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Gandhi Jayanti 2023: पीएम मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ‘स्वच्छांजलि’ के साथ श्रद्धांजलि देने की की अपील…

गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, जो कि महात्मा गांधी की जयंती के प्रतीक के रूप में है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का अहम योगदान है।

Gandhi Jayanti 2023: जानिए गांधी जयंती के दिन ‘एक तारीख, एक घंटा, एक साथ’ अभियान का क्या है मतलब


गांधी जी ने अपना पूरा जीवन सत्य, अहिंसा और शांति का संदेश देते हुए बिताया। वह खुद एक शांत व्यक्ति थे, जिन्होंने हमेशा लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, जो कि महात्मा गांधी की जयंती के प्रतीक के रूप में है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का अहम योगदान है।  पीएम मोदी अपने 105वें ‘मन की बात’ संबोधन के दौरान सभी नागरिकों से राष्ट्रपिता को ‘स्वच्छांजलि’ के साथ श्रद्धांजलि देने की अपील की।

Gandhi Jayanti 2023: गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, जो कि महात्मा गांधी की जयंती के प्रतीक के रूप में है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का अहम योगदान है। ऐसे में इस साल यानि कि तीसरे राष्ट्रीय अवकाश के अवसर पर  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती मनाने का एक अद्भुत तरीका सुझाया है। उन्होंने अपने 105वें ‘मन की बात’ संबोधन के दौरान सभी नागरिकों से राष्ट्रपिता को ‘स्वच्छांजलि’ के साथ श्रद्धांजलि देने की अपील की। यह मेगा स्वच्छता अभियान 1 अक्टूबर, 2023 को सार्वजनिक स्थानों पर वास्तविक गतिविधियों में शामिल होने के लिए सभी क्षेत्रों के लोगों को आमंत्रित करने से है।

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‘एक तारीख, एक घंटा, एक साथ’ अभियान क्या है

अब सवाल है कि आखिर ‘एक तारीख, एक घंटा, एक साथ’ अभियान क्या है। आपको बता दें कि गांधी जयंती के उपलक्ष्य में यह एक विशाल स्वच्छता अभियान है। यह पहल ‘ स्वच्छता पखवाड़ा-स्वच्छता ही सेवा’ 2023 अभियान की एक कड़ी है। पीएम मोदी ने सभी नागरिकों से 1 अक्टूबर को सुबह 10 बजे स्वच्छता के लिए 1 घंटे के श्रमदान की अपील की है। उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा है कि, ”1 अक्टूबर यानी रविवार को सुबह 10 बजे स्वच्छता पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। आप भी अपना समय लेकर स्वच्छता से जुड़े इस अभियान में सहयोग करें। आप भी अपनी गली या पड़ोस या किसी पार्क, नदी, झील या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर इस स्वच्छता अभियान में शामिल हो सकते हैं।

गांधी जी की पृष्ठभूमि

महात्मा गांधी, जिन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था और उनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को हुई थी। वह भारत में एक राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गांधीजी ने अहिंसक आंदोलन की नवीन तकनीक विकसित की, जिसे उन्होंने “सत्याग्रह” कहा, जिसका सामान्य अनुवाद “नैतिक वर्चस्व” है। उन्हें भारत और दक्षिण अफ्रीका में अहिंसक सविनय अवज्ञा के लिए जाना जाता है। इनमें 1922 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत और 12 मार्च, 1930 को शुरू हुआ नमक सत्याग्रह या नमक (दांडी) मार्च शामिल था। गांधी के प्रयासों से, भारत को अंततः 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली। इसके बाद राष्ट्र ने उनके लिए शोक मनाया।

गांधी जी को कभी नहीं मिला नोबेल पुरस्कार

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन सत्य, अहिंसा और शांति का संदेश देते हुए बिताया। वह खुद एक शांत व्यक्ति थे, जिन्होंने हमेशा लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर को शांति का संदेश देने वाले महात्मा गांधी को खुद कभी शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं जीता। उन्हें 1937, 1938, 1939 और 1947 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला। इतना ही नहीं गांधी जी को इसके बाद साल 1948 में भी नामांकित किया गया था, जिस वर्ष उनकी हत्या हुई थी, लेकिन इस साल भी उन्हें नोबेल समिति ने नहीं चुना।

गांधी जी का बाल विवाह हुआ था

बेहद कम लोग ही यह जानते होंगे कि महात्मा गांधी का बाल विवाह हुआ था। 13 साल छोटी सी उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा माकनजी से हो गया था। यह एक अरेंज मैरिज थी। जब गांधीजी मात्र सात साल के थे, तभी उनकी सगाई कस्तूरबा जी से हो गई थी। इस शादी से उनकी चार बेटे भी हुए।

भारत नहीं दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ था गांधी जी का आंदोलन

गांधीजी ने साल 1888 में कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1893 में उन्हें दक्षिण अफ्रीका में मौजूद एक भारतीय फर्म में काम करने का मौका मिला था। हालांकि, उस दौरान दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटेन और डच का शासन था। ऐसे में वहां अन्य भारतीयों की तरह उन्हें भी लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ा। इस भेदभाव और दुर्व्यवहार ने गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के नागरिक अधिकारों के लिए अभियान शुरू करने के लिए प्रेरित किया और इस तरह उनके पहले आंदोलन की शुरुआत हुई।

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