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Déjà Vu: डेजा वू रहस्य, क्यों लगता है सब पहले से देखा हुआ है?

Déjà Vu, क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप किसी जगह पहली बार गए हों, लेकिन अचानक ऐसा महसूस हो कि आपने यह दृश्य पहले भी देखा है?

Déjà Vu : क्यों होता है Déjà Vu? जानें इसके वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण

Déjà Vu, क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप किसी जगह पहली बार गए हों, लेकिन अचानक ऐसा महसूस हो कि आपने यह दृश्य पहले भी देखा है? या फिर किसी बातचीत को सुनते-सुनते लगे कि यही शब्द आपने पहले भी सुने हैं? इस अनुभव को मनोविज्ञान की भाषा में Déjà Vu (डेजा वू) कहा जाता है। यह एक फ्रेंच शब्द है, जिसका अर्थ है “पहले से देखा हुआ”। डेजा वू एक रहस्यमयी और अजीब सा अनुभव है जो लगभग हर इंसान की जिंदगी में कभी न कभी जरूर होता है। वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक विद्वान लंबे समय से इस पर शोध कर रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है। आइए जानते हैं डेजा वू के कारण, वैज्ञानिक व्याख्या और आध्यात्मिक दृष्टिकोण—

Déjà Vu क्या है?

डेजा वू एक साइकोलॉजिकल फेनॉमेनन है, जिसमें इंसान को लगता है कि वह वर्तमान में जो कुछ भी देख रहा है, उसे पहले भी अनुभव कर चुका है।

-यह अनुभव अचानक आता है और कुछ सेकंड के लिए ही रहता है।

-व्यक्ति को लगता है कि उसने यही स्थिति पहले जी है या देखा है।

-हालांकि असलियत में वह परिस्थिति पहली बार सामने आती है।

डेजा वू कितनी बार होता है?

रिसर्च के मुताबिक:

-लगभग 60-70% लोग अपने जीवन में कभी न कभी डेजा वू का अनुभव करते हैं।

-यह अनुभव ज्यादातर युवा अवस्था (15-25 वर्ष) में अधिक होता है।

-उम्र बढ़ने के साथ डेजा वू का अनुभव कम होने लगता है।

डेजा वू होने के वैज्ञानिक कारण

1. दिमाग की स्मृति प्रक्रिया

हमारा दिमाग जब कोई नया अनुभव देखता है, तो उसे शॉर्ट-टर्म मेमोरी में सेव करता है। कभी-कभी यह सूचना गलती से लॉन्ग-टर्म मेमोरी में चली जाती है, जिससे दिमाग को लगता है कि यह घटना पहले भी हो चुकी है।

2. न्यूरॉन्स की गतिविधि

न्यूरोसाइंटिस्ट मानते हैं कि जब दिमाग के न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाएं) एक साथ अचानक एक्टिव हो जाते हैं, तो वे वर्तमान दृश्य को “पहले से परिचित” की तरह महसूस कराते हैं।

3. आंख और दिमाग का असंतुलन

कभी-कभी हमारी आंखों से मिली जानकारी दिमाग तक पहुंचने में मिलीसेकंड्स की देरी हो जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि जब वही दृश्य दूसरी बार दर्ज होता है तो दिमाग को लगता है कि यह पहले भी देखा गया है।

4. ज्यादा थकान या तनाव

वैज्ञानिकों के अनुसार थके हुए या तनावग्रस्त दिमाग में डेजा वू की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि उस समय दिमाग की मेमोरी प्रोसेसिंग असामान्य रूप से काम करती है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

मनोविज्ञान मानता है कि डेजा वू हमारी स्मृति, अवचेतन मन और भावनाओं से जुड़ा होता है।

-कभी-कभी पुरानी यादें या सपनों में देखी गई घटनाएं डेजा वू के रूप में सामने आती हैं।

-हमारा अवचेतन मन पहले से किसी चीज़ को महसूस कर चुका होता है और जब वही वास्तविक जीवन में घटता है, तो déjà vu का अनुभव होता है।

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आध्यात्मिक और रहस्यमयी दृष्टिकोण

1. पिछले जन्म से जुड़ाव

कई आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार डेजा वू पिछले जन्म की घटनाओं से जुड़ा हो सकता है। जब कोई स्थिति पहले के जन्म में घट चुकी होती है और वही अनुभव वर्तमान में मिलता है, तो हमें डेजा वू महसूस होता है।

2. भविष्य की झलक

कुछ लोग मानते हैं कि डेजा वू भविष्य की झलक हो सकती है। यानी हमें भविष्य की किसी घटना का अनुभव पहले ही हमारे अवचेतन मन में हो जाता है और जब वही घटना घटती है, तो déjà vu का अनुभव होता है।

3. आत्मा और ब्रह्मांड का संबंध

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच गहरा संबंध है। कभी-कभी आत्मा ब्रह्मांडीय ऊर्जा के जरिए ऐसी सूचनाएं प्राप्त करती है, जिससे इंसान को पहले से देखे हुए जैसी अनुभूति होती है।

डेजा वू और सपनों का रिश्ता

कई बार हम सपनों में ऐसी घटनाएं देख लेते हैं जो हमें याद नहीं रहतीं। बाद में जब वही घटनाएं वास्तविक जीवन में होती हैं, तो हमें लगता है कि यह दृश्य पहले देखा हुआ है। वास्तव में यह सपनों और वास्तविकता का कनेक्शन होता है।

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क्या डेजा वू खतरनाक है?

ज्यादातर मामलों में डेजा वू बिल्कुल सामान्य है और इसमें किसी खतरे की बात नहीं है।

-हालांकि, अगर यह अनुभव बहुत बार और लगातार होने लगे, तो यह मिर्गी (Epilepsy) या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है।

-ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

डेजा वू से निपटने के तरीके

-इसे सामान्य अनुभव मानें और ज्यादा सोचें नहीं।

-तनाव और थकान को कम करें।

-नींद पूरी लें और दिमाग को रिलैक्स रखें।

-ध्यान और योग का अभ्यास करें।

डेजा वू एक रहस्यमयी और रोमांचक अनुभव है, जिसे लगभग हर इंसान कभी न कभी महसूस करता है। वैज्ञानिक इसे दिमाग की मेमोरी प्रोसेसिंग की गड़बड़ी मानते हैं, जबकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण इसे पिछले जन्म, भविष्य या आत्मा से जोड़ता है। असल मायने में यह अनुभव हमें यह अहसास कराता है कि इंसानी दिमाग और चेतना कितनी गहरी और रहस्यमयी है।

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