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Good Parenting Tips: अच्छी परवरिश देने के लिए पैरेंट्स बदल लें अपनी ये आदतें, वरना बर्बाद हो सकता है बच्चों का फ्यूचर

Good Parenting Tips: माता-पिता बनना जितना सुखद अहसास होता है उतना ही मुश्किल इस रिश्ते को निभाना होता है। एक पेरेंट के तौर पर माता-पिता को कई सारी चीजों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में अक्सर उनकी कुछ आदतें और गलतियां उनके बच्चों को उनसे दूर कर देती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पेरेंट्स की कुछ ऐसी ही गलतियों के बारे में।

Good Parenting Tips: चाहते हैं बच्चा माने आपकी हर बात, तो आज से ही अपना लें ये आसान पैरेंटिंग टिप्स

मोबाइल-इंटरनेट और बदलती लाइफस्टाइल के बीच बच्चों की अच्छी और सही परवरिश आसान नहीं रह गई है। आपका व्यवहार, आपकी आदतें बच्चे सीखेंगे और वैसा ही दूसरों के साथ करेंगे। इसलिए भागदौड़ और बिजी शेड्यूल के बावजूद आपको बच्चों के सामने छोटी-छोटी हरकतों से बाज आनी चाहिए। क्योंकि ये लाइफटाइम के लिए उसकी आदत बन जाएगी, जो उसके फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होगी। इसलिए अगर अच्छे माता-पिता बनना है और बच्चों की परवरिश ठीक ढंग से करनी है तो आज से ही अपनी इन आदतों को बदल लें और कुछ अचदी आदतें अपना लें।

किसी पॉइंट पर आकर गलत काम कर जाना, कुछ गलत बोलना, बच्चों में ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन, आप इन बातों को कैसे हेंडल करते हैं और बच्चों को कैसे सही दिशा की ओर मोड़ते हैं, यही गुड पैरेंटिंग की निशानी होती है। बच्चों को कैसे सही सीख दें, उन्हें कैसे समझाएं ये सवाल हर माता-पिता के दिमाग में होता है।

बच्चों को समझाएं और उन्हें सही दिशा दें

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अपने करियर में सफल हो, हर उस काम में सफल हो जिसे उसने अपने हाथ में लिया है। लेकिन, सफलता या असफलता के लिए बच्चा अकेले जिम्मेदार नहीं होता। क्योंकि, माता-पिता ही बच्चों के पहले गुरु कहे जाते हैं। ऐसे में आप ही हैं जो उन्हें सही दिशा दे सकते हैं। बच्चों को डांट कर या चिल्लाकर नहीं बल्कि प्यार से समझाएं।

स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करें

अपने बच्चे को खुद पर निर्भर होना सिखाएं। बताएं कि खुद की देखभाल करने में सक्षम होना कितना जरूरी है। ताकि, वह अपने कामों का प्रबंधन कर सकें।

बच्चों को प्यार दें और उनकी देखभाल करें

कई बार पैरेंट्स अपने काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने बच्चों को यह दिखाना या जताना भूल ही जाते हैं कि वह उन्हें कितना प्यार करते हैं। उनके बिना उन्हें कैसा महसूस होता है। बच्चों से बात करें और उन्हें अपना प्यार देना, उनकी देखभाल करना ना भूलें। इससे बच्चे और आपके बीच का बंधन मजबूत होता है।

अपनी गलतियों के लिए माफी मांगें

सिर्फ बच्चे ही नहीं, बड़ों को भी अपनी गलती की माफी मांगना जरूरी है। अगर माता-पिता बच्चे के सामने अपनी गलतियां स्वीकार करना नहीं शुरू करेंगे, बच्चे भी अपनी गलतियां मानना बंद कर देंगे। इसलिए अगर आपकी गलती है, तो माफी मांगें।

अनुशासन सिखाएं

अनुशासन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। सिर्फ बड़ों के लिए ही नहीं, बच्चों के लिए भी यह बेहद जरूरी है। ऐसे में यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अपने बच्चे की सही परवरिश कर रहे हैं उन्हें अनुशासन जरूर सिखाएं। अपने काम, खाना, अच्छे से बात करना सिखाएं।

जरा-जरा सी बात पर डांटने से बचें

कई बार बच्चों पर छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाना या उन्हें डांटना आपकी आदत बन जाती है। पढ़ाते या कुछ समझाते वक्त अगर बच्चे को कुछ समझ नहीं आ रहा है तो डांटने की बजाय उससे प्यास से डील करें। क्योंकि ऐसा करने से बच्चा सवाल पूछने से डरने लगेगा और आपका उस पर चिल्लाना उसे गुस्सैल बना सकता है।

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खुद फैसला करने दें

बच्चों को आजादी देना चाहिए, इससे उनमें सोचने-समझने का विकास होता है। बच्चों को जब आप काम की आजादी देंगे तो उनकी क्रिएटिविटी में निखार आएगा। वे अपनी प्रॉब्लम्स आपसे शेयर करेंगे और आप दोनों के बीच की बॉन्डिंग भी अच्छी होगी।

