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World Pediatric Bone and Joint Day: विश्व शिशु अस्थि और जोड़ दिवस, बच्चों की हड्डियों की मजबूती के लिए जागरूकता का अभियान

World Pediatric Bone and Joint Day, हर वर्ष 19 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व शिशु अस्थि और जोड़ दिवस (World Pediatric Bone and Joint Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बच्चों की हड्डियों (Bones) और जोड़ों (Joints) से संबंधित बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

World Pediatric Bone and Joint Day : कैल्शियम, धूप और व्यायाम, बच्चों की हड्डियों की सेहत के तीन स्तंभ

World Pediatric Bone and Joint Day, हर वर्ष 19 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व शिशु अस्थि और जोड़ दिवस (World Pediatric Bone and Joint Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बच्चों की हड्डियों (Bones) और जोड़ों (Joints) से संबंधित बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। अक्सर हम बच्चों के सामान्य विकास पर ध्यान तो देते हैं, लेकिन उनकी हड्डियों की मजबूती और जोड़ संबंधी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं। यही कारण है कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वस्थ शरीर की नींव मज़बूत हड्डियों और लचीले जोड़ों पर ही टिकती है।

विश्व शिशु अस्थि और जोड़ दिवस का इतिहास

World Pediatric Bone and Joint Day की शुरुआत 2012 में हुई थी। इसे United States Bone and Joint Initiative (USBJI) द्वारा शुरू किया गया था। इस पहल का उद्देश्य था बच्चों में हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी बीमारियों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना, क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ यह समस्याएँ दीर्घकालिक रूप ले सकती हैं। इस दिवस को मनाने का विचार इस सोच से आया कि जैसे बड़े लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना), गठिया (Arthritis) जैसी बीमारियाँ गंभीर रूप लेती हैं, वैसे ही बच्चों में भी शुरुआती देखभाल न होने पर वही स्थितियाँ आगे चलकर खतरनाक बन सकती हैं।

बच्चों की हड्डियों और जोड़ों की समस्याएँ

बच्चों में हड्डियों और जोड़ों से संबंधित कई समस्याएँ देखने को मिलती हैं। इनमें प्रमुख हैं —

  1. विकास संबंधी विकार (Growth Disorders): कई बार बच्चों की हड्डियाँ ठीक से विकसित नहीं होतीं, जिससे शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है।
  2. कैल्शियम और विटामिन D की कमी: यह समस्या आजकल बहुत आम हो गई है, क्योंकि बच्चे पर्याप्त धूप नहीं लेते और पौष्टिक आहार नहीं खाते।
  3. फ्रैक्चर या चोटें: खेलते-कूदते समय गिरने से हड्डियों में चोट लगना या फ्रैक्चर होना भी आम है।
  4. जोड़ों में दर्द (Juvenile Arthritis): यह बीमारी बच्चों में भी देखी जा रही है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं हड्डियों और जोड़ों पर हमला करती है।
  5. स्कोलियोसिस (Scoliosis): रीढ़ की हड्डी का तिरछा होना, जो बढ़ते बच्चों में विशेष देखभाल की मांग करता है।

इन सभी स्थितियों का समय पर निदान और उपचार बेहद जरूरी है ताकि बच्चा स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सके।

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बच्चों की हड्डियों को मजबूत रखने के उपाय

बच्चों की हड्डियों और जोड़ों की सेहत बनाए रखने के लिए माता-पिता और शिक्षकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए —

  1. संतुलित आहार दें: दूध, दही, पनीर, बादाम, अंडे, मछली और हरी सब्जियों में मौजूद कैल्शियम और प्रोटीन हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
  2. धूप का सेवन: रोज़ाना कम से कम 20-30 मिनट सुबह की धूप में खेलना या टहलना जरूरी है, जिससे शरीर में विटामिन D का निर्माण होता है।
  3. फिजिकल एक्टिविटी: बच्चों को मोबाइल या टीवी से दूर रखकर आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें।
  4. सही पोश्चर: बैठने और चलने का तरीका सही होना चाहिए, वरना रीढ़ की हड्डी पर गलत दबाव पड़ता है।
  5. कैल्शियम और विटामिन सप्लीमेंट्स: अगर डॉक्टर सलाह दें तो इनका सेवन करवाया जा सकता है।

डॉक्टर की भूमिका

बाल अस्थि रोग विशेषज्ञ (Pediatric Orthopedic Surgeons) बच्चों के हड्डी-जोड़ से जुड़े रोगों का निदान और इलाज करते हैं। वे न केवल इलाज करते हैं, बल्कि रोकथाम (Prevention) पर भी ज़ोर देते हैं।
इस दिन विशेषज्ञ स्कूलों और समुदायों में जाकर जागरूकता अभियान चलाते हैं ताकि हर माता-पिता अपने बच्चे की हड्डियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।

2025 की थीम

हर वर्ष की तरह 2025 के लिए भी विश्व शिशु अस्थि और जोड़ दिवस की एक विशेष थीम रखी गई है “Strong Bones, Active Kids” (मजबूत हड्डियाँ, सक्रिय बच्चे)। इस थीम का उद्देश्य बच्चों में खेल, व्यायाम और पोषक आहार के महत्व को रेखांकित करना है। यह संदेश देता है कि स्वस्थ हड्डियाँ ही बच्चों को जीवनभर सक्रिय और ऊर्जावान बनाए रखती हैं।

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जीवनशैली में सुधार की जरूरत

आज के डिजिटल युग में बच्चे स्क्रीन के आगे अधिक समय बिताते हैं, जिससे उनकी शारीरिक गतिविधियाँ घट जाती हैं। यह न केवल मोटापे बल्कि हड्डियों की कमजोरी की भी बड़ी वजह है।
अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को ऐसी दिनचर्या अपनाने के लिए प्रेरित करें जिसमें —

  • नियमित खेलकूद,
  • पौष्टिक भोजन,
  • पर्याप्त नींद,
  • और तनावमुक्त जीवन शामिल हो।

भारत में स्थिति

भारत में भी बच्चों में कैल्शियम और विटामिन D की कमी तेजी से बढ़ रही है। राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के अनुसार, करीब 40% भारतीय बच्चों में हड्डी संबंधी कमजोरी पाई गई है। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में बच्चों को संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के महत्व की शिक्षा देना बेहद आवश्यक है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा स्कूल हेल्थ प्रोग्राम, मिड-डे मील योजना और आंगनवाड़ी कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। विश्व शिशु अस्थि और जोड़ दिवस केवल डॉक्टरों या स्वास्थ्य संगठनों का दिन नहीं है, बल्कि हर माता-पिता, शिक्षक और समाज का यह दायित्व है कि वह बच्चों की शारीरिक सेहत को प्राथमिकता दें। अगर बचपन में ही सही खान-पान, पर्याप्त धूप और शारीरिक सक्रियता पर ध्यान दिया जाए, तो भविष्य में अस्थि और जोड़ संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है।

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