Dharmavaram Sarees : ये 5 साड़ियां दुनिया में हैं सबसे फेमस, जानिए धर्मावरम साड़ियों का रोचक इतिहास
आपको बता दें कि धर्मावरम साड़ी जिसे मंदिर साड़ी के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत की एक पारंपरिक साड़ी है और सबसे खास बात ये है कि ये बेहद सुंदर साड़ियां हथकरघा पर बनाई जाती हैं।
Dharmavaram Sarees : धर्मावरम साड़ी को कैसे बनाया जाता है, और क्या है इसकी खास पारंपरिक अनूठी विशेषताएं
आपको बता दें कि धर्मावरम साड़ी जिसे मंदिर साड़ी के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत की एक पारंपरिक साड़ी है और सबसे खास बात ये है कि ये बेहद सुंदर साड़ियां हथकरघा पर बनाई जाती हैं।
धर्मावरम साड़ी क्या है इतिहास –
ये भारत की एक पारंपरिक साड़ी है। यह धर्मावरम साड़ी आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित धर्मावरम शहर में उत्पन्न हुई थी। और इनकी बुनाई 17वीं शताब्दी से शुरू हुई थी,उस समय जब धर्मावरम के राजाओं ने इन साड़ियों को प्रोत्साहन दिया था। और आज भी साड़ियां हथकरघा पर बनाई जाती हैं। ये साड़ियां अपनी महीन कारीगरी, चमकीले रंगों और भारी भरकम डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं। धर्मावरम साड़ी को रेशम, सूत और सोने के तारों से बुना जाता है,और इनकी बुनाई में ‘जरी’ और ‘कसब’ नामक विशेष तकनीकों का इस्तेमाल होता है। और इनकी खासियत इनके जटिल डिजाइन और समृद्ध जरी के काम में होती है।
धर्मावरम साड़ी की विशेषताएं और डिजाइन –
इन धर्मावरम साड़ियों पर मोर, मंदिर, फूल और पक्षियों जैसे खास पारंपरिक डिजाइन बनाये जाते हैं। वैसे तो धर्मावरम साड़ियां आमतौर पर लाल, हरे, पीले और नीले रंगों में उपलब्ध होती हैं। धर्मावरम साड़ियां भारत भर में, खासकर दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय माना जाता हैं। इसलिए इन्हें अक्सर शादियों, त्योहारों और अन्य विशेष अवसरों पर पहना जाता है। ये साड़ियां अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए पूरे देश में जानी जाती हैं, और इन्हें एक स्टेटस सिंबल भी माना जाता है। वैसे तो धर्मावरम साड़ियों की कई किस्में और प्रकार हैं, जिनमें पट्टू, कोरापल्ली, और अरनी साड़ी शामिल हैं। प्रत्येक किस्म की अपनी अनूठी विशेषताएं और डिजाइन होते हैं।
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‘धर्मावरम साड़ी’ की कीमत और कहां पर मिलती है –
इस साड़ी की बुनाई हाथ से की जाती है, इसलिए यह साधारण कॉटन साड़ी से आपको यह साड़ी महंगी मिलेंगी। वैसे तो धर्मावरम साड़ी की जानकारी आम लोगों को नहीं होती है, साथ ही यह साउथ इंडियन साड़ी है, इसलिए आपके हैंडलूम शॉप, मेले एक्सपो और साउथ इंडियन साड़ी शॉप्स में ही मिल सकती है। आप चाहे तो ये साड़ी धर्मावरम शहर से या ऑनलाइन स्टोर से धर्मावरम साड़ी खरीदा जा सकता है। सबसे खास बात तो ये है कि असली धर्मावरम साड़ी की पहचान करने के लिए, आपको ‘धर्मावरम सिल्क साड़ी प्रोडक्शन सोसाइटी’ का प्रमाण पत्र देखना जरूरी होता है। इन साड़ियों को हाथ से धोना चाहिए और हल्के डिटर्जेंट का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा इन्हें सीधे धूप में नहीं सुखाना चाहिए, और इन्हें स्टोर करते समय उन्हें एसिड-फ्री पेपर में ही लपेट कर रखना चाहिए।
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पट्टू साड़ी –
यह धर्मावरम साड़ी का सबसे लोकप्रिय पट्टू साड़ी है। इसे रेशम के धागों से बुना जाता है और इसमें सोने और चांदी के तारों का काम किया जाता है। इस पट्टू साड़ियां आमतौर पर लाल, हरे, पीले और नीले रंगों में बनाई जाती हैं, और इन पर पारंपरिक डिजाइन जैसे कि मोर, मंदिर, फूल और पक्षी के आकर्षक डिजाइन बने होते हैं।
कोरापल्ली साड़ी –
यह धर्मावरम साड़ी का एक ही लोकप्रिय प्रकार है। इसे सूत के धागों से बुना जाता है और इसमें सोने और चांदी के तारों का काम होता है। वैसे तो कोरापल्ली साड़ियां आमतौर पर सफेद, क्रीम और ऑफ-व्हाइट रंगों में उपलब्ध होती हैं, और इन पर सरल और सुरुचिपूर्ण डिजाइन बने होते हैं।
अरनी साड़ी –
यह धर्मावरम साड़ी का एक अनूठा प्रकार माना जाता है,और इसे भी सूत और रेशम के धागों के मिश्रण से बुना जाता है और इसमें सोने और चांदी के तारों का काम होता है। अरनी साड़ियां आमतौर पर गुलाबी, नारंगी और पीले रंगों में उपलब्ध होती हैं, और इन पर जटिल और फूलों वाले खास डिजाइन बने होते हैं।
कलमकारी साड़ी –
यह धर्मावरम साड़ी का एक विशेष प्रकार होता है,और इसे सूत के धागों से बुना जाता है और इसमें कलमकारी नामक एक पारंपरिक हाथ से चित्रित डिजाइन होता है। वैसे कलमकारी साड़ियां आमतौर पर सफेद, क्रीम और ऑफ-व्हाइट रंगों में उपलब्ध होती हैं, और इन पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके किए गए चित्र होते हैं।
इकत साड़ी –
यह धर्मावरम साड़ी का एक और विशेष प्रकार है,और इसे भी सूत या रेशम के धागों से बुना जाता है और इसमें इकत नामक एक बंधेज डिजाइन बना होता है। इकत साड़ियां आमतौर पर विभिन्न रंगों में उपलब्ध होती हैं, और इन पर ज्यामितीय और अमूर्त डिजाइन बने होते हैं।
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