India’s Greatest Inventions: छाती चौड़ी हो जाएगी भारत द्वारा किए गए इन आविष्कारों के बारे में जानकर!
India’s Greatest Inventions: कहां हुई थी शून्य की खोज? कैसे पता लगा था की चंद्रमा पर भी जल है? ऐसे महत्वपूर्ण आविष्कारों के बारे में जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़े!
Highlights:
India’s Greatest Inventions: ऐसे मशहूर आविष्कार जिनके इतिहास के बारे में आपको पता ही नहीं होगा, हमारा दावा है!
कपड़ो पर लगने वाले बटन की खोज भी भारत में ही हुई थी!
दुनिया में सबसे पहले मोतियाबिंद का ऑपरेशन भारत में ही हुआ था!
India’s Greatest Inventions: भारत आत्मनिर्भरता की ओर अभी से नहीं बल्कि कई हजारों वर्षों से चलते आ रहा है। वैसे तो भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और अपनी परंपराओं, विविधताओं के लिए बहुत प्रख्यात है मगर इसके साथ ही इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत ने दुनिया को कई महत्वपूर्ण आविष्कार दिए है। आगे इस लेख में हम कुछ सबसे आश्चर्यजनक और महत्वपूर्ण आविष्कार जो वास्तव में भारत में या भारतीयों द्वारा किए गए थे उनकी बात करेंगे।
हमें इस देश का हिस्सा होने पर गर्व महसूस करने के लिए केवल स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए बल्कि ऐसे कई कारण है जिस पर हम सब भारतीय गर्व महसूस कर सकते है और उसके लिए कोई विशेष दिन या तिथि की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। हम में से बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि इस देश ने दुनिया को क्या दिया है। हम में से अधिकांश लोग महज योग और आयुर्वेद के भारतीय आविष्कारों से परिचित हैं
मगर इनके अलावा भी ऐसे कई अन्य आविष्कार हैं जिनका व्यापक रूप से पूरी दुनिया द्वारा उपयोग किया जा रहा है, लेकिन लोगों द्वारा इसकी सराहना नहीं की जाती है। भारत ने इस दुनिया को सचमुच बहुत कुछ दिया है।
शून्य (0)
गणित के इतिहास में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण योगदान ‘शून्य’ का होता है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘कुछ भी नहीं’ है। इसके बिना कोई बाइनरी सिस्टम नहीं होता यानी आज के आधुनिक युग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला कंप्यूटर भी नहीं होते।
आर्यभट्ट ने दुनिया को यह अंक दिया जिसके लिए हम उनका जितना धन्यवाद करें उतना कम है। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने प्रतीक के रूप में और गणितीय कार्यों जैसे जोड़, घटाव आदि में ‘शून्य’ का उपयोग किया था। शून्य का आविष्कार नौवीं शताब्दी में हुआ था, जहां इसका उपयोग कैलकुलस और अंकगणित में किया जाने लगा।
आयुर्वेद
यदि आपने कभी आयुर्वेदिक चिकित्सा की है या ली है तो आपको इसके लिए भारत को धन्यवाद देना चाहिए या अधिक सटीक रूप से, चिकित्सा के पिता, चरक, जो आयुर्वेद के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक थे उनका धन्यवाद करना चाहिए। ‘आयुर्वेद’ का अर्थ है ‘जीवन का विज्ञान’; यह चिकित्सा का एक पारंपरिक स्कूल है, जिसका आविष्कार और अभ्यास भारत में 5,000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है। हाल के वर्षों में इस प्राचीन चिकित्सा ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है।
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यूएसबी (यूनिवर्सल सीरियल बस)
अपनी छेत्र में माहिर अजय भट्ट एक भारतीय-अमेरिकी कंप्यूटर आर्किटेक्ट थे जिन्होंने यूएसबी का आविष्कार किया था। यूएसबी, आकार में छोटा पर सक्षम योग्य स्टोरेज डिवाइस होता है जो डेटा स्टोरेज और ट्रांसफर का एक बड़ा हिस्सा रखने और करने में सक्षम हुआ करता है। अपने छोटे आकार के कारण, इसे कहीं भी बड़ी आसानी से ले जाने और उपयोग करने में बेहद आसानी होती है।उनके द्वारा विकसित किया गया यूएसबी पोर्ट को बाद में एपल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे तकनीकी दिग्गजों द्वारा अनुकूलित किया गया था। उन्होंने अपने आविष्कार से एक पैसा भी नहीं कमाया।
