7 बातें जो हर लड़की अपनी ज़िन्दगी में अपने परिवार से एक बार जरूर सुनती है
हमारा परिवार चाहे जितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, हमारे घर वालो की सोच की जड़े आज भी रहती पुराने ज़माने में ही है। बड़ा मुश्किल होता है अपने परिवार को ज़माने के साथ चलाना। जाने अनजाने में वो लड़का लड़की में भेद भाव कर ही देते है। पर फिर अपनी बेटी पर गर्व भी बहुत करते है। आइए जानते है कि वो कौन सी बातें है जो एक लड़की को ज़रूर सुननी पड़ती है :-
‘बेटा अकेले मत जाना’
सुबह का समय हो या शाम का, अगर कोई लड़की किसी भी कारण से बाहर जाना चाहे तो सबसे सवाल उठता है ‘किसके साथ जा रही हो?’ लड़की किसी सहेली के साथ जा रही हो तो ठीक और किसी लड़के के साथ जाए तो उसे सवालो की बाढ़ में डुबो दिया जाता है। और तो और अगर वह अकेले जा रही हो तो ना जाने कैसे कैसे ख्याल माँ बाप को आने शुरू हो जाते है और उसी समय फैसला हो जाता है कि बेटी अगर जाएगी तो किसी के साथ जाएगी वरना घर पर रहेगी।
‘ये पहन के जाओगी?’
परिवार का कोई उत्सव हो या किसी दोस्त का जन्मदिन, लड़कियाँ कुछ भी पहने सबसे पहले सवाल उठता है, ‘ ये पहन रही हो?’ , ‘ कपडे नहीं है क्या पहनने के लिए?’ बस फिर क्या, पूरी बात अब घूम कर कपड़ो से भरी हुई अलमारी और पहनने के लिए एक कपडा ना होने पर आ जाती है। अब इसके बाद लड़की परिवार वालो की पसंद के कुछ पहने तो खुद दुखी रहती है और अपनी पसंद से कुछ पहने तो माता पिता दुखी रहते है।
‘वो लड़का कौन था?’
सह शिक्षा में पढ़ने के बाद हमारे कई दोस्त बनते है। ज़ाहिर सी बात है कि उनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल होते है। अब लड़कियां दोस्त हो तो किसी को कोई तकलीफ नहीं होती। पर अगर कोई लड़का दोस्त हो तो सिर्फ माता पिता को ही नहीं पर पूरे समाज को फिक्कत होती है। खुद को ही शर्म आ जाती है जब कोई दोस्त बहार मिल जाए और हमारे माता पिता की आँखों में सवालो की बाढ़ सिर्फ हमे दिखाई दे।
‘खाना बनाना सीखो वरना कोई शादी नहीं करेगा’
हर कोई अपनी बेटी की शादी के लिए सबसे ज़्यादा चिंतित होता है फिर चाहे लड़की को पहले पढ़ाई ही क्यों न करनी हो। और शादी के लिए सबसे पहली चीज़ जो खुद लड़की के माँ बाप देखते है वो होता है खाना बनाना। उसकी खाना बनाने की कला के आधार पर ये तय किया जाता है कि वो लड़की शादी के लायक है या नहीं।
‘ये सब उल्टा सीधा खाओगी तो मोटी हो जाओगी’
मोटापा मतलब बदसूरत होना और बदसूरत होना मतलब लड़का न मिलना और लड़का न मिलना मतलब शादी ना होना। किसी भी परिवार के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी ही बेटी की शादी होता है। पर कोई ये नहीं समझता की लड़की का वजन उसके गुणों से ज़्यादा ज़रूरी नहीं होता।
‘तू तो हमारी सबसे प्यारी बेटी है!’
तुम चाहे एकलौते क्यों ना हो पर माता पिता ऐसे बोलते है कि अनगिनत बच्चो में से तुम सबसे अच्छी हो। अब आखिर जब इतनी बातो का बुरा लगता है तब माँ बाबा किसी ना किसी ढंग से अपनी राजकुमारी को मनाएंगे ही। इस समय में बेटी की हर खामी उसकी खासियत बन जाता है।
‘अब तू नही करेगी तो कौन करेगा?’
ये पैंतरा तब अपनाया जाता है जब घर का कोई काम नहीं हो रहा होता और माता पिता का लाडला बेटा भी वो काम करने से इंकार कर देता है। ऐसे समय में हर बेटी को उसकी अहेमियत का एहसास दिलाया जाता है। उसको ये भी पता चल जाता है कि वो अपने परिवार के लिए कितनी ज़रूरी है।
हर किसी के प्यार को दर्शाने का तरीका एकदम अलग होता है। हमारा परिवार जाने अनजाने हमे कुछ भी कह ले, इस बात को कोई गलत नहीं ठहरा सकता कि वही हमसे सबसे ज़्यादा प्यार करते है। हमरी कमियों के बावजूद भी हमे अपनाते है।