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Pets Care: डॉगी अडाप्ट करने से पहले लगवा लें ये 6 टीका, पपी के लिए है जरूरी, जानें पूरा शेड्यूल
लाइफस्टाइल

Pets Care: डॉगी अडाप्ट करने से पहले लगवा लें ये 6 टीका, पपी के लिए है जरूरी, जानें पूरा शेड्यूल

Pets Care: Pet Care Tips: आपको पेट्स का शौक है तो अपने पेट्स को बिल्कुल हेल्दी और फिट रखने की इच्छा रखते होंगे। यहां आपको ऐसे कुछ वैक्सीनेशन के विषय में बता रहे हैं, जो आपके पेट्स के लिए जरूरी हैं।

Pets Care: पेट लवर हैं तो डॉगी पालने पर जरूर लगवा लें ये वैक्सीन, पपी रहेंगे फिट

पेट लवर्स को पता है कि उनके लिए उनके पेट्स की वैल्यू क्या है। क्योंकि उनके लिए पेट फैमिली मेंबर होता है। अपने खाने, सोने और सभी जरूरतों का ध्यान रखने के साथ ही पेट लवर्स अपने प्रिय पेट की हर जरूरत का ध्यान अपने बच्चे की तरह रखते हैं। ऐसे ही पेट लवर्स के लिए यहां बेहद जरूरी जानकारी आपके पेट की वैक्सिनेश को लेकर दी जा रही है…

आपको बता दें कि अगर आप पपी अडॉप्ट कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि अगर इसकी उम्र जब 6 से 8 सप्ताह की हो तभी इसे पहली वैक्सीन इसी उम्र में लगनी चाहिए और वैक्सिनेशन की सभी डोज 12 से 16 महीने की उम्र तक पूरी हो जानी चाहिए। इसके बाद बूस्टर डोज लगने का सिलसिला शुरू हो जाएगा, जिनमें से ज्यादातर साल में एक बार लगाई जाती हैं। यह रुटीन मेंटेन रखना पेट की लाइफ और आपके लिए बहुत बेफिक्र कर देने वाला रहता है। यहां हम आपके लिए ऐसी कुछ चुनिंदा वैक्सीन की जानकारी लेकर आए हैं, जो आपके पेट को जरूर लगनी चाहिए।

पपी या डॉग को लगने वाली वैक्सीन का उद्देश्य उनके इम्यून सिस्टम को बढ़ाना है। अगर कोई डॉग बीमारी के संपर्क में आता है, तो उसका इम्यून सिस्टम इसे पहचान लेगा और इससे लड़ने के लिए तैयार रहेगा या कम से कम इसके प्रभाव को कम कर देगा। अमेरिकन एनिमल हॉस्पिटल एसोसिएशन की कैनाइन टास्क फोर्स डॉग वैक्सीनेशन के इन टीकों को जरूरी मानती है।

ये वैक्सीनेशन हैं शामिल

  • कैनाइन परवोवायरस
  • कैनिन डिस्टेम्पर
  • हेपेटाइटिस
  • रेबीज
  • लेप्टोस्पाइरोसिस
  • बोर्डेटेला

कैनाइन परवोवायरस

कैनिन परवोवायरस बहुत ही घातक और संक्रामक वायरस है जो जानलेवा भी साबित होता है। इससे बचाव के लिए आप अपने डॉग को 8 सप्ताह की उम्र में ही वैक्सीन लगवाएं।

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कैनिन डिस्टेम्पर

कैनिन डिस्टेंपर एक संक्रामक रोग है, जो बहुत तेजी से फैलता है और ये बहुत डॉग्स से इंसानों में भी आ सकता है, जिसके कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, नाक और आंख संबंधी समस्याएं होत सकती है। आप अपने डॉग को 8 सप्ताह की उम्र में लगवा इसका वैक्सीन लगवा लें।

हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस कैनाइन एडेनोवायरस 1 (CAV-1) के कारण होता है जो आमतौर पर पानी या खाद्य पदार्थों के माध्यम से फैलता है। यह वैक्सिनेशन भी आप अपने पेट्स को 8 सप्ताह की उम्र के बाद करा सकते हैं।

