Sindur Khela : दुर्गा पूजा के दौरान कब खेला जाता है सिंदूर खेला,जानिए बेहद रोचक है इसका इतिहास
हिंदू धर्म के अनुसार नौ दिनों के बाद मां दुर्गा की मूर्ति को जब विसर्जन के लिए ले जाया जाता है, तो उस दिन पूरे बंगाल में सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन विजयदशमी भी आयोजन होती है।
Sindur Khela : दुर्गा पूजा पर सिंदूर खेला की परंपरा है कई सालों पुरानी,जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत
हिंदू धर्म के अनुसार नौ दिनों के बाद मां दुर्गा की मूर्ति को जब विसर्जन के लिए ले जाया जाता है, तो उस दिन पूरे बंगाल में सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन विजयदशमी भी आयोजन होती है।
शारदीय नवरात्रि का उत्सव –
शारदीय नवरात्रि में अलग ही धूम हमारे देश में देखने को मिलती है। सिर्फ उत्तर ही नहीं दक्षिण भारत में भी नवरात्रि पर्व की रौनक देखी जा सकती है। नवरात्रि का यह पर्व 23 अक्टूबर को समाप्त होगा और 24 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा मनाया जाएगा। देशभर में इन दिनों नवरात्रि की धूम चारों तरफ देखने को मिल रही है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। इसी के साथ मां भक्त नौ दिनों तक उपवास भी रखते हैं। इस शारदीय नवरात्रि के दौरान हर जगह दुर्गा पूजन का आयोजन किया जाता है। पश्चिम बंगाल में ही नही बल्कि हर जगह भव्य पंडाल लगाया जाता है।
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मां दुर्गा के मायके से विदा होने पर को खेला जाता है सिंदूर खेला –
सिन्दूर खेला दुर्गा पूजा की एक बहुत ही पुरानी परंपरा है। सिंदूर खेला माता की विदाई के दिन खेला जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इस साल 24 अक्टूबर को सिंदूर खेला मनाया जाएगा। महाआरती के साथ इस दिन की शुरुआत की जाती है। आरती के बाद भक्तगण मां देवी को कोचुर, शाक, इलिश, पंता भात आदि पकवानों का प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके बाद इस प्रसाद को सभी में बांटा जाता है। मां दुर्गा के सामने एक शीशा रखा जाता है, जिसमें माता के चरणों के दर्शन होते हैं। ऐसा मानते हैं कि इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। फिर सिंदूर खेला शुरू किया जाता है, जिसमें महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर और धुनुची नृत्य कर माता की विदाई का जश्न मनाती हैं। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन मां दुर्गा मायके से विदा होती है तो उनकी सिंदूर से मांग भरी जाती है, इतना ही नहीं सभी महिलाएं आपस में सिंदूर खेलती हैं। इस दौरान सभी महिलाएं कामना करती हैं कि एक-दूसरे की शादीशुदा जिंदगी सुखद और भाग्यशाली रहे।
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