World Tsunami Awareness Day: विश्व सूनामी जागरूकता दिवस 2025, समुद्री आपदाओं से बचाव का वैश्विक अभियान
World Tsunami Awareness Day, हर साल 5 नवंबर को दुनिया भर में विश्व सूनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day) मनाया जाता है।
World Tsunami Awareness Day : सूनामी क्या है? जानिए कैसे बनती हैं समुद्र की भयावह लहरें
World Tsunami Awareness Day, हर साल 5 नवंबर को दुनिया भर में विश्व सूनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को सूनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूक करना, उनके कारणों को समझना और बचाव के उपायों को अपनाना है। सूनामी एक ऐसी भयावह आपदा है जो कुछ ही मिनटों में पूरी बस्तियों को नष्ट कर सकती है। इस दिवस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न देश लोगों को चेतावनी प्रणालियों, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करते हैं।
सूनामी क्या है?
“सूनामी” शब्द जापानी भाषा के दो शब्दों ‘त्सु’ (बंदरगाह) और ‘नामी’ (लहर) से बना है, जिसका अर्थ है “बंदरगाह की लहर”। यह विशाल समुद्री लहरें तब उत्पन्न होती हैं जब समुद्र के अंदर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन जैसी घटनाएं घटित होती हैं। इन लहरों की गति 700 से 800 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है, और जब ये तटीय इलाकों तक पहुंचती हैं तो विनाशकारी रूप ले लेती हैं।
विश्व सूनामी जागरूकता दिवस का इतिहास
विश्व सूनामी जागरूकता दिवस मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 22 दिसंबर 2015 को की थी। इसे हर साल 5 नवंबर को मनाने का निर्णय लिया गया, क्योंकि इस दिन जापान में सूनामी से जुड़ी ऐतिहासिक घटना घटी थी। 1854 में जापान के हिरोकावा प्रांत में एक व्यक्ति “हमागुची गोयो” ने सूनामी आने से पहले गांववालों को चेतावनी देकर उनकी जान बचाई थी। उन्होंने खेतों में जलते हुए धान के गट्ठर दिखाकर लोगों को ऊंचाई की ओर भागने को कहा था। उनके इस साहसिक कार्य को याद करते हुए 5 नवंबर का दिन विश्व सूनामी जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया गया।
सूनामी के प्रमुख कारण
सूनामी के उत्पन्न होने के कई भूवैज्ञानिक कारण होते हैं –
- समुद्री भूकंप: समुद्र के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल से जब धरातल खिसकता है, तब पानी की बड़ी मात्रा ऊपर की ओर धकेली जाती है, जिससे सूनामी उत्पन्न होती है।
- ज्वालामुखी विस्फोट: समुद्री ज्वालामुखियों के फटने से भी पानी का असंतुलन होता है और बड़ी लहरें उठती हैं।
- भूस्खलन या ग्लेशियर का टूटना: समुद्र में गिरने वाले बड़े चट्टान या बर्फ के टुकड़े भी सूनामी का कारण बन सकते हैं।
- उल्का पिंड का गिरना: यह दुर्लभ घटना है, लेकिन यदि बड़ा उल्का पिंड समुद्र में गिरता है तो सूनामी जैसी लहरें पैदा हो सकती हैं।
सूनामी के विनाशकारी प्रभाव
सूनामी का प्रभाव सिर्फ भौगोलिक नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी विनाशकारी होता है।
- तटीय इलाकों में हजारों लोगों की जान चली जाती है।
- घर, इमारतें, सड़कें और बंदरगाह नष्ट हो जाते हैं।
- जल प्रदूषण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- मत्स्य पालन, पर्यटन और व्यापार पर भारी असर पड़ता है।
भारत में वर्ष 2004 में आई सूनामी ने तमिलनाडु, अंडमान-निकोबार और आंध्र प्रदेश में भारी तबाही मचाई थी। लगभग 10,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और लाखों लोग बेघर हो गए थे।
विश्व सूनामी जागरूकता दिवस का उद्देश्य
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सूनामी के प्रति लोगों में जागरूकता और तैयारी (Preparedness) को बढ़ाना है।
- लोगों को सूनामी के चेतावनी संकेतों के बारे में शिक्षित करना।
- आपदा के समय सुरक्षित स्थान पर जाने की जानकारी देना।
- स्कूलों, संस्थानों और समुदायों में ड्रिल (अभ्यास) आयोजित करना।
- वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सुधार के माध्यम से सटीक चेतावनी प्रणाली विकसित करना।
सूनामी से बचाव के उपाय
सूनामी को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन तैयारी और सही प्रतिक्रिया से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- सूनामी चेतावनी प्रणाली (Tsunami Warning System) का पालन करें।
- भूकंप के तुरंत बाद तटीय क्षेत्रों से ऊंचाई वाले स्थानों की ओर जाएं।
- समुद्र का पानी अचानक पीछे हट जाए तो यह सूनामी का संकेत हो सकता है — तुरंत दूर भागें।
- बच्चों और बुजुर्गों को पहले सुरक्षित स्थान पर पहुंचाएं।
- रेडियो या मोबाइल पर जारी चेतावनियों को ध्यानपूर्वक सुनें।
- आपातकालीन बैग तैयार रखें — जिसमें पानी, दवा, टॉर्च, और जरूरी दस्तावेज हों।
भारत में सूनामी की तैयारी
भारत सरकार ने इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (INCOIS) की स्थापना की है, जो सूनामी की संभावनाओं पर निगरानी रखता है। इस केंद्र से दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के कई देशों को भी चेतावनी जारी की जाती है। इसके अलावा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) भी सूनामी से बचाव और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
वैश्विक सहयोग और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र सूनामी जागरूकता दिवस के माध्यम से देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य है –
- सभी देशों में सूनामी चेतावनी नेटवर्क स्थापित करना।
- आपदा जोखिम घटाने के लिए Sendai Framework for Disaster Risk Reduction (2015–2030) को लागू करना।
- स्थानीय समुदायों और स्कूलों को प्रशिक्षित करना ताकि वे आपदा की स्थिति में त्वरित निर्णय ले सकें।
विश्व सूनामी जागरूकता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति के सामने मनुष्य कितना असहाय है, लेकिन जागरूकता, तकनीक और सामूहिक प्रयासों से नुकसान को कम किया जा सकता है।
हमें सूनामी के प्रति सचेत रहना चाहिए, इसके संकेतों को समझना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को भी तैयार रखना चाहिए।
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