रेबीज

पपी को रेबीज की पहली वैक्सीन तब लगनी चाहिए जब इसकी उम्र 12 सप्ताह की हो यानी 3 महीने की उम्र में। क्योंकि आपका पपी अगर वैक्सिनेशन से प्रॉटेक्टेड नहीं है तो यह आपके लिए और आपके बेबी पेट के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।

लेप्टोस्पायरोसिस

पेट्स में होने वाली लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी का कारण भी बैक्टीरियल इंफेक्शन ही है। यह बीमारी भी पेट्स से मनुष्यों में आ जाती है। इस संक्रमण के दौरान शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग से बचने के लिए भी अपने पेट्स को आप वैक्सिनेशन 8 सप्ताह की उम्र के बाद करा सकते हैं।

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बोर्डेटेला

केनेल खांसी अत्यधिक संक्रामक है। यदि आपका कुत्ता डॉग पार्क, बोर्डिंग सुविधाओं, डॉग डेकेयर में जाता है, या प्रशिक्षण कक्षाओं या डॉग शो में भाग लेता है, तो उन्हें केनेल खांसी होने का खतरा होता है। इनमें से कई सुविधाओं के लिए कुत्तों को परिसर में अनुमति देने से पहले बोर्डेटेला टीकाकरण के प्रमाण के साथ आना आवश्यक है, इसलिए टीका लगवाना आपके कुत्ते के लिए फायदेमेंद है।

पपी वैक्सीनेशन शेड्यूल

  • 6-7 हफ्ते: डीएचपीपी, बोर्डेटेला
  • 9-10 हफ्ते: डीएचपीपी, बोर्डेटेला, लेप्टोस्पायरोसिस
  • 12-13 हफ्ते: डीएचपीपी, लेप्टोस्पायरोसिस, कैनाइन इन्फ्लुएंजा, लाइम रोग
  • 15-17 हफ्ते: डीएचपीपी, रेबीज, कैनाइन इन्फ्लुएंजा, लाइम रोग

कुत्ते को टीके कब लगवाने चाहिए?

कुत्ते को वैक्सीन लगाने की भी एक निश्चित समय सीमा होती है। कुत्ते को 6 हफ्ते की उम्र से टीके लगवाने शुरू कर देने चाहिए।

कुत्ते की डिवोर्मिंग करना भी जरूरी

अगर आपने कभी कुत्ते पाले हैं तो आपको पता होगा कि कुत्तों के पेट में कीड़े बहुत जल्दी पनपते हैं जिससे वे बीमारी भी हो जाते हैं। ये ठीक उसी तरह है जैसे इंसानों के पेट में कीड़े पैदा हो जाते हैं। कुत्ते मिट्टी और मल के संपर्क मे ज्यादा आते हैं। कीड़ों से कुत्ते को कई तरह की समस्याएं होने लगती है। डॉग को कीड़े मारने की दवा देकर कीड़ों से छुटकारा दिलाने को ही डीवोर्मिंग कहते हैं। पपी को मां के दूध से भी कीड़े हो सकते हैं।

कब कराएं कुत्ते की डिवोर्मिंग?

  • तीन महीने के छोटे पपी के लिए हर 15 दिन में डिवोर्मिंग करानी चाहिए।
  • तीन से छह महीने के पपी के लिए हर महीने ये दवा दी जानी चाहिए।
  • छह से बारह महीने के पपी के लिए हर 2 महीने में डिवोर्मिंग होनी चाहिए।
  • एक साल की उम्र के बाद हर 3 महीने में ये किया जाना चाहिए।

कुत्ते को टीके लगवाने के साइड इफेक्ट

वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ कुत्तों को उल्टी, दस्त, बुखार, मुंह में सूजन आदि साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

टीका लगाने के बाद किन बातों का रखें ध्यान

टीका लगने के बाद कुत्ते को आसानी से पचने वाला खाना देना चाहिए। एक हफ्ते तक नहलाना नहीं चाहिए।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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