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Film Crakk Review: जबरदस्त एक्शन और स्टंट से भरा विद्युत जामवाल की नई फिल्म ‘क्रैक’, सिनेमाघरों में दें चूँकि है दस्तक

विद्युत जामवाल की मच अवेटेड फिल्म ‘क्रैक’ सिनेमाघरों में शुक्रवार को दस्तक दे चुकी है। ये एक फुल एक्शन फिल्म है जिसमें अर्जुन रामपाल, नोरा फतेही और एमी जैक्सन ने अहम भूमिका निभाई है। ‘क्रैक’ फिल्म की जान सिर्फ और सिर्फ विद्युम जामवाल हैं। उनके आलावा इस फिल्म में देखने लायक कुछ भी नहीं है।

Film Crakk Review: अगर पर्दे पर एक्शन देखने के हैं शौकीन, विद्युत जामवाल कि ये फिल्म आपको आएंगी बेहद पसंद


Film Crakk Review: क्रैक की कहानी सिद्धू (विद्युत जामवाल) के इर्द गिर्द घूमती है, जो मुंबई के स्लम एरिया से आता है। वह अंडरग्राउंड स्पोर्ट्स चैंपियनशिप Maidaan में पार्टिसिपेट करना चाहता है, लेकिन जब उसे ये मौका मिलता है तो उसे देव (अर्जुन रामपाल) के काले कारनामों का पता चल जाता है, जो पूरे गेम को कंट्रोल करता है। अब सिद्धू किस तरह देव के बुरे कामों का पर्दाफाश कर पाता है कि नहीं ये जानने के लिए आपको थिएटर का रुख करना पड़ेगा। एमी जैक्शन ने पुलिस ऑफिसर पैट्रिका नोवाक की भूमिका निभाई है। वहीं, नोरा फतेही Maidaan की सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर बनी हैं, जो सिद्धू का साथ देती है। अर्जुन रामपाल और विद्युत जामवाल के फाइट सीक्वेंस से फिल्म में तड़का लगाने की कोशिश की गई है, जो कुछ हद तक सफल नजर आते हैं.

फिल्म की कहानी क्या है?

कहानी मुंबई के रहने वाले सिद्धार्थ दीक्षित (विद्युत जामवाल) की है, जो हर वक्त स्टंट और हैरतअंगेज कारनामें करता है। कहानी की शुरुआत ही एक ट्रेन सीक्वेंस से होती है, जिसमें सिद्धार्थ यानी विद्युत खतरनाक स्टंट करते नजर आता है।
सिद्धार्थ का सपना है कि वो पोलैंड में हो रहे एक एक्सट्रीम स्पोर्ट्स इवेंट में हिस्सा ले। हालांकि यह कोई नॉर्मल गेम कॉम्पिटिशन नहीं बल्कि यहां भाग ले रहे कैंडिडेट्स को विनर बनने के लिए अपनी जान की बाजी लगानी होगी। सिद्धार्थ के माता-पिता उसे इस गेम में हिस्सा लेने से मना करते हैं, क्योंकि सिद्धार्थ के बड़े भाई ने इसी गेम की वजह से अपनी जान गंवा दी थी। सिद्धार्थ अब इस खतरनाक खेल का हिस्सा बनने पोलैंड निकल जाता है। वहां उसकी मुलाकात अर्जुन रामपाल यानी देव से होती है। देव इस गेम का ऑर्गेनाइजर है। सिद्धार्थ को वहां जाकर पता चलता है कि उसके बड़े भाई की मौत धोखे से हुई रहती है। अब सिद्धार्थ का लक्ष्य बदल जाता है। वो अब अपने भाई के कातिल को ढूंढना शुरू कर देता है।

कैसी है फिल्म?

विद्युत जामवाल की क्रैक ठीक-ठाक है। इसे बार तो देखा जा सकता है। फर्स्ट हाफ में एक एक्शन सीक्वेंस के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं है जो इम्प्रेसिव हो। सेकंड हाफ में भी यही होता है। दो प्रमुख एक्शन सीक्वेंस आकर्षक हैं। फिल्म में विद्युत जामवाल और अर्जुन रामपाल का शर्टलेस होकर फाइट करना शानदार लगता है।

डायरेक्शन कैसा है?

फिल्म के डायरेक्टर आदित्य दत्त हैं। उन्होंने विद्युत और अर्जुन रामपाल से उनका बेस्ट निकलवाने की कोशिश की है। फर्स्ट हाफ काफी हद तक सही रखा है, लेकिन सेकेंड हाफ का पहला कुछ पोर्शन बोरिंग है। कुछ-कुछ सीन बेवजह रखे गए हैं। स्टोरी पर थोड़ा और काम करना चाहिए था। डायरेक्टर से ज्यादा फिल्म के स्टंट कोरियोग्राफर की बात होनी चाहिए। उन्होंने हर एक्शन सीक्वेंस को ऐसा रखा है, जो देखने में बिल्कुल ओरिजिनल लगते हैं। स्टंट कोरियोग्राफर रवि वर्मा को अपने काम के लिए पूरे नंबर मिलने चाहिए। इसके अलावा सिनेमैटोग्राफर मार्क हैमिल्टन का काम भी लाजवाब है।

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फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर इसकी जान है। फिल्म के सारे एक्शन सीक्वेंस के बैकग्राउंड में बज रहा म्यूजिक थ्रिल पैदा करता है। ये कानों को बिल्कुल नहीं चुभते, बल्कि एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। फिल्म में एक-दो गाने हैं, जो सोशल मीडिया पर पहले से हिट हो रहे हैं।

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