कोरोना की दूसरी लहर में : घर पर रहें अपने और अपनो के लिए
The second wave of Corona battered India
दिंसबर के महीने की कड़कती ठंड में जब पहली बार लोगों ने कोरोना का नाम सुना था। तब जहन में बस एक ही बात थी यह सिर्फ चीन के वुहान में एक बीमारी है। जो समय के साथ ठीक हो जाएंगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ब्लकि धीरे-धीरे करके सारी दुनिया इसकी चपेट में आ गई। कहीं अस्पतालों में बेड की कमी दिखी तो कहीं श्मशान घाट में पड़े लाशों की ढेर। हर चीज ने लोगों का दिल दहल दिया। डर, मौत का डर लोगों के जहन में इस कदर भर गया कि इंसान-इंसान से दूरी बनाने लगा। हर कोई इससे निजात पाना चाहता था। लगभग एक साल बाद अब इसकी दूसरी लहर देश में शुरु हो गई है। आईये जानते हैं इन दोनों में क्या अंतर है
एक दिन में एक लाख केस
सितंबर 17, 2020 को पहली वेब में एक दिन में 98 हजार केस आएं थे। अप्रैल 2021 में एक दिन में दो लाख केस आएं है. सारा अंतर यही से समझ में आ रहा है। पिछले साल आठ हजार केस से 97 हजार केस पहुंचने में 100 दिन लग गए थे। वहीं इस बार इससे आधे टाइम में दूसरी वेब के दौरान एक लाख तक केस पहुंच गए हैं। यह लोगों को ज्यादा इंफेक्ट कर रहा है। लेकिन मौत का आंकड़ा पहले के मुकाबले इस बार कम है क्योंकि डॉक्टर की मानें तो अभी तक सेकेंड वेब पिक तक नहीं पहुंच पाई है। जहां पहली वेब में एकदिन में 1200 लोगों की मौत हुई थी। वहीं दूसरी वेब में अभी तक 700 लोगों की ही मौत हुई है। पहली वेब में 50 से ज्यादा उम्र वालों पर इसका असर रहा था। वहीं दूसरी बेव में देखा जा रहा है कि यह 40 साल से कम उम्र वाले लोगों पर ज्यादा आक्रामक हो रहा है। जिसके कारण मौतों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। सोचने वाली बात यह है कि जिन राज्यों में पहली वेब के दौरान ज्यादा केस आ रहे थे। उन्हीं में दूसरी लहर में भी आ रहे हैं। इसका एक कारण टेस्टिंग भी है क्योंकि जितनी ज्यादा टेस्टिंग होगी उतना ही लोगों को डिटेक्ट किया जाएगा।
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पिछली बार लॉकडाउन इस बार नाइट कर्फ्यू
भारत मे पहला केस 30 जनवरी 2020 में आया था। जिसके बाद लगातार बढ़ते केसों के बीच आज देश में 1,42,94,899 कन्फर्म केस हैं, जिसमें से 15,69,465 एक्टिव केस हैं। इन दोनों वेब में काफी सारा अंतर देखा जा सकता है। पहली वेब में लोगों को पहले ही घरों में बंद करवा दिया गया। ताकि इस पर नियंत्रण पाया जा सके। सरकार द्वारा मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा दिया गया था। जिसके बाद लोगों के अंदर इसको लेकर एक डर समा गया था। न कोई किसी के घर जाता और न ज्यादा मार्केट, यहां तक की हाथ धोने की आदत ने लोगों के साफ सुथरा रहना सिखा दिया। लोग कहीं भी बाहर निकलते तो पूरी तरह से अपनी सेफ्टी की ध्यान रखतें है। यहां तक ही गांव, कस्बों में भी लोग अलर्ट थे। लेकिन दूसरी लहर में लोग पूरी तरह से निश्चित हैं। कई लोग तो सबसे जरुरी मास्क का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। चूंकि लोग लॉकडाउन की मार को झेल चुके हैं। इसलिए कमाने खाने के लिए घरों से बाहर निकल रहे हैं। जहां पिछली बार लॉकडाउन लगा था वहीं इस बार नाइट कर्फ्यू पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। ताकि अपनी आजीविका से भी वंचित न हो।
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