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Punya Prasun Bajpai Biography: जानिए कौन हैं पुण्य प्रसून बाजपाई, कई पुरुस्कारों से किए गए हैं सम्मानित

पुण्य प्रसून बाजपाई एक भारतीय पत्रकार, एंकर और मीडिया की जानी मानी हस्ती हैं। ये आज तक भारतीय न्यूज़ चैनल पर न्यूज़ एंकर और एग्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में कार्यरत थे।

Punya Prasun Bajpai Biography: जानें पुण्य प्रसून बाजपाई के जीवन से जुड़े कुछ रोचक  

Punya Prasun Bajpai Biography: इन्होने 1996 में अपने करियर की शुरुआत आज तक भारतीय न्यूज़ चैनल से की जहां इन्होने लगभग 7 साल काम किया। उसके बाद 2003 में ये NDTV न्यूज़ चैनल में काम करना शुरू कर दिया जहां इन्होने लगभग 14 महीने तक काम किया। उसके बाद 2007-2008 में इन्होने सहारा समय में चीफ एडिटर के रूप में काम किया। उसके बाद इन्होने ज़ी न्यूज़ में 4 साल काम किया जहां ये एक Prime टाइम एंकर और एडिटर थे। उसके बाद इन्होने मात्र 4 महीनों के लिए ABP न्यूज़ चैनल को ज्वाइन किया लेकिन कुछ दिक्क्तों के कारण इन्होने वहां से इस्तीफा दे दिया और आज तक न्यूज़ चैनल ज्वाइन किया।

पुण्य प्रसून बाजपेयी के पुरुस्कार और सफलताएं

1. इन्हे 2001 पार्लियामेंट अटैक के दौरान लगातार 5 घंटे की एंकरिंग के लिए सम्मानित किया जा चूका है।

2. इन्हें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए 2005-2006 और 2007-2008 में रामनाथ गोयनका पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है।

पुण्य प्रसून बाजपेयी के रोचक तथ्य

1. इन्हे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काफी अच्छी पहचान मिल चुकी है। साथ ही इन्होने प्रिंट मीडिया में भी काफी समय काम किया हुआ है।

2. इन्हे 26 साल हो चुके हैं इस फील्ड में।

3. इन्होने कई बड़ी बड़ी न्यूज़ एजेंसीज के साथ काम किया है।

4. पहली बार इन्होने आज तक को ज्वाइन किया था जिसे इन्होने कई सालों बाद छोड़ के NDTV को ज्वाइन किया।

5. इन्होने ज़ी न्यूज़ में चार साल तक काम किया जहां ये प्राइम टाइम एंकर और एडिटर थे।

6. ये जितना न्यूज़ चैनल पे प्रशिद्ध हैं उतना ही सोशल मीडिया पे भी इन्हे ट्विटर पे काफी प्यार मिला है।

7. ये ट्विटर पे काफी एक्टिव रहते हैं।

8. इन्होने कई सारी किताबे भी लिखी हैं।

9. इन्हे इनके काम के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। 2001 में पार्लियामेंट अटैक के दौरान इन्होने वहां 5 घंटे लगातार एंकरिंग की जिसके लिए इन्हे काफी सराह गया था।

10. इन्हे राम नाथ गोयनका पुरस्कार भी मिला है इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए। और ये एक मात्र ऐसे भारतीय पत्रकार हैं जिन्हे दोनों मीडिया के लिए एक साथ सम्मानित किया है।

आपको बताए बाजपेई ने अप्रैल में एबीपी न्यूज पर मास्टरस्ट्रोक की मेजबानी शुरू की। लेकिन समाचार चैनल पर कथित राजनीतिक दबाव के कारण उन्होंने चार महीने बाद 1 अगस्त 2018 को इस्तीफा दे दिया। फरवरी 2019 में, वह सूर्य समाचार में प्रधान संपादक के रूप में शामिल हुए। जहाँ उन्होंने जय हिंद और सत्ता शो की मेजबानी भी की। हाल ही में उन्होंने सूर्य समाचार छोड़ दिया।

बाजपेई ने राजनीति मेरी जान, डिजास्टरः मीडिया और पॉलिटिक्स, संसदः लोकतंत्र या नजरों का धोखा, आदिवासियों पर टाडा सहित छह पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वह कई दैनिक और साप्ताहिक समाचार और साहित्यिक प्रकाशनों के लिए हिंदी में लेख लिखते हैं। जिनमें से कई उनके ब्लॉग पर भी प्रकाशित होते हैं।

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पुरस्कार

उन्हें 2001 के भारतीय संसद हमले के दौरान उनके काम की पहचान मिली जब उन्होंने लगातार पांच घंटे तक लाइव एंकरिंग की।

उन्होंने 2005-06 और 2007-08 में हिंदी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार जीता । टीवी और प्रिंट में दो बार यह पुरस्कार पाने वाले वे अकेले पत्रकार हैं

विवाद

मार्च 2014 में अरविंद केजरीवाल के साथ साक्षात्कार के एक लीक हुए वीडियो में , पुण्य प्रसून बाजपेई को अरविंद केजरीवाल से अपने इस्तीफे की तुलना भगत सिंह के बलिदान से करने लगे। उद्योगों के निजीकरण पर साक्षात्कार के एक निश्चित हिस्से को छोड़ने के लिए अपने साक्षात्कार को बढ़ावा देने के लिए निर्देश प्राप्त करते हुए देखा गया था। बाद में, जब साक्षात्कार का प्रसारण किया गया तो यह पाया गया कि पुण्य प्रसून बाजपेई ने वास्तव में निर्देशों का पालन किया था और उनकी पत्रकारिता की सत्यनिष्ठा और नैतिकता पर सवाल उठाया था। इस विवाद को उस समय “मीडिया फिक्सिंग” कहा जाता था।

बाजपेयी ने एबीपी न्यूज पर मास्टरस्ट्रोक नामक एक प्राइम-टाइम शो की मेजबानी की । जुलाई 2018 में, चैनल ने 20 जून 2018 को प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के लाभार्थियों के बीच एक वीडियो में बातचीत के बारे में अपनी कहानी के लिए सरकार की आलोचना की। छत्तीसगढ़ के एक प्रतिभागी , चंद्रमणि कौशिक ने शो में मोदी को बताया कि धान की खेती से कस्टर्ड सेब उगाने के बाद उनकी आय दोगुनी हो गई थी। दो हफ्ते बाद, एबीपी न्यूज़ मास्टरस्ट्रोक की रिपोर्टों के आधार पर दावा किया गया कि उसे झूठे दावे करने के लिए भाजपा अधिकारियों द्वारा सिखाया गया था।

इसके बाद एबीपी न्यूज के सैटेलाइट लिंक ने बाजपेयी के शो के प्रसारण के दौरान बदसलूकी शुरू कर दी। द वायर के लिए बाजपेयी द्वारा लिखे गए एक लेख में , उन्होंने दावा किया कि पतंजलि सहित कुछ विज्ञापनदाताओं ने चैनल से अपने विज्ञापन वापस ले लिए। इसी दबाव में बाजपेयी को मजबूरन चैनल से इस्तीफा देना पड़ा।

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