दोष देने से बचें

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बच्चों की कुछ आदतें पैरेंट्स को अच्छी नहीं लगती। ऐसी स्थिति में उसे भला-बुरा न बोलें। उस पर बात-बात पर दोष न डालें। अच्छी पैरेंटिग का मतलब यह होता है कि आप कितना भी गुस्सा या नाराज क्यों न हों, बच्चों के सामने ये बात जाहिर नहीं होनी चाहिए।

कभी तुलना न करें

हर बच्चे की अपनी-अपनी खासियत होती है। इसलिए कभी भी अपने बच्चे को दूसरे बच्चों से कंपेयर न करें। हो सकता है कि आपका बच्चा किसी एक काम में दूसरों से अच्छा न कर रहा हो लेकिन कई ऐसी भी एक्टिविजिट होंगी, जिसमें वह सबसे आगे और बेस्ट होगा। इसलिए उसे उसकी इस खासियत के बारें में बताएं और प्रोत्साहित करें।

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हर बार इच्छी पूरी करना जरूरी नहीं

कभी-कभी बच्चों की मांग से पहले ही उनकी इच्छा पूरी करना उन्हें बिगाड़ सकता है। कई माता-पिता ऐसे होते हैं कि बच्चे कुछ भी मांगें, उससे पहले ही उन्हें लाकर सामान दे देते हैं। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि ये आदत बच्चों पर गलत प्रभाव डाल सकती है। इसलिए जब भी कुछ लाएं तो इस बार का ख्याल रहे कि बच्चे को उसकी जरूरत होनी चाहिए।

गैजेट्स की छूट देने से बचें

आजकल मोबाइल-इंटरनेट के जमाने में बच्चे ज्यादातर वक्त स्मार्टफोन और गैजेट्स के साथ बिताने लगे हैं। ऐसे में उनकी आंखों और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। उनका विकास भी प्रभावित होता है। इसलिए बच्चों को गैजेट्स की छूट कम दें और मैदान में खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।

धैर्य की सबसे ज्यादा जरूरत

पैरेंट्स को चाहिए कि वह अपने बच्चों को धैर्य रखना और शांत रहना सिखाएं। आजकल यह लोगों में कम पाया जाता है। अगर बच्चे में शुरू से ही ये गुण डाले जाएं तो वह आगे चलकर काफी सफल हो सकता है और ये आदतें उसे विपरीत परिस्थितियों से निकलने में भी मदद करेंगी।

फेलियर से डील करना भी बताएं

कॉम्पटिशन का दौर है तो बच्चों में जीतने की आदत तेजी से बढ़ रही है। इसलिए जीतने के लिए बच्चे का हौसला बढ़ाना बुरी बात नहीं लेकिन उसे फेल होने की स्थिति से डील करना भी सीखाएं। कई बार हारने से भी बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता है।

नखरे को प्यार न समझें

कई बार जब बच्चे जिद करते हैं तो माता-पिता उन्हें वह करने की छूट दे देते हैं, जो बच्चे करना चाहते हैं। इसलिए कभी भी ऐसी सिचुएशन आए तो बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए। उनके नखरे को कभी भी प्यार नहीं समझना चाहिए। अच्छी पैरेंटिगं के लिए भावनाओं पर काबू रखना जरूरी होता है। इससे बच्चे सही और गलत के बीच का अंतर सीख पाते हैं।

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खुद में बदलाव लाएं

अच्छी पैरेंटिग के लिए कई आदतों को माता-पिता को खुद भी छोड़ देनी चाहिए। इससे बच्चों का भविष्य शानदार हो सकता है। बच्चों पर आरोप मढ़ने से अच्छा है कि आप अपनी छोटी-छोटी बुरी आदतों को छोड़ दें। उसके परवरिश पर ध्यान लगाएं।

परवरिश के प्रकार

  • आधिकारिक: बच्चों के लिए नियम और सीमाएं निर्धारित होती हैं।
  • सत्तावादी परवरिश शैली: यहां बच्चों के लिए बातचीत की जगह बहुत कम होती है और नियम व कानून सख्त होते हैं।
  • लगाव वाली परवरिश: इसमें माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं और उन्हें दुलारते हैं। उनके साथ खाते-पीते और खलते हैं।
  • अनुज्ञेय: सख्त सीमाएं निर्धारित नहीं की जाती और ना ही बच्चों को नियंत्रित किया जाता है।
  • फ्री पैरेंटिंग: इसमें बच्चों के लिए आजादी, जिम्मेदारी, स्वतंत्रता और नियंत्रण, चारों ही चीजें शामिल होती हैं।
  • हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग: इसमें माता-पिता प्यार और चिंता बहुत ज्यादा करते हैं। वे पूरी तरह से अपने बच्चों को गलतियों से बचाते हैं और उन्हें खुद से कुछ करने नहीं देते।
  • उपेक्षित: इसमें माता-पिता अपने बच्चों पर ध्यान ही नहीं देते। ऐसे माता-पिता कई बार गैर-जिम्मेदार नजर आते हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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