जानिए क्यों ज़रूरत है आपको विवेक से काम लेने की
हम अक्सर हड़बड़ाहट में आ कर काम करते है, जो हमारे लिए बिल्कुल सही नहीं है। हमे विवेक से काम लेना चाहिए और सोच समझ कर ही अपना हर फैसला लेना चाहिए
विवेक से काम ले, बेवकूफी से नहीं
सही और गलत में फर्क करना हमने खेल खेल में नहीं सीखा। हमारे और हमारे बड़ो के अनुभवों ने ही हमें सिखाया की हमारे लिए क्या सही है और क्या नहीं। विचार लेने की क्षमता हम में एक समय के बाद आती है। और ये क्षमता हर किसी में एक बराबर नहीं होती। हम अक्सर हड़बड़ाहट में आ कर काम करते है, जो हमारे लिए बिल्कुल सही नहीं है। हमे विवेक से काम लेना चाहिए और सोच समझ कर ही अपना हर फैसला लेना चाहिए।
ज़िंदगी किसी को खेल लगती है, तो कोई जिंदगी को बड़ी ही गंभीरता से लेता है। पर हर व्यक्ति, अपनी ज़िन्दगी में ऐसे फैसले ज़रूर लेता है, जिसके लिए वो बाद में पछताता है। ये कुछ ऐसे फैसले या ऐसे कदम होते है, जिनके लिए वो ज़िन्दगी भर खेद करता है। और इसी विचार के साथ जीता है कि अगर उसने कुछ और किया होता, तो शायद आज स्तिथि कुछ और होती।
ये ‘शायद’ और ‘अगर’ वाली परिस्थिति तब आती है, जब हम अपने किसी फैसले को लेकर अनिश्चित होते है। हमे हमारे फैसले पर ही भरोसा नही होता। और ये इसलिए होता है क्योंकि हम धैर्य और विवेक से काम नहीं लेते। हम अपने अंदर की उस आवाज़ को सुनते ही नहीं जो हमे सही और गलत के बारे में बताती है। हम अपने फैसले के परिणाम के बारे में सोचते ही नही है। और अगर सोचते भी है तो इस विचार के साथ चुप हो जाते है कि बाद में तो सब ठीक हो ही जाएगा।
यहाँ पढ़ें : काम करें समझदारी से या परिश्रम से
ज़रूर बाद में सब ठीक होगा। पर उस समय तक पहुँचते- पहुँचते जो कष्ट हमे और बाकियो को सहना पड़ता है, उसका तो हम अनुमान भी नहीं लगा पाते। अपने ही अंदर की आवाज़ को सुनो, फैसले लेना ज़्यादा आसान हो पाएगा। हमारा विवेक और हमारी अन्तश्चेतना हमे सही और गलत में फर्क करने में मदद करती है। छोटे भाई की चॉकलेट चुरा के खाने पर जब पेट में कुछ होता था, वो इसी के कारण होता था।
जल्दबाज़ी या परिस्तितियो के दबाव में आ कर लिया गया फैसला, उस समय ठीक लगता है। पर उसका परिणाम शायद सही ना हो। आपने मन की सुनो, वो आपको और आपकी परिस्थिति को ज़्यादा बेहतर ढंग से जानता और समझता है। आपकी ज़िन्दगी में कई बार ऐसे मौके आएंगे जब आपको फैसले बहुत ही जल्दी में लेने पड़ेंगे। तब बहुत ही शान्ति से बैठ कर उसके परिणाम के बारे में सोचे। तब आप सही फैसला ले सकेंगे।
गलत फैसला लेकर आप ज़िन्दगी भर पछतायेंगे। पर सही फैसला लेकर आपको कोई दुःख या खेद नहीं होगा। थोड़ी तकलीफ होगी, जो कुछ समय के लिए रहेगी। पर कुछ समय बाद वो भी नहीं रहेगा। आपको आपके फैसले पर गर्व होगा। विवेक से काम करना और फैसले लेना बहुत मुश्किल नहीं है, उसके लिए आपको बस थोड़ा धैर्य चाहिए।