अपनी ग़लती से सीखें
अपनी ग़लती से सीखें
अपनी ग़लती से सीखें:- हर व्यक्ति अपनी ज़िन्दगी में अपनी ग़लतियो से ही सीखता है। गलती छोटी हो या बड़ी, उसका एहसास होना ही एक इंसान की व्यक्तित्व विकास करता है। रावण ने भी गलती करी थी और हर साल रावण को उसकी एक गलती की सजा मिलती है। मज़े कि बात तो यह है, की बेचारे रावण को उसकी गलती की सज़ा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पहले ही दे चुके थे। तो क्यों हम लोग अपनी ग़लतियो से भागते है?
खुद पर जीत हासिल करो, बुराई अपने आप ख़त्म हो जाएगी।
हम खुद को इंसान बुलाते है और ख़ुदा का हक़ माँगते है। ना तो हम ज्ञानी है, और ना ही इतने महान। रावण, कंस और शकुनि से ज़्यादा पाप तो शायद हम खुद कर बैठे है। दूसरे को नीचा दिखाना, भेद भाव करना, स्त्रियों के साथ बदतमीज़ी और बलात्कार करना, चोरी करना, झूठ बोलना और न जाने क्या क्या। इंसान के रूप में हैवान को छुपाए बैठे हो और रावण दहन की बात करते हो।
हर इंसान की यही दिक्कत है कि न तो वह अपनी गलती समझता है और ना ही दूसरे पर इलज़ाम लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना भूल जाता है। अब ऐसा तो है नहीं की यहाँ पर सब ढूध के धुले है। यहाँ लोग अपने परिवार से, सहकर्मियों से और तो और खुद से ही छल कर रहे है।
अब हमें ज़रूरत है अपनी ग़लतियो और कमियों को सुधार कर एक बेहतर इंसान बनने की।