लाइफस्टाइल

क्यों जोड़ा जाता है भारत में महिलाओं को उनके कपड़ों के साथ ?

क्या छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियां चरित्रहीन होती हैं ?


भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न प्रकार की संस्कृति का समावेश है और उसी प्रकार यहाँ पर ऐसा ही समावेश आपको कपड़ों में देखने को मिलेगा.किसी समय पर पुरुष प्रधान समाज में महिलाओ को सिर्फ ऐसे कपड़ों को पहनने की अनुमति थी जो उन्हें पूरी तरह से ढकें रखें और वो पल्लू के पीछे ही रहें। हालांकि समय बदला और महिलाओं को कपड़ों को लेकर आज़ादी मिली और उन्होंने वो पहनना शुरू कर दिया जो उन्हें पसंद था जैसे जीन्स, टॉप, मिनी स्कर्ट्स, पैंट -शर्ट्स आदि। समय बदलने के साथ ही महिलाओं के वेशभूषा और परिधान में तो बदलाव आ गया लेकिन क्या भारतीय लोगों की मानसिकता में फ़र्क़ आया.

सच कहूं तो नहीं, आज भी भारत देश में लड़की के चरित्र को उसके कपड़ों के साथ जोड़ा जाता हैं. ऐसा नहीं है कि लोगों की मानसिकता नहीं बदली लेकिन उसमे अगर हम प्रतिशत की बात करें तो समाज का एक बहुत कम हिस्सा ही लड़कियों और महिलाओं को उनके कपड़ों से नहीं अपितु उनके व्यवहार से जानता है।

लड़की के कपड़ों को लेकर क्या है लोगों की मानसिकता ?

लड़की के कपड़ों को लेकर लोगों की मानसिकता बहुत खराब होती है। उनके अनुसार, अगर लड़की ने छोटे कपड़े पहने है तो उसका चरित्र अच्छा नहीं है या फिर वो लड़की बदमाश है, बेशर्म है। कुछ लोग तो इस हद तक गिर जाते है कि वो ऐसी लड़की को परेशान करना अपना हक़ मानते हैं ताकि वो ऐसे कपड़ें ना पहने। कुछ लोग तो पूरी बेशर्मी से कहते है कि ऐसी लड़की का तो बलात्कार किया जाना चाहिए क्योंकि वह छोटे कपड़े पहनती है। जब कोई लड़की थोड़ा सा डार्क मेकअप करें तो उसे फूहड़ कहा जाता है या फिर अगर किसी लड़की का क्लीवेज दिख रहा है तो वह प्रोस्टीटूट जैसी है या फिर वह लड़की वेश्या है अगर उसकी गर्दन पर एक टैटू नज़र आता है।

पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की भावनाओं की कदर नहीं होती है। अगर हम बात करें कपड़े और श्रृंगार की तो वो महिलाओं के अच्छा दिखने और उन्हें अच्छा महसूस करवाने के लिए बने हैं, ना कि उनके चरित्र को मापने के लिए. उनके चरित्र का न्याय करने के लिए पुरुष नहीं बने हैं, कपड़ों से चरित्र का मापना कहां का न्याय है ?

यह सवाल हमें पुरुषों से और समाज से करना चाहिए  – क्यों एक लड़की से ही एक निश्चित तरीके से व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है? क्या पुरुषों को महिलाओ के व्यक्तिगत जिंदगी में हस्तक्षेप करने के लिए बनाया गया है ?

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