ज़िन्दगी गुलज़ार है बस जरूरत है खुद पर भरोसा करने की
ज़िन्दगी
रात का सन्नाटा जब शोर मचाता है, तारों की छाव जब घर बन जाता है। जब अधूरा भी पूरा बन जाता है और गम का नाम और निशान मिट जाता है। तब ज़िन्दगी की गाड़ी सही पटरी पर चल रही होती है। इंसान को जब ज़िन्दगी में एक ऐसा एहसास मिलता है, जहाँ सब कुछ एक अलग सा सुकून देता है। तब उसकी ज़िन्दगी उसकी अपनी होती है। उस ज़िन्दगी में उसे अलग ख़ुशी और संतुष्टि मिलती है। तब ज़िन्दगी गुलज़ार होती है।
ऐसी संतुष्टि और ख़ुशी पाने के लिए एक इंसान को अपने आप में पूरा महसूस करना होगा। ज़िंदगी मुश्किल हो या आसान हर पड़ाव को मेहनत और धैर्य से पार करना होगा। सवाल कई होंगे, हर सवाल का जवाब ढूँढना होगा।
हम कल का इंतज़ार करते है और कल में ही जीते हैं। आज का समय आ कर गुज़र जाता है और हम आज में पूरी तरह जी भी नहीं पाते। समय के इस खेल में सब जीतने के लिए मशक्कत करें जा रहा है। कोई खेल को खेल ही नहीं रहा है। हार और जीत इतनी ज़रूरी हो गयी है, कि साँस लेना भी मुश्किल है।
जब दम घुटता है, बेचैनी होती है और आँखों के आगे सिर्फ अँधेरा होता है, तब ज़रूरत है रुक कर साँस लेने की और सोचने की, ‘क्या यही है जो मुझे सच में करना है?’ , ‘क्या इस भीड़ और दौड़ में मैंने खुद से जीतना है या दूसरों को हराना है?’ जब इन सवालों के जवाब मिल जाए तो ही आगे बढ़ियेगा।
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ज़िन्दगी को समझो
इस ज़िन्दगी के सफर में अगर हम बिना कुछ सीखे ही आगे बढ़ते जा रहे है तो इससे बड़ी बेवकूफी कुछ नहीं होगी। खुद से जीते बिना दूसरे को हराना बेमतलब हो जाता है। आगे बढ़ना ही है तो खुद पर जीत हासिल करो और दूसरों को आगे बढ़ाओ। खुद को संतुष्टि होनी चाहिए, दुनिया तो क्षणभंगुर है, ना खुद ज़्यादा समय तक रहेगी और ना तुम्हें रहने देगी।
तो इसलिए, ना ही अपनी क्षमता पर शक करें और ना ही अपनी काबिलीयत पर। ज़िन्दगी को इतनी गम्भीरता से भी ना ले की वो तुम्हें गंभीर बना दे। ज़िन्दगी गुलज़ार है, इसे गुलज़ार ही रहने दे और खुद भी खुश रहे, जीते रहे और यूहीं आगे बढ़ते रहे।