Social media Side effects : क्या बच्चों पर सोशल मीडिया बैन होना चाहिए? जानिए देशों के कानून और नीतियाँ
Social media Side effects, सोशल मीडिया ने आज की दुनिया में एक बड़ा और महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है। बच्चे और युवा इसके प्रमुख उपयोगकर्ता हैं, लेकिन इससे जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
Social media Side effects : सोशल मीडिया और बच्चे, क्या है दुनियाभर में बैन और सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून?
Social media Side effects, सोशल मीडिया ने आज की दुनिया में एक बड़ा और महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है। बच्चे, किशोर, और युवा इसके प्रमुख उपयोगकर्ता हैं, लेकिन इससे जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सोशल मीडिया पर बच्चे अधिक समय बिताते हैं, जिससे कई मानसिक और शारीरिक समस्याएं उभर सकती हैं। सवाल उठता है कि क्या बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर बैन लगाना जरूरी है?
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है। जहाँ एक ओर यह प्लेटफॉर्म्स बच्चों को ज्ञान बढ़ाने, क्रिएटिविटी और स्किल्स सीखने में मदद करते हैं, वहीं दूसरी ओर इसके कई हानिकारक परिणाम भी हो सकते हैं, जैसे:
1. मानसिक स्वास्थ्य पर असर: सोशल मीडिया पर लगातार जुड़े रहने से बच्चों में मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। विभिन्न शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने वाले बच्चे आत्म-सम्मान में कमी, अकेलापन, और फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO) जैसी भावनाओं का सामना करते हैं।
2. साइबर बुलिंग: बच्चों को साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें उनके साथ दुर्व्यवहार, अपमानजनक टिप्पणी, और धमकियाँ दी जाती हैं। यह उनके आत्म-सम्मान को कमजोर कर सकता है और दीर्घकालिक मानसिक समस्याएं पैदा कर सकता है।
3. अनुचित कंटेंट की उपलब्धता: सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए कई प्रकार के अनुचित कंटेंट मौजूद होते हैं, जिनमें हिंसा, अश्लीलता और अवांछनीय विज्ञापन शामिल होते हैं। ये कंटेंट बच्चों की मानसिकता और नैतिकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
4. शारीरिक स्वास्थ्य पर असर: लगातार स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की आँखों, नींद, और शारीरिक सक्रियता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे मोटापा और अन्य शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं।
दुनियाभर में बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर कानून
विभिन्न देशों ने सोशल मीडिया के बच्चों पर होने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए कड़े कानून और नीतियाँ बनाई हैं। ये कानून बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। आइए कुछ प्रमुख देशों की नीतियों पर नजर डालते हैं:
1. यूनाइटेड स्टेट्स (अमेरिका)
अमेरिका में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए प्रमुख कानून Children’s Online Privacy Protection Act (COPPA) लागू है। यह कानून 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बाध्य करता है कि वे बच्चों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी को इकट्ठा करने से पहले माता-पिता की अनुमति लें। इसके साथ ही, प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होता है कि बच्चे सुरक्षित रूप से इनका उपयोग कर सकें।
2. यूनाइटेड किंगडम (यूके)
यूके में Age Appropriate Design Code लागू है, जिसे Children’s Code भी कहा जाता है। यह कानून सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन सेवाओं को बच्चों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करता है। इसके तहत, कंपनियों को बच्चों के लिए प्राइवेसी सेटिंग्स को डिफ़ॉल्ट रूप से अधिक सुरक्षित रखना होता है, ताकि बच्चों का डेटा सुरक्षित रहे और उन्हें हानिकारक कंटेंट से बचाया जा सके।
3. यूरोपियन यूनियन (ईयू)
यूरोपीय संघ में General Data Protection Regulation (GDPR) लागू है, जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों के डेटा की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाता है। इसके तहत, बच्चों के डेटा को प्रोसेस करने के लिए माता-पिता या गार्जियन की सहमति आवश्यक होती है। कई देशों में यह उम्र सीमा 13 वर्ष भी है। इसके अलावा, प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होता है कि बच्चों के लिए कोई भी जोखिमपूर्ण गतिविधि न हो।
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4. चीन
चीन में सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स पर बच्चों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए बहुत सख्त कानून हैं। चीन ने बच्चों के गेमिंग समय को भी सीमित कर दिया है, जहाँ 18 साल से कम उम्र के बच्चे केवल कुछ घंटों के लिए ही ऑनलाइन गेम्स खेल सकते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी बच्चों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं, जिसमें बच्चों के लिए प्राइवेसी सेटिंग्स और अनुचित कंटेंट की रोकथाम शामिल है।
5. भारत
भारत में सोशल मीडिया के बच्चों पर होने वाले प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 के तहत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बच्चों की सुरक्षा और प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए काम करना पड़ता है। भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन प्लेटफॉर्म्स को बच्चों की प्राइवेसी और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होते हैं।
6. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए eSafety Commissioner नामक एक स्वतंत्र संस्था है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों के डेटा और ऑनलाइन गतिविधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया में बच्चों की ऑनलाइन प्राइवेसी और सुरक्षा के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं, ताकि उन्हें साइबर बुलिंग और अनुचित कंटेंट से बचाया जा सके।
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क्या सोशल मीडिया पर बच्चों का बैन लगाना जरूरी है?
बच्चों पर सोशल मीडिया का पूरी तरह से बैन लगाना एक कठोर कदम हो सकता है। सोशल मीडिया आजकल शिक्षा, संवाद और ज्ञान का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। बच्चों को इससे पूरी तरह दूर रखना संभव नहीं है, लेकिन इसके उपयोग को नियंत्रित करना आवश्यक है। माता-पिता और शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग की निगरानी करें और उन्हें सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार सिखाएँ।
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