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Sushil Kumar KBC: करोड़पति बनने के बाद बने रोडपति लेकिन फिर भी नहीं टूटा हौसला

Sushil Kumar KBC: केबीसी में 5 करोड़ जीतकर सुर्खियों में आये सुशील अब जी रहे हैं ऐसी ज़िंदगी


Highlights –

. टीवी के सबसे लोकप्रिय क्विज शो कौन बनेगा करोड़पति यानी केबीसी के 14वें सीजन का आगाज़ हो चुका है।

. सुशील कुमार वो शख्सियत हैं जिन्होंने केबीसी में 5 करोड़ रुपये जीते और महज चंद सालों में ही दिवालिया हो गए।

KBC Sushil Kumar: टीवी के सबसे लोकप्रिय क्विज शो कौन बनेगा करोड़पति यानी केबीसी के 14वें सीजन का आगाज़ हो चुका है। केबीसी में रुपये जीतकर अभी तक कई लोगों की ज़िंदगियाँ आबाद हुई। लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा की केबीसी सीजन 5 के 5 करोड़ के विजेता सुशील कुमार कुछ ही सालों में अर्श से फर्श पर आ गए थे।

इस शो ने कइयों की ज़िंदगियाँ बदली। लेकिन क्या आप ऐसे करोड़पति को जानते हैं जिसकी ज़िंदगी कौन बनेगा करोड़पति बनने के बाद बदल गई थी। हम बात कर रहे हैं केबीसी सीजन 5 के करोड़पति सुशील कुमार की। जी हाँ , सुशील कुमार वो शख्सियत हैं जिन्होंने केबीसी में 5 करोड़ रुपये जीते और महज चंद सालों में ही दिवालिया हो गए।

आइए आपको सुशील कुमार की करोड़पति से रोडपति बनने की कहानी बताते हैं।

बिहार के रहने वाले सुशील कुमार केबीसी के पांचवें सीजन में तब सुर्खियाँ बटोरीं जब वह पांच करोड़ के विजेता बन गए। रातों – रात करोड़पति बनकर सुशील कुमार देशभर में एक प्रसिद्ध चेहरा बन गए। इससे पहले सुशील कुमार एक साधारण इंसान थे जिनकी आय उतनी ही थी जिसमें उनका गुजर – बसर चल पाता था, लेकिन यह शो जीतने के बाद वह एक सितारे हो चुके थे। पर कहते हैं न सफलता को पाने से अधिक मुश्किल है उस सफलता को बरकरार रखना। सुशील कुमार यहीं पर फेल हो गए।

केबीसी 5 में 5 करोड़ जीतने के बाद सुशील कुमार का जीवन तो बदला लेकिन जल्द ही वह दिवालिया हो गए। सुशील ने फेसबुक पर केबीसी 5 जीतने के बाद अपनी आपबीती और संघर्ष के बारे में बताया था। फेसबुक पोस्ट में सुशील ने शीर्षक दिया था कौन बनेगा करोड़पति जीतने के बाद मेरे जीवन का सबसे बुरा दौर था।

सुशील उस पोस्ट में लिखते हैं कि उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय साल 2015 – 2016 था। सुशील कहते हैं इस एक साल में उन्होंने जीवन के उस दौर को देखा जिसे देखने की उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कई व्यक्तिगत संघर्ष, छल और भावनात्मक उथल – पुथल का सामना करना पड़ा। सुशील कुमार ने बताया – मुझे नहीं पता था कि किया करना है। एक स्थानीय हस्ती बन जाने के बाद, मैं बिहार में कहीं न कहीं महीने में 10 या कभी – कभी 15 दिन भी कार्यक्रमों में शामिल होता था। जिससे मैं पढ़ाई से दूर हो गया।

सुशील आगे बताते हैं कि केबीसी जीतने के बाद वह स्थानीय रूप से एक जानी – मानी हस्ती बन गये जिन्होंने मीडिया को बहुत ही गंभीरता से लिया। वह कहते हैं पत्रकारों के साथ कैसे बात करनी चाहिए, उनके सवालों का जवाब कैसे देना चाहिए उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं था। उन्होंने बेरोजगार न दिखने के लिए कई व्यवसाय के बारे में बताया जो कुछ दिनों बाद ठप्प हो जाते थे।

सुशील कहते हैं कि केबीसी जीतने के बाद वह दान – पुण्य में भरोसा करने लगे थे । कई कार्यक्रमों में वह गुप्त दान दे आ जाया करते थे। इस वजह से उन्हें कई धोखाधड़ी का भी सामना करना पड़ा। वह कहते हैं इन्हीं चीजों की वजह से उनका और उनकी पत्नी के रिश्ते भी खराब होने लगे। सुशील कुमार के अनुसार उनकी पत्नी उन्हें सही गलत में फर्क समझने के लिए कहती और भविष्य के बारे में सोचने के लिए कहती। फिर वह कहते हैं कि वह इसलिए अपनी पत्नी के साथ खूब बहस करते और एक दिन ऐसा आया जब सुशील की पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गईं।

सुशील आगे कहते हैं कि वह दौर ऐसा भी था जब उन्हें शराब और सिगरेट की लत लग गई। उन्होंने दिल्ली में कार चलाने का कोई छोटा सा बिजनेस शुरू किया जिस सिलसिले में वह दिल्ली आते – जाते रहते थे और इसी बीच उन्हें नशे की लत लग गई।

 

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इतना ही नहीं वह फिल्मी दुनिया में भी अपनी किस्मत आजमाने मुंबई गए। मुंबई में वह कहानी, स्क्रीन पर, डायलॉग कॉपी, प्रॉप, कॉस्ट्यूम , कंटेंट सहित अन्य चीजें सीखने लगें। वह डायरेक्टर का सपना लेकर मुंबई आए थे, लेकिन यहां भी उनकी कोई बात नहीं बनी।

धीरे – धीरे उसके सारे पैसे खत्म हो गए और धीरे – धीरे वह समझने लगे कि आखिर वह किस चीज के लिए बने हैं। वह कहते हैं चूंकि वह मुंबई में अकेले रहते थे, वहाँ उन्हें अपने – आप को निष्पक्ष रूप से देखने का मौका मिला। वह कहते हैं उन्होंने महसूस किया कि वह डायरेक्टर बनने मुंबई नहीं आये थे बल्कि वह अपने जीवन की सच्चाई से भाग रहे थे। वह कहते हैं सिर्फ एक बड़ी हस्ती होने से बेहतर है कि आप एक अच्छा इंसान बनो।

फिल्हाल सुशील वापस से अपनी पुरानी ज़िंदगी में आ गए हैं और सारी बुरी आदतें भी त्याग दी हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण का जिम्मा अपने सर उठाया है। वह अब पेशे से एक शिक्षक हैं और पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करते हैं।

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