अजय ने कहते थे कि वह पैसे के लिए कुछ नहीं करना चाहते थे, बल्कि टेक्नोलॉजी में बदलाव और इनोवेशन लाना चाहते थे। उनके इस आविष्कार के लिए दुनिया भर में भारत का टेक्नोलॉजी के छेत्र में अलग नाम और पहचान है।
बोर्ड के खेल
अगर आप क्लासिक ‘शतरंज’, ‘सांप और सीढ़ी’ या लूडो जैसे बोर्ड गेम खेलना पसंद करते है तो इसके लिए आपको भारत को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि इसका आविष्कार भी इस पावन धरा पर ही हुआ था। शतरंज बुद्धिजीवियों का खेल है, और इसकी उत्पत्ति छठी शताब्दी ईस्वी के आसपास गुप्त काल के दौरान ‘अष्टपद’ के रूप में हुई थी।
13वीं शताब्दी के कवि ज्ञानदेव ने ‘सांप और सीढ़ी’ का आविष्कार किया था, जिसे मूल रूप से ‘मोक्षपत’ के नाम से भी जाना जाता है। सांप दोषों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि सीढ़ी सद्गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान, यह प्राचीन भारतीय खेल पहले इंग्लैंड और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में मशहूर हो गया था।
योग
स्वस्थ जीवन के क्षेत्र में भी भारत ने एक महत्वपूर्ण योगदान पूरी दुनियां को दिया है। भारत ने प्राचीन काल से देश में खोजे गए और अभ्यास किए जाने वाले योग से दुनिया का परिचय कराया है, जिसकी उत्पत्ति पहले योग गुरु भगवान शिव जिन्हे आदि योग के रूप में भी जाना जाता है उनसे हुई थी। आज दुनिया भर में लोग स्वस्थ जीवन के लिए योग को आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक व्यायाम का दैनिक आधार पर अभ्यास करते हैं।
इसके अलावा, दुनिया हर साल 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ भी मनाती है और इस दिन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने योग का अभ्यास करने और इसे योग दिवस के रूप में मनाने की अवधारणा की बड़े पैमाने में शुरुआत की थी।
शैम्पू
शैम्पू एक ऐसा पदार्थ है जो दिन प्रतिदिन में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बारे में ज्यादातर लोगों में यही अवधारणा है की यह भी विदेशी सभ्यताओं से प्रभावित होकर की भारत में आया है मगर यह सच नहीं है। इसका आविष्कार मुगल साम्राज्य के दौरान सन 1762 में किया गया था और प्राकृतिक तेलों और जड़ी-बूटियों से युक्त ‘सिर की मालिश’ के रूप में उपयोग किया जाता था। अंग्रेजी शब्द ‘शैम्पू’ का नाम हिंदी शब्द ‘चम्पो’ से ही लिया गया है, जो संस्कृत शब्द ‘चपयाती’ से आया है, जिसका अर्थ है मालिश।
तार रहित संपर्क या वायरलेस संचार
भारत में हुए इस आविष्कार ने हमारे संवाद को करने के तरीके में दुनिया भर में क्रांति ला दी है। इतिहासकारों ने वायरलेस रेडियो संचार का आविष्कार करने के लिए गुग्लिल्मो मार्कोनी को श्रेय दिया, जबकि सर जगदीश चंद्र बोस वास्तव में पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 1895 में सार्वजनिक रूप से संचार के लिए रेडियो तरंगों के उपयोग का प्रदर्शन किया था। दूसरे शब्दों में, सर जगदीश चंद्र बोस ने वायरलेस संचार तकनीक का आविष्कार किया, जो लोगों को बिजली के कंडक्टरों, तारों या केबलों की आवश्यकता के बिना दूर से ही जल्दी से संचार करने और सूचना प्रसारित करने में सक्षम बनाता है।
बोस के क्रांतिकारी प्रदर्शन ने मोबाइल टेलीफोन, रडार, रेडियो, टेलीविजन प्रसारण, वाईफाई, रिमोट कंट्रोल और अनगिनत अन्य अनुप्रयोगों में उपयोग की जाने वाली तकनीक की नींव रखी जो आज व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं।
एक सदी से भी अधिक समय बाद, सर बोस को उनकी उपलब्धि के लिए मरणोपरांत श्रेय दिया गया। इस खोज ने वास्तव में आधुनिक वायरलेस संचार के चेहरे को आकार दिया !
