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Diwali 2023 Date : इस साल दिवाली कब है ,यहां जानें सही तारीख से लेकर तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
लाइफस्टाइल

Diwali 2023 Date : इस साल दिवाली कब है ,यहां जानें सही तारीख से लेकर तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दशहरा से 20 दिन बाद दिवाली का पर्व मानने की परंपरा है। और इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है।

Diwali 2023 Date : दीपावली का विशेष महत्व, जानें 5 दिन के दीपोत्सव पर्व  की खास बातें

दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दशहरा से 20 दिन बाद दिवाली का पर्व मानने की परंपरा है। और इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है।

दीपावली क्यों मनाया जाता है –

दिवाली के पर्व के बारे मे वेद पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है। वहीं इसके पीछे खगोलीय घटना भी बताई जाती है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि ग्रहों का राजा सूर्य कार्तिक मास में अपनी स्थिति में बदलाव करता है,और इस समय के बाद दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं। वहीं  ये भी है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। कहा तो ये भी जाता है कि  यमराज-नचिकेता की कथा भी इस पर्व से जुड़ी हुई है। दिवाली का पर्व भगवान राम की विजय से भी जुड़ा हुआ है। ये तो हम सभी जानते है कि दशहरा पर लंकापति रावण का वध कर भगवान राम माता सीता को लेकर अयोध्या  लौटे थे। अपने राजा के आगमन पर अयोध्या वासियों ने दीपक जलाकर, पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया था। तो यहीं से दिवाली का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई थी।

 

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दिवाली  विशेष महत्व क्यों है –

दिवाली का त्यौहार बहुत विशेष महत्व माना जाता है। और इस दिन को सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है,वैसे तो हिंदू धर्म में जो भी पर्व होते हैं वे कहीं न कहीं हमारी खेतीबाड़ी से भी जुड़े हैं। कार्तिक मास में  खरीफ की फसलें तैयार हो जाती हैं, ये समय इन फसलों को काटने का है।  यही कारण है कि देश के किसान इस पर्व को समृद्धि से जोड़कर देखते हैं। दिवाली का पर्व हिंदुओं के लिए महत्व नहीं रखता है बल्कि सिख धर्म के लोगों के लिए भी विशेष महत्व होता है।  इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरु हरगोबिंद सिंह की रिहाई हुई थी। गुरु हरगोबिंद सिंह जी दिवाली के दिन 52 राजाओं को जहांगीर की कैद से आजाद कराकर अकाल तख्त साहिब अमृतसर पहुंचे थे। इसलिए इस दिन अमृतसर शहर को दीयों से सजाया जाता है।

 

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दिवाली का पर्व  5 रूपों में मनाया जाता है –

दिवाली का पर्व पांच दिवसीय के रूप में मनाया जाता है।  इन 5 दिनों में अलग-अलग पर्व विशेष महत्व के साथ मनाये जाते हैं जिन्हें अलग- अलग नामों से जाना जाता है। आइये जानते हैं इन पर्व का नाम, डेट और शुभ मुहूर्त-

धनतेरस 10 नवंबर 2023 –

कार्तिक मास के त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस से ही दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी जी और कुबेर भगवान की विशेष पूजा की जाती है। और इस दिन घर, मकान, भूमि, कार, बाइक, बर्तन, सोना, आभूषण आदि चीजों की खरीदारी का विशेष महत्व होता है।

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छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023 –

दिवाली के पर्व का ये विशेष त्यौहार माना जाता है। छोटी दिवाली पर धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा नहीं होती है। बल्कि  मान्यता ये है कि  इस दिन माता काली, भगवान श्रीकृष्ण और यमराज की पूजा की जाती है।

दिवाली 12 नवंबर 2023 –

इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा और साधना की जाती है। दिवाली की रात निशिता काल में मानी जाती है। और  इस वर्ष दिवाली पर निशिता काल का समय रात 11:39- 13 नवंबर 2023 से प्रात: 12:32 तक मान्य रहेगा।

 

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गोवर्धन पूजा 14 नवंबर 2023 –

गोवर्धन पूजा का भी काफी महत्व होता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने ब्रज के रहने वालों को भयंकर बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी हाथ की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था, जिस कारण से सभी की रक्षा हुई थी। सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने के लिए कहा गया है। तभी से यह  मान्यता है कि  यह उत्सव अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के नाम से मनाया जाने लगा है।

भाई दूज 15 नवंबर 2023 –

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ये पर्व मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है। एक पौराणिक कथा है कि इस पर्व की शुरुआत यमुना जी ने की थी। यमुना और यमराज ये दोनों ही सूर्य देव की संतान हैं। यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। कहा जाता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई यमुना नदी में स्नान करते हैं, तो उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है। और भाई दूज के दिन 5 दिनों तक चलने वाले दिवाली उत्सव का समापन भी हो जाता है।

 

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