तुम्हारे तीन पुत्र पैदा होंगे। इसके बाद अनुसूइया और अत्रि के यहां ब्रह्मा जी के अंश से चंद्र, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और शिव जी के अंश से दुर्वासा मुनि ने जन्म लिया था।

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हनुमान Lord Shiv Incarnations

हनुमान

श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को शिव जी का ही अवतार माना गया है। हनुमान जी देवी सीता के वरदान की वजह से अजर-अमर हैं यानी हनुमान जी कभी बूढ़े नहीं होंगे और अमर रहेंगे।

किरात अवतार Lord Shiv Incarnations

किरात अवतार

महाभारत में अर्जुन शिव जी से दिव्यास्त्र पाने के लिए तप कर रहे थे। उस समय एक असुर सूअर के रूप में अर्जुन को मारने के लिए पहुंच गया था। जब अर्जुन ने सूअर पर बाण छोड़ा तो उसी समय एक किरात वनवासी ने बाण सूअर को मारा था। एक साथ दोनों के बाण उस सूअर को लगे। इसके बाद अर्जुन और किरात के बीच उस सूअर पर अधिकार पाने के लिए युद्ध हुआ था। युद्ध में अर्जुन की वीरता देखकर शिव जी प्रसन्न हुए और अर्जुन को दिव्यास्त्र दिया।

अर्द्धनारिश्वर Lord Shiv Incarnations

अर्धनारीश्वर

​​​​​​​​​​शिवपुराण के मुताबिक ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना कर दी थी, लेकिन सृष्टि आगे नहीं बढ़ रही थी। तभी ब्रह्मा जी के सामने आकाशवाणी हुई कि उन्हें मैथुनी सृष्टि की रचना करनी चाहिए। इसके बाद ब्रह्मा जी ने शिव जी प्रसन्न करने के लिए तप किया। शिव जी अर्द्धनारिश्वर के रूप में प्रकट हुए। इसके बाद शिव जी ने अपने शरीर से शक्ति यानी देवी को अलग किया और इसके बाद से सृष्टि आगे बढ़ने लगी।

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गृहपति अवतार Lord Shiv Incarnations

विश्वानर नाम के एक मुनि थे और उनकी पत्नी का नाम शुचिष्मती था। वह कई समय से संतान की कामना कर रहे थे और एक दिन शुचिष्मती ने कहा कि उनक शिव के समान पुत्र हो। उनकी यह बात सुनकर मुनि शिव की अराधना के लिए काशी चले गए और उन्होंने शिव के बालरूपधारी में पूजा की। भगवान शिव उनकी पूजा से प्रसन्न हुए और उन्होनें मुनि के घर गृहपति अवतार लिया।

ब्रह्मचारी अवतार Lord Shiv Incarnations

ब्रह्मचारी अवतार

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब सति में अपने प्राण त्याग दिए थे, तो उन्होंने अपना अगला जन्म हिमालय की पुत्री के रूप में लिया। उन्होनें फिर से शिवजी को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी परीक्षा लेने के लिए शिवजी ने ब्रह्माचारी का अवतार धारण किया।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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