काम की बात

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से क्या वाकई महिलाओं को धुंए से निजात मिल गई है

बढ़ती महंगाई के बीच कैसे बीपीएल परिवार के लिए एलपीजी फील करवाएंगे


चुनावों को दौरान सभी राजनीतिक पार्टियां जनता से कई तरह के वायदे करती हैं। चुनाव जीतने के बाद वह कुछ वायदों को पूरा करती है कुछ को नहीं। जिसके बाद सरकार कई स्कीमों को लाती है। जो जनता के लाभ के लिए होती है। ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री उज्जवला योजना। जो पूरी तरह से महिला के लिए हैं। महिला दिवस वाले सप्ताह में हम काम की बात में इस  योजना पर ही चर्चा करेंगे।

पांच करोड़ परिवारों को इसका लाभ मिलेगा

ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को चूल्हे से छुटकारा दिलाने के लिए इस योजना को लॉन्च किया गया थ। स्वच्छ ईधन, बेहतर जीवन के नारे के साथ केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को लिए कल्याणाकरी योजना प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की है। यह योजना मुख्य रुप से गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों के लिए थी। जिन्हें पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एलपीजी और चूल्हा उपलब्ध कराया जाता है। जिससे वह धुंए से निजात पा सकें। इस योजना के ग्रामीण बीपीएल परिवारों में पांच करोड़ एलपीजी कनेक्शन और 1600 रुपये की वित्तीय सहायत प्रदान की जाएगी। हाल ही में वित्त वर्ष 2021-2022 के बजट की घोषणा के दौरान इस योजना का विस्तार किया गया है। जिसके तहत स्कीम में एक करोड़ नए लाभार्थियों को शामिल करने की बात कही गई है। इस योजना से महिलाओं को धुएं से होने वाली बीमारियों से निजात मिलेगी।

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क्या एक बार कनेक्शन मिल जाने से महिलाओं की परेशानियां हल हो जाती है

सरकार की योजना का क्या सही लाभ लोगों तक पहुंचता है। एक हिंदी न्यूज वेबसाइड की खबर के अनुसार बढ़ते गैस के दाम के कारण लोगों को घरों में गैस ठंडा पड़ने लगा है। महिलाएं दोबारा से चूल्हे की तरह रुख कर रही हैं। पिछले तीन महीने से लगातार बढ़ते एलपीजी के दाम के कारण लोगों की हालत खराब है। ऐसे में बीपीएल परिवारों का क्या हाल होगा यह कह पाना मुश्किल है।  दिसंबर 2020 की शुरुआत में सिलेंडर का दाम 633 रुपये में मिलता था वह फरवरी में 858 रुपये तक हो गया है। अब जो व्यक्ति प्रतिदिन 28 रुपए कमाता है। वह 858 का गैस कैसे भरा सकता है। दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच  ऐसी सरकारी योजनाएं लोगों के लिए सिर्फ कुछ दिनों का सुख है।

ऐसी कहानी कई महिलाओं की है। जिन्होंने बीपीएल कार्ड के बदौलत गैस तो ले लिया है। लेकिन बाद में भराने में सक्षम नहीं है। नाम न  बताने की शर्त पर एक महिला ने बताया कि बड़ी मुश्किल से पहले बीपीएल कार्ड बना। उसके बाद बहुत दौड़ भाग करने के बाद इस योजना का लाभ मिल सका। लेकिन हम जैसे गरीबों को लिए कोई योजना लाभकारी नहीं है। अब गैस इतना ज्यादा महंगा हो गया है  कि लगता है चूल्हा ही जला लिया जाए। जितने का सिलेंडर भराएंगे उतने में कोई और काम हो जाएगा। जब से गैस ज्यादा महंगा हुआ है. मैं ज्यादातर चूल्हे का ही इस्तेमाल करती हूं. गैस सिर्फ इमरजेंसी के दौरान ही इस्तेमाल करती हूं.

 प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की प्रमुख बातें

–         इस योजना का लाभ सिर्फ उसी महिला को मिलेगा जिसके पास बीपीएल कार्ड हो। लेकिन ऐसा अक्सर देखने  को मिलता है। जिन्हें सच में बीपीएल कार्ड की जरुरत होती है। वह इसे बनवा ही नहीं पाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है शिक्षा का अभाव। लोगों को पता ही नहीं होता किस अधिकारी के पास जाना है। किसी के घर में काम करने वाली एक महिला ने हमारी टीम को बताया कि वह गरीबी रेखा  के नीचे आती है। लेकिन कम जानकारी के अभाव में वह  बीपीएल कार्ड नहीं बना पा रही है।

–         इस योजना के तहत सरकार एक चूल्हा और एक सिलेंडर देती है। क्या एक सिलेंडर किसी परिवार के लिए काफी है। सामान्य परिवार  में देखा जाता है कम से कम दो एलपीजी होते हैं। ऐसे में लाभार्थियों को एलपीजी खत्म होने के बाद दूसरे के लिए इंतजार करना पड़ता है।

–         योजना  के तहत सिर्फ एक बार ही भरा हुआ सिलेंडर दिया जाता है। उसके बाद लाभार्थी को स्वयं ही इसे फील करवाना होता है। अब सोचने वाली बात यह है जो पहले ही गरीबी रेखा के नीचे है वह इतना महंगा गैस कैसे भरा सकेगा।

–         आम नागरिकों की तरह इन्हें में सब्सिडी दी जाती है। लेकिन परेशानी इस बात की है कि पहले महंगा गैस भरवाना पड़ता है। अब ऐसी परिस्थिति में सरकार जिन योजनाओं को अपनी चुनावी रैलियों में आंकडों के दौरान पेश करती है. उसका आम जनता के जीवन पर कितना फायदा है. इसका एक उदाहरण यह योजना है.

 

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