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Bhai Dooj 2025: भाई दूज 2025, तिलक, मिठाई और स्नेह से सजा अटूट रिश्ता

Bhai Dooj 2025, दीपावली के बाद मनाया जाने वाला भाई दूज (Bhai Dooj) एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के रिश्ते को और भी गहराई से जोड़ता है।

Bhai Dooj 2025 : भाई दूज 2025 में ऐसे मनाएं भाई-बहन का प्रेम पर्व, जानें परंपरा और पूजा विधान

Bhai Dooj 2025, दीपावली के बाद मनाया जाने वाला भाई दूज (Bhai Dooj) एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के रिश्ते को और भी गहराई से जोड़ता है। जहां राखी में बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, वहीं भाई दूज पर वह उसे तिलक लगाकर उसकी खुशहाली और सफलता की दुआ करती है। इस बार भाई दूज 2025 में शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस पवित्र पर्व की परंपरा, पूजा-विधि और आधुनिक युग में इसका बदलता स्वरूप।

भाई दूज का अर्थ और महत्व

‘भाई दूज’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है — ‘भाई’ अर्थात भाई और ‘दूज’ अर्थात कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि। यह दिन यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमी (या यमुना) से मिलने उनके घर गए थे। बहन ने उनका स्वागत किया, तिलक लगाया और प्रेमपूर्वक भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के हाथों तिलक करवाएगा, उसे दीर्घायु और सुख प्राप्त होगा। तभी से भाई दूज का पर्व भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक बन गया।

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भाई दूज 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार,

  • तारीख: शनिवार, 18 अक्टूबर 2025
  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर 2025 को रात 10:40 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर 2025 को रात 8:25 बजे
  • शुभ पूजा मुहूर्त: सुबह 10:45 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक
    इस दौरान तिलक और पूजन करना सबसे शुभ माना जाएगा।

भाई दूज की परंपरा

भाई दूज की परंपराएं भारत के अलग-अलग हिस्सों में थोड़ी अलग हैं, लेकिन इनका उद्देश्य एक ही है — भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाना।

  • बहन अपने भाई को अपने घर बुलाती है या भाई बहन के घर जाता है।
  • बहन थाली में दीपक, चावल, मिठाई, रोली और अक्षत रखकर पूजा करती है।
  • भाई को तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है और मिठाई खिलाई जाती है।
  • भाई अपनी बहन को उपहार या धनराशि देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।

इस दिन घरों में विशेष पकवान बनते हैं और परिवार एक साथ भोजन करता है। यह दिन प्रेम, आशीर्वाद और परिवार की एकजुटता का प्रतीक बन जाता है।

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भाई दूज की पूजा-विधि

भाई दूज की पूजा सरल लेकिन अत्यंत पवित्र होती है। नीचे दिए गए चरणों में इसे संपन्न किया जाता है —

  1. स्नान और स्वच्छता:
    सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें और घर के पूजा स्थल को सजाएं।
  2. पूजन स्थल की तैयारी:
    लकड़ी या चौकी पर चावल का चौक (आल्पना) बनाएं और उस पर भाई को बैठाएं।
  3. दीपक प्रज्वलन:
    दीया जलाकर भगवान गणेश, यमराज और यमुना देवी का ध्यान करें।
  4. तिलक और आरती:
    बहन भाई के माथे पर रोली, चावल और सिंदूर से तिलक लगाती है। इसके बाद आरती उतारकर दीर्घायु की कामना करती है।
  5. भोजन और मिठाई:
    तिलक के बाद भाई को मिठाई, फल और स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए जाते हैं।
  6. उपहार और आशीर्वाद:
    भाई बहन को उपहार देता है और हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देता है। बहन भी अपने भाई के अच्छे स्वास्थ्य और सफलता की प्रार्थना करती है।

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथाएं

1. यमराज और यमुना की कथा:

सबसे प्रसिद्ध कथा यमराज और यमुना की है। जब यमराज बहन यमुना के घर पहुंचे, तो बहन ने उनका स्वागत तिलक और मिठाई से किया। यमराज ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे यमराज के भय से मुक्ति मिलेगी।

2. भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा:

एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया, तो वे अपनी बहन सुभद्रा के घर गए। सुभद्रा ने उनका स्वागत फूलों और मिठाइयों से किया और तिलक लगाया। तब से यह परंपरा ‘भाई दूज’ के रूप में मनाई जाने लगी।

भारत में भाई दूज के क्षेत्रीय रूप

भाई दूज पूरे भारत में अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।

  • उत्तर भारत: इसे भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र और गोवा: इसे ‘भाऊ बीज’ कहा जाता है।
  • बंगाल: यहां इसे ‘भाई फोटा’ कहा जाता है, जहां बहनें अपने भाई को चंदन और घी से तिलक लगाती हैं।
  • नेपाल: इसे ‘भाई टीका’ कहा जाता है और यह पांच दिन तक चलने वाले तिहार त्योहार का हिस्सा होता है।

हर क्षेत्र की अपनी विशेषता है, लेकिन भावनाएं समान हैं — भाई-बहन का प्रेम और स्नेह।

आधुनिक युग में भाई दूज का उत्सव

आज के समय में भाई दूज का उत्सव पारंपरिक और आधुनिक तरीकों का सुंदर संगम बन चुका है।

  • जो भाई-बहन दूर रहते हैं, वे ऑनलाइन वीडियो कॉल पर तिलक समारोह करते हैं।
  • डिजिटल गिफ्ट्स और ई-वाउचर देने की परंपरा बढ़ी है।
  • सोशल मीडिया पर लोग अपनी भाई-बहन की तस्वीरें और शुभकामनाएं साझा करते हैं।
  • शहरी परिवारों में बहनें कस्टमाइज्ड थाली और गिफ्ट बॉक्स तैयार करती हैं।

इस तरह, आधुनिक जीवनशैली के बावजूद भाई दूज का भाव — “भाई-बहन का प्रेम अमर रहे” — अब भी उतना ही मजबूत है।

भाई दूज पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • भाई बहन के घर अवश्य जाए या वीडियो कॉल के माध्यम से शुभकामना दे।
  • पूजा के दौरान सच्चे मन से तिलक करें।
  • घर में दीप जलाएं और मिठाई का प्रसाद बांटें।

क्या न करें:

  • किसी से कटु वचन न कहें।
  • पूजा के समय मोबाइल या टीवी जैसी चीजों से ध्यान न भटकाएं।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें, क्योंकि यह दिन सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। भाई दूज 2025 न केवल एक पारंपरिक पर्व है, बल्कि यह पारिवारिक एकता, प्रेम और सम्मान का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि रिश्ते केवल रक्त से नहीं, बल्कि विश्वास और स्नेह से मजबूत होते हैं। चाहे समय कितना भी बदल जाए, भाई दूज का यह पवित्र बंधन सदैव अटूट रहेगा। इस बार 18 अक्टूबर 2025 को, प्रेम, आशीर्वाद और मुस्कान के साथ इस पर्व को मनाएं और अपने रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार करें।

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