Lohri festival 2023: लोहड़ी की पूजा में क्यों जलाई जाती है आग? जानें सालों पुरानी लोहड़ी पूजा का रहस्य
Lohri festival 2023: लोहड़ी में क्यों गाए जाते हैं पंजाब के लोक गीत? है अकबर राज से इसका संबंध
- Highlights:-
- इस साल 13 जनवरी को लोहड़ी मनाई जाएगी।
- लोहड़ी का पर्व सूर्य और अग्नि को समर्पित है।
- लोग दुल्ला भट्टी के गीत गाते हैं। कहते हैं अकबर शासन काल में दुल्ला भट्टी एक लूटेरा था, वही हिंदू लड़कियों को गुलाम के तौर पर बेचे जाने का विरोधी था।
Lohri Festival 2023 : हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। साल 2023 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इससे एक दिन पहले यानी की 13 जनवरी को लोहड़ी मनाई जाएगी। इस दिन नई फसलों की पूजा होती है और आग जलाकर गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, आदि को आग में अर्पित किया जाता है।
इसके बाद सभी लोग अग्नि की परिक्रमा करते हैं, और पारंपरिक गीत गाते हैं। लोहड़ी उत्तर भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
लोहड़ी पर्व की परंपरा को समझने के लिए उसके अर्थ को समझना जरूरी है। लोहड़ी तीन अक्षरों से मिलकर बना है। पहला ल जिसका अर्थ है लकड़ी, ओह का अर्थ है सूखे उपले, और ड़ी का अर्थ रेवड़ी से है। इसलिए लोहड़ी पर उपलों और लकड़ी की मदद से अग्नि जलाई जाती है। अब अग्नि क्यों जलाई जाती है, आइये जानते हैं, इसका महत्व।
दरअसल लोहड़ी का पर्व सूर्य और अग्नि को समर्पित है। इस त्योहार में लोग नई फसलों को अग्निदेव को समर्पित करते हैं।
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शास्त्रों के अनुसार अग्नि देव और सूर्य को फसल समर्पित कर उनके प्रति आभार व्यक्त किय जाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी के माध्यम से नई फसल को भैग सभी देवताओं तक पहुंचता है। इसके साथ ही अग्निदेव से आने वाले फसलों को लेकर आशीर्वाद मांगा जाता है।
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भारत में मनाए जाने वाले त्योहार प्रकृति को समर्पित होते हैं। लोहड़ी का भी त्योहार प्रकृति के महत्व को दर्शाता है लेकिन पंजाब में इस पर्व का धार्मिक महत्व भी है।
लोहड़ी की शाम को सात बार उसकी परिक्रमा की जाती है। साथ ही तिल, गुड़, चावल, मक्के की आहुति भी दी जाती है। धार्मिक मान्यता ये कहती है कि जिसके घर खुशियों का मौका आता है उसी के घर लोहड़ी मनाया जाता है। लोहड़ी के शुभ अवसर पर मिठाइयां भी बांटी जाती है।
लोहड़ी जितना प्राकृतिक और धार्मिक त्योहार है उतना ही इस त्योहार का सामाजिक महत्व भी है। इस दिन लोग लोक गीतों के माध्यम से यह त्योहार अपने परिवार के साथ मनाते हैं। लोग दुल्ला भट्टी के गीत गाते हैं। कहते हैं अकबर शासन काल में दुल्ला भट्टी एक लुटेरा था, वही हिंदू लड़कियों को गुलाम के तौर पर बेचे जाने का विरोधी था। ऐसे में वह हिंदू लड़कियों को बचाकर हिंदू लड़कों से शादी करवाया करता था।
लोहड़ी के मौके पर जो लोक गीत गाए जाते हैं, उसके माध्यम से दुल्ला भट्टी को आभार व्यक्त किया जाता है। इस शुभ दिन पर पारंपरिक खानपान के साथ – साथ पारंपरिक कपड़े भी पहने जाते हैं और साथ में पंजाब का लोक नृत्य भांगड़ा भी किया जाता है।