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Asom Divas: असोम दिवस 2025, असम के इतिहास, संस्कृति और गौरव का उत्सव

Asom Divas, हर साल 2 दिसंबर को उत्तर-पूर्वी राज्य Assam में “असम दिवस” या असम-का दिन, जिसे “सु का-फा दिवस” (Chaolung Sukapha Divas) भी कहा जाता है,

Asom Divas : असम के संस्थापक चौलुंग सुकाapha की याद में मनाया जाता है असोम दिवस

Asom Divas, हर साल 2 दिसंबर को उत्तर-पूर्वी राज्य Assam में “असम दिवस” या असम-का दिन, जिसे “सु का-फा दिवस” (Chaolung Sukapha Divas) भी कहा जाता है, मनाया जाता है। यह दिन असम की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व सामाजिक-एकता को याद करने और नए सिरे से उसे सुदृढ़ करने का अवसर है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

13वीं शताब्दी में, Tai मूल के राजकुमार Chaolung Sukapha ने मोंग माओ (वर्तमान चीन-युन्नान सीमा क्षेत्र) से निकलकर आठ हजार (लगभग) अनुयायियों के साथ 1228 ईस्वी में पात्काई पहाड़ियों को पार कर असम के ब्रह्मपुत्र घाटी में प्रवेश किया। उन्होंने वहाँ आकर अहोम (Ahom) राज्य की स्थापना की जो लगभग छः सौ वर्ष तक अस्तित्व में रहा। उनका शासनकाल सिर्फ राजनीतिक विस्तार का नहीं था उन्होंने विभिन्न जनजातियों, भाषाओं और संस्कृतियों को मिलाकर एक समृद्ध सामाजिक ताना-बाना तैयार किया, जिसे “बोर असम” (Greater Assam) कहा जाने लगा।

दिन का चयन व औपचारिक मान्यता

2 दिसंबर इसीलिए चुन लिया गया क्योंकि यह दिन ही Sukapha के असम में प्रवेश एवं शासनस्थापना से जुड़ा हुआ है। इस दिन से ही अहोम शासन की नींव पड़ी थी। 1996 से इस दिन को आधिकारिक रूप से असम दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू हुआ।

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महत्व

सांस्कृतिक एकता का प्रतीक – असम अत्यंत विविधतापूर्ण राज्य है जहाँ कई जन-जातियाँ, भाषाएँ व संस्कृतियाँ एक साथ संतुलित रूप से पाई जाती हैं। यह दिन ऐसे समय का प्रतीक है जब Sukapha ने इस विविधता को ऊर्जा में बदला और सामूहिक असम की भावना को बढ़ावा दिया।

ऐतिहासिक जागरूकता – आज के युवा पीढ़ी को यह अवसर मिलता है कि वे अपने प्रदेश के गौरवशाली अतीत, अहोम काल की उपलब्धियों व सामाजिक समरसता की विरासत को जानें और उस पर गर्व करें।

सामाजिक समरसता का संदेश – इस दिन विभिन्न समुदायों द्वारा एक-साथ कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो अलगाव की बजाय साझेदारी का संदेश देते हैं।

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उत्सव एवं समारोह

  • स्कूल-कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं: भाषण, नृत्य, संगीत, पोस्टर-प्रस्तुति आदि।
  • राज्य-स्तरीय कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री, सामाजिक-सांस्कृतिक हस्तियों द्वारा Chaolung Sukapha को श्रद्धांजलि दी जाती है।
  • लोकनृत्य-संगीत जैसे बिहू, बगुरुंबा आदि का प्रदर्शन होता है, याद दिलाता है असम की जीवंत संस्कृति को।
  • कुछ स्थानों पर प्रमाणित-पुरस्कार समारोह होते हैं, जैसे “सु का-फा अवार्ड” आदि।

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असम दिवस से जुड़े कुछ तथ्य

  • यह दिन सिर्फ असम राज्य तक सीमित नहीं है; देश के अन्य स्थानों में भी असमियन समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
  • कार्यालय-वर्क आदि में भी छुट्टी घोषित होती है, जिससे लोगों को भागीदारी का अवसर मिलता है।
  • यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि इतिहास व विरासत सिर्फ पुराने समय तक सीमित नहीं – बल्कि आज-के समाज में उनका प्रभाव तथा पुनरावलोकन भी ज़रूरी है।

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चुनौतियाँ एवं आगे का रास्ता

हालाँकि असम दिवस सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके माध्यम से जहां एक ओर गौरव महसूस होता है, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी उपस्थित हैं:

  • विभिन्न सामाजिक-समुदायों में अभी भी समरसता व समान अवसर की समस्या बनी हुई है।
  • युवा वर्ग में स्थानीय भाषा, संस्कृति के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। इस दिन को रोचक और सृजनात्मक तरीके से मनाना आवश्यक है।
  • क्षेत्रीय विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य के जैसे प्राथमिक मुद्दों के साथ इस-दिन की अवधारणा को सीधे जोड़ना चाहिए ताकि यह सिर्फ उत्सव न बने बल्कि सामाजिक चेतना का माध्यम बने।

असम दिवस केवल एक छुट्टी या समारोह भर का दिन नहीं है यह अशांति में सहयोग, विविधता में एकता और गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेने का अवसर है। इस दिन हम याद करते हैं कि कैसे एक Tai राजकुमार ने चुनौतियों को पार कर नए समाज की नींव रखी और आज हम उसे अपने इतिहास के रूप में अपनाते हैं।

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