Raksha Bandhan 2024: 2024 में कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन, अभी नोट कर लें रक्षाबंधन की तारीख और शुभ मुहूर्त
Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में सावन पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला एक हिन्दू फेस्टिवल है, जिसे भाई-बहन के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुरक्षा और सौभाग्य की कामना करती हैं। इसी के साथ-साथ, भाई भी अपनी बहनों को जीवनभर का साथ देने का वादा करते हैं।
Raksha Bandhan 2024: क्या है रक्षाबंधन का इतिहास, भाई-बहन के लिए क्यों खास है ये त्योहार, यहां देखें पूरी जानकारी!
रक्षाबंधन भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में सावन पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला एक हिन्दू फेस्टिवल है, जिसे भाई-बहन के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुरक्षा और सौभाग्य की कामना करती हैं। इसी के साथ-साथ, भाई भी अपनी बहनों को जीवनभर का साथ देने का वादा करते हैं।
रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षाबंधन का पर्व देवी-देवताओं के काल से चला आ रहा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान इंद्र पर राक्षसों का आक्रमण हो गया था, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने बृहस्पति की सलाह के अनुसार मंत्र शक्ति से इंद्र की कलाई पर एक रेशम का धागा बांध दिया था और वह दिन सावन पूर्णिमा थी। जिसके बाद युद्ध में देवताओं की जीत भी हुई। तब से हर साल महिलाएं अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी विजयश्री के लिए प्रार्थना करती हैं।
महाभारत काल की एक और कथा में, भगवान कृष्ण के साथ जुड़ी गाथा है। शिशुपाल के युद्ध में, भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गई थी, और द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उसे बाँधा था। इसके पश्चात, कृष्ण ने उसकी रक्षा की और उसने उससे राखी बाँधने का वचन दिया था। यही कारण है कि रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन का त्योहार है जिसमें बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं। इस दिन भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं और उन्हें खुश करने के लिए उपहार या पैसे भी देते हैं।
रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त और शुभ योग
पंचांग के अनुसार, साल 2024 में सावन पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को है। इसके शुभ मुहूर्त में राखी बांधना अद्भुत और मान्य होता है। इसके साथ ही, रक्षाबंधन के दिन शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, और रवि योग भी बन रहे हैं, जो इस त्योहार को और भी शुभ बनाते हैं।
राखी बाँधने की महत्वपूर्ण तिथियाँ:
राखी बाँधने के लिए भद्रा काल और राहुकाल अशुभ माने जाते हैं। भद्रा काल में राखी बाँधने पर पुराणों के अनुसार बुरा प्रभाव होता है और राहुकाल में भी राखी बाँधना अशुभ माना जाता है। इसलिए, इन समयों से बचकर राखी बाँधना अच्छा होता है।
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राखी बांधने का सही समय
ज्योतिषियों की मानें तो, दोपहर 01 बजकर 31 मिनट से लेकर संध्याकाल 04 बजकर 20 मिनट तक राखी बांधने का सही समय है। इस समय के बाद, प्रदोष काल में भी राखी बांधने का समय है, जो संध्याकाल 06 बजकर 56 मिनट से लेकर देर रात 09 बजकर 08 मिनट तक रहता है। इन समयों में राखी बांधना आशुभ माना जाता है और इससे बचा जाता है।
राखी बांधने की विधि
राखी बांधने की विधि भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। राखी बांधने से पहले, बहनें अपने भाई को माथे पर कुमकुम का तिलक और अक्षत लगाती हैं। भाई को हमेशा हाथ में कुछ पैसे और अक्षत रखना चाहिए, और इसके बाद राखी बांधी जाती है। राखी बांधने के बाद, भाई की आरती उतारी जाती है और उसे मिठाई खिलाई जाती है। इसके बाद, भाई अपनी क्षमता अनुसार बहन को उपहार देता है, जिससे बहन को उसका प्यार और समर्थन महसूस होता है।
रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसे बड़े हर्ष के साथ मनाया जाता है। इस दिन भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत किया जाता है और एक दूसरे के प्रति समर्पण का आदान-प्रदान होता है। रक्षाबंधन के इस खास मौके पर, हम सभी को अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुशियों और प्यार के साथ यह त्योहार मनाने का एक अद्वितीय अवसर मिलता है।
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