बटन
आपको जानकर हैरानी होगी कि बटन भी भारत से ही आते हैं। हाँ यह सच हे! बटनों की उत्पत्ति 2000 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी सभ्यता में हुई थी। लगभग 5,000 साल पहले, यह सीपियों से बना करते थे और उनमें छोटे-छोटे छेदों के साथ ज्यामितीय आकृतियों का निर्माण किया जाता था। अतीत में, उनका उपयोग सजावटी उद्देश्यों के लिए किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने उनका उपयोग कपड़े को बांधने के लिए करने लगे।
कुष्ठ रोग और लिथियासिस
भारत सदियों से चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है। भारतीयों ने सबसे पहले अथर्ववेद में वर्णित प्राचीन उपचारों का उपयोग करके कुष्ठ रोग की पहचान की और उसका इलाज किया, हालांकि इसके आविष्कारक का नाम अज्ञात है। लिथियासिस शरीर में पत्थरों के निर्माण को संदर्भित करता है, और सुश्रुत संहिता 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में, प्राचीन शल्य चिकित्सा पर एक पाठ्यपुस्तक में वर्णित उपचार से इस बीमारी का इलाज करने वाला पहला भारतीय थे।
सुश्रुत संहिता, भारतीय चिकित्सक सुश्रुत द्वारा तैयार किया गया एक पाठ, आयुर्वेद के आधार ग्रंथों और शल्य प्रशिक्षण, उपकरणों और प्रक्रियाओं का वर्णन करने वाला पहला चिकित्सा विश्वकोश था।
मोतियाबिंद ऑपरेशन
भारत के द्वारा यह चिकित्सा के क्षेत्र में पाई गई एक और उपलब्धि है। मोतियाबिंद सर्जरी के लिए, दुनिया तीसरी शताब्दी में इस ऑपरेशन को विकसित करने वाले भारतीय चिकित्सक सुश्रुत को धन्यवाद देती है। उन्होंने एक घुमावदार सुई, जिसे जबा मुखी सलका भी कहा जाता है उसका उपयोग करके यह सर्जरी की, जिसने लेंस को ढीला कर दिया और फिर मोतियाबिंद को आंख के पिछले हिस्से में धकेल दिया।
सुश्रुत ने का यह तरीका सफल रहा; हालांकि, सुश्रुत ने सभी को सलाह दी कि जब आवश्यक हो तभी इस सर्जरी को करें। आखिरकार, यह ऑपरेशन बाद में पश्चिम और दुनिया भर में बढ़ा प्रचलित हुआ।
प्राकृतिक फाइबर
जूट, कपास और ऊन जैसे प्राकृतिक रेशों से बने उत्पादों की उत्पत्ति भारत में ही हुई है। बेहतरीन ऊन भारत के कश्मीर क्षेत्र से आती थी और इसका इस्तेमाल ऊनी शॉल बनाने के लिए किया जाता था। देश ने जूट और कपास की खेती का भी बीड़ा उठाया था। सिंधु घाटी सभ्यता के निवासियों ने सैकड़ों साल पहले कपास की खेती की और कपास को धागों में बदला, जिसे बाद में कपड़ों में इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, प्राचीन काल से, भारत जूट का उत्पादन कर रहा है और पश्चिम को कच्चे जूट का निर्यात भी लगातार बड़ी मात्रा में कर रहा है।
स्याही
विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियों का स्वतंत्र रूप से लेखन के लिए विभिन्न स्याही तकनीकों की खोज सबसे पहले भारत में ही की गई थी। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में दक्षिण भारत में इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किया जा गया था।
चंद्रमा में जल
चंद्रयान -1 सितंबर 2009 में चंद्रमा पर पानी के अस्तित्व को साबित करने वाला पहला अंतरिक्ष यान था। चंद्रमा में जल की खोज का श्रेय चंद्रयान मिशन को दिया जाता है।
Conclusion: भारत सिर्फ अपनी विविधताओं के लिए ही नहीं बल्कि आविष्कारों के लिए भी जाना और दुनिया भर में माना जाता है। इस लेख में हमने आपको कुछ ऐसे अनजाने आविष्कारों के बारे में बताने का प्रयास किया जिनका उपयोग हम रोजमर्रा की जिंदगी में करते है मगर उसके पीछे जुड़ा उसका इतिहास नहीं जानते थे। उम्मीद है इस लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आप अपने भारतीय होने को लेकर और ज्यादा गौरवान्वित महसूस कर रहे होंगे।