Ramcharitmanas vivad: रामचरितमानस विवाद पर बोले यूपी के सीएम योगी, Sapa पे saadha nishaana
Ramcharitmanas vivad: सदन में सीएम योगी ने कहा कि रामचरितमानस की चौपाइयों की सही व्याख्या जरूरी
Ramcharitmanas vivad: यूपी विधानसभा में बजट सत्र के छठवें दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामचरितमानस पर अपनी बात रखी। सदन में सवाल उठाते हुए सीएम योगी ने कहा कि जिस तरह कुछ लोगों ने रामचरितमानस फाड़ने और प्रांतियां जलाकर हिंदुओं को अपमानित किया, अगर ये किसी अन्य धर्म के साथ हुआ होता तो क्या स्थिति होती? ऐसा कर के क्या आप पूरे समाज को अपमानित करना चाहते हैं?
सदन में सीएम योगी ने उस चौपाई का मुद्दा उठाया जिसे लेकर ये पूरा विवाद शुरू हुआ था। इस दौरान उन्होंने ‘ताड़ने’ शब्द का अर्थ भी बताया। उन्होंने कहा रामचरितमानस की चौपाइयों को लेकर लोग अपने हिसाब से इसका मतलब निकाल लेते हैं। चौपाइयों की सही व्याख्या होनी चाहिए। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना अवधी में की है। उन्होंने पूछा कि अवधि में ताड़ने का क्या अर्थ होता है? ताड़ने का अर्थ देखने से है!
इसके आलावा उन्होंने ‘शूद्र’ शब्द का अर्थ भी बताया। उन्होंने कहा कि शूद्र का मतलब श्रमिक वर्ग से है। इसे बाबा साहब भी कह चुके हैं कि दलित को शूद्र नहीं कहा जाएगा। सपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आपने बाबा साहब की बात का भी ख्याल नहीं रखा। सीएम योगी ने कहा की समाजवादी पार्टी ने बाबा साहेब के साथ कैसा व्यवहार किया वो जग-जाहिर है। उनके नाम पर बने संस्थानों के नाम बदल दिए गए। सपा पर निशाना साधते हुए सीएम योगी ने कहा कि आपने तो घोषणा भी की थी कि ‘हम आएंगे तो बाबा साहब के सभी स्मारकों को हटा देंगे।’ उनकी जगह पर टेंट हाउस और मरीज हाउस खोले जाएंगे लेकिन आज ये सामाजिक न्याय की बात करते हैं।
Read more: Pakistan Crises: संघ ने दी मोदी सरकार को पड़ोसी धर्म निभाने की सलाह
रामचरितमानस की एक चौपिया को उठाते हुए सीएम ने सपा पर निशाना साधा और कहा, “जाको प्रभु दारुण दिख दीन्हा, ताकि मति पहले हर लेना।” इन पंक्तियों का अर्थ समझाते हुए सीएम योगी ने कहा कि रामचरितमानस को लेकर जिस तरह का माहौल आज बनाया जा रहा है उससे करोड़ों हिंदुओं की बदनामी हो रही है। ये उचित नहीं है, लेकिन कुछ लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहें हैं। शक्ति देना आसान है, बुद्धि देना बहुत कठिन, इसे सरल भाषा में कहें- विरासत में सत्ता तो मिल सकती है, लेकिन बुद्धि नहीं।
बता दे कि इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.