World Hospice and Palliative Care Day: हर सांस में सम्मान, जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व होस्पिस और उपशामक देखभाल दिवस
World Hospice and Palliative Care Day, हर साल अक्टूबर के दूसरे शनिवार को वर्ल्ड हॉस्पिस एंड पेलियेटिव केयर डे (World Hospice and Palliative Care Day) मनाया जाता है।
World Hospice and Palliative Care Day : देखभाल से बढ़कर इंसानियत, होस्पिस और पेलिएटिव केयर का महत्व समझें
World Hospice and Palliative Care Day, हर साल अक्टूबर के दूसरे शनिवार को वर्ल्ड हॉस्पिस एंड पेलियेटिव केयर डे (World Hospice and Palliative Care Day) मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों को समर्पित है जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं और जिन्हें जीवन के अंतिम चरण में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है। इस दिन का उद्देश्य पेलियेटिव केयर (Palliative Care) की अहमियत को समझना और समाज में करुणा, देखभाल और मानवता का संदेश फैलाना है।
वर्ल्ड हॉस्पिस एंड पेलियेटिव केयर डे का इतिहास
इस दिवस की शुरुआत 2005 में ‘World Hospice and Palliative Care Alliance (WHPCA)’ द्वारा की गई थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो दुनिया भर में पेलियेटिव केयर सेवाओं को बढ़ावा देने और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने का काम करता है। हर साल इस दिन को एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, ताकि लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के साथ-साथ देखभाल और संवेदना के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके।
पेलियेटिव केयर क्या है?
पेलियेटिव केयर (Palliative Care) का अर्थ है — ऐसी देखभाल जो गंभीर या लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दर्द और कष्ट से राहत दे। यह केवल शारीरिक उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि मरीज और उसके परिवार दोनों को भावनात्मक, मानसिक, और आध्यात्मिक सहारा देने पर केंद्रित है।
उदाहरण के लिए —
- कैंसर,
- हृदय रोग,
- किडनी फेल्योर,
- अल्जाइमर,
- या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को पेलियेटिव केयर की जरूरत होती है।
हॉस्पिस केयर क्या है?
हॉस्पिस केयर (Hospice Care) उन मरीजों के लिए होती है जिनकी बीमारी का इलाज अब संभव नहीं है और जो अपने जीवन के अंतिम दिनों में हैं। इसका उद्देश्य मरीज को आराम, सम्मान और सुकून प्रदान करना है, ताकि वे शांति से और गरिमा के साथ जीवन के आखिरी पल बिता सकें। हॉस्पिस में डॉक्टर, नर्स, काउंसलर और वॉलंटियर मिलकर मरीज और उनके परिवार का संपूर्ण सहयोग करते हैं।
वर्ल्ड हॉस्पिस एंड पेलियेटिव केयर डे का उद्देश्य
- जागरूकता बढ़ाना:
आम लोगों को यह समझाना कि पेलियेटिव केयर केवल “मौत के बाद की सेवा” नहीं है, बल्कि यह “जीवन की गुणवत्ता सुधारने वाली सेवा” है। - मानवता और करुणा को बढ़ावा देना:
इस दिन समाज को यह संदेश दिया जाता है कि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के साथ सहानुभूति और संवेदना दिखाना भी एक बड़ी सेवा है। - सरकारी और संस्थागत समर्थन:
सरकारों और स्वास्थ्य संस्थाओं को प्रेरित करना कि वे पेलियेटिव केयर सेवाओं को अपने स्वास्थ्य ढांचे का हिस्सा बनाएं। - स्वास्थ्यकर्मियों का सम्मान:
उन डॉक्टरों, नर्सों और वॉलंटियर्स को धन्यवाद देना जो निःस्वार्थ भाव से इन मरीजों की देखभाल करते हैं।
पेलियेटिव केयर का महत्व
- दर्द और तकलीफ से राहत:
यह मरीजों को उनके शारीरिक दर्द और असुविधा से राहत देती है, जिससे उनका जीवन थोड़ा सहज बनता है। - भावनात्मक सहारा:
बीमारी के दौरान मरीज और उनके परिवार दोनों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। पेलियेटिव केयर उन्हें स्थिरता और शांति प्रदान करती है। - जीवन की गुणवत्ता में सुधार:
इलाज संभव न होने के बावजूद मरीज के जीवन के हर दिन को सार्थक और सुकूनभरा बनाने पर ध्यान दिया जाता है। - परिवार के लिए सहायता:
यह देखभाल परिवार को भी तैयार करती है कि वे कठिन समय में मजबूत रहें और अपने प्रियजन को प्यार और सम्मान के साथ विदा करें।
भारत में पेलियेटिव केयर की स्थिति
भारत में पेलियेटिव केयर की अवधारणा धीरे-धीरे विकसित हो रही है।
केरल राज्य इस क्षेत्र में सबसे आगे है। वहां “पेन एंड पेलियेटिव केयर सोसाइटी” जैसी संस्थाएं समुदाय आधारित देखभाल मॉडल चला रही हैं, जहां स्थानीय लोग भी इस सेवा में भाग लेते हैं।
हालांकि, देश के कई हिस्सों में अब भी पेलियेटिव केयर सेवाओं की कमी है। इसके लिए जरूरत है —
- प्रशिक्षित स्टाफ,
- सरकारी नीतियों में बदलाव,
- और जन-जागरूकता अभियानों की।
हॉस्पिस केयर से जुड़ी मानवीय कहानियाँ
कई देशों में हॉस्पिस सेंटर ऐसे स्थान बन चुके हैं जहाँ मरीज अपने जीवन के आखिरी पल प्रेम, संगीत, ध्यान और सकारात्मक वातावरण में बिताते हैं। कई मरीजों ने कहा है कि हॉस्पिस केयर ने उन्हें “मृत्यु के डर” से मुक्त कर दिया और “जीवन के हर पल को जीने” की प्रेरणा दी।
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वर्ल्ड हॉस्पिस एंड पेलियेटिव केयर डे कैसे मनाया जाता है?
- सेमिनार और वेबिनार:
अस्पतालों और एनजीओ द्वारा इस विषय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि लोग जागरूक हो सकें। - कैंडल मार्च या प्रार्थना सभा:
उन मरीजों की याद में जिन्हें पेलियेटिव केयर मिली, और उन कर्मियों के सम्मान में जिन्होंने सेवा दी। - सोशल मीडिया कैंपेन:
#WorldHospiceDay और #PalliativeCareDay जैसे हैशटैग के जरिए लोग ऑनलाइन संवेदनशीलता का संदेश फैलाते हैं। - हॉस्पिस विजिट्स:
कई लोग हॉस्पिस सेंटर्स जाकर मरीजों से मिलते हैं, उनका मनोबल बढ़ाते हैं और वॉलंटियर सेवा करते हैं।
करुणा ही सच्ची चिकित्सा है
पेलियेटिव और हॉस्पिस केयर हमें सिखाते हैं कि चिकित्सा सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि प्यार, सहानुभूति और सम्मान से भी होती है। कभी-कभी मरीज को सबसे ज्यादा जरूरत होती है किसी के सुनने, समझने और साथ खड़े रहने की।वर्ल्ड हॉस्पिस एंड पेलियेटिव केयर डे हमें यह याद दिलाता है कि हर इंसान को अपने जीवन के आखिरी दिनों में सम्मान, सुकून और प्रेम का अधिकार है। यह दिन उन सभी लोगों को समर्पित है जो दूसरों के दर्द को अपना मानकर सेवा करते हैं।
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