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Indian Adoption Laws: बच्चा गोद लेने की सोच रहे हैं? पहले समझ लें इससे जुड़े सभी नियम और प्रोसेस

अनाथ बच्चे को अपनापन देना किसी पुण्य से कम नहीं होता। इसके लिए आपको बस चंद कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा...

Indian Adoption Laws: बच्चे गोद लेने से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

Indian Adoption Laws: कोई भी घर हो, बच्चों की चहल पहल के बिना पूरा नहीं होता। लेकिन हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी होते है जो भगवान की इस रहमत से महरूम रह जाते हैं। लेकिन ऐसे में आपको मायूस नहीं होना चाहिए बल्कि भगवान ने जो चीजें आपको दी है उसके साथ खुश रहना चाहिए। साथ ही अगर आप चाहो तो अनाथ बच्चे को नया घर और अपनापन दे सकते है। बता दें किसी अनाथ बच्चे को अपनापन देना किसी पुण्य से कम नहीं होता। इसके लिए आपको बस चंद कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा। इससे न सिर्फ बच्चों को नई दुनिया मिलती है बल्कि उन लोगों का मां-बाप बनने का सपना भी पूरा हो जाता है, जिनको भगवान इस रहमत से महरूम नहीं करता। हमारे देश में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बेहद सरल है लेकिन हां उसके कुछ नियम कानून जरूर हैं ताकि किसी बच्चे के साथ अन्याय न हो। इन नियमों को आपको पूरा करना होता है।

बच्चे को गोद लेना

आज के समय में कई महिलाएं आत्मनिर्भर रहते हुए सिंगल मदर का विकल्प चुन रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ कपल की परिस्थितियां उन्हें बच्चे को गोद लेने का ऑप्शन चुनने के लिए कहती हैं। लेकिन वही कई कपल ऐसे भी हैं जो अपनी स्वेच्छा से बच्चे को जन्म देने के बजाय गोद लेना सही समझा। उनका माना है कि अगर वो ऐसा करते है तो उनका ये फैसला बच्चे के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं क्योंकि इससे बच्चे की पूरी ज़िंदगी जुड़ी हुई है। लेकिन बता दें कि बच्चे को गोद लेने की राह इतनी आसान नहीं है, पर आप चाहो तो सारी जानकारी प्राप्त करके इस दिशा में आगे बढ़ सकते है।

Indian Adoption Laws
Indian Adoption Laws

बच्चे को गोद लेने से जुड़ा कानून

आपको बता दें हमारे देश में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्यायअधिनियम 2015 के तहत पूरी की जाती है।

बच्चे को गोद लेने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज़

बच्चे को गोद लेने के लिए सबसे पहले आपको एक एप्लिकेशन भरनी पड़ेगी, 4*6 इंच की 4 फोटो, शादी का प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, एडॉप्शन का कारण, कपल को एचआईवी और हेपिटाइटिस रिपोर्ट्स, घर का पता और 2 लोगों का संदर्भ पत्र।

बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया

1. बच्चे को गोद लेने के लिए सबसे पहले आपको CARA की साइट पर जाकर पंजीकरण कराना होता है यानी ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा।

2. उसके बाद आपको अपने सभी दस्तावेज़ जमा करवाने होंगे।

3. उसके बाद आपको एजेंसी के जांच अधिकारी द्वारा जांच पड़ताल की जाएगी और एक रिपोर्ट तैयार होगी।

4. सारी जांच होने के बाद बच्चे की प्रोफाइल भेजी जाती है जिसे 48 घंटे के अंदर-अंदर आपको रिज़र्व करना होता है।

5. बच्चे की फोटो का मिलान करने के बाद एजेंसी द्वारा कोर्ट में बच्चे को गोद लेने की याचिका डाली जाती है।

6. आखिरी फैसला कोर्ट का होता है यानी कोर्ट के आदेश के बाद एजेंसी बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट और ऑर्डर की कापी दत्तक माता-पिता को सौंप देती है।

Indian Adoption Laws
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बच्चे को गोद लेने के प्रकार

ओपन एडॉप्शन: आपको बता दें ओपन एडॉप्शन यानि की बच्चे के बायोलॉजिकल पेरेंट्स और एडॉप्ट करने वाले पेरेंट्स दोनों के बीच आपसी सहमति होती है सरल शब्दों में कहे तो, बायोलॉजिकल पेरेंट्स बच्चे से मिल सकते हैं। इसमें बच्चे को 18 साल उम्र पार करने के बाद गोद लेने वाले कागज़ात देखने का अधिकार होता है।

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क्लोज़ एडॉप्शन: जैसा कि आपको इस एडॉप्शन के नाम से पता चल रहा होगा, कि इसमें बायोलॉजिकल पेरेंट्स को बच्चे को गोद देने के बाद उसपर कोई अधिकार नहीं होता। साथ ही, इस तरह के एडॉप्शन में दोनों पेरेंट्स के बीच संपर्क ना तो गोद लेने से पहले होगा, न ही गोद लेने के बाद।

सेमी ओपन एडॉप्शन: आपको बता दें सेमी ओपन एडॉप्शन में एडॉप्शन के समय तो बेयोलॉजिकल पेरेंट्स और एडॉप्ट करने वाले पेरेंट्स की सहमति होती है लेकिन बच्चे को एडॉप्ट करने के बाद वो उससे मिल नहीं सकते। हालांकि, बच्चे के बेयोलॉजिकल पेरेंट्स के पास बच्चे से जुड़ी तस्वीरें और जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है लेकिन वह वो जानकारी एजेंसी या गोद लेने वाले पेरेंट्स के माध्यम से ही ले सकते है। इस तरह के एडॉप्शन को ओपन या क्लोज़ एडॉप्शन में बदला जा सकता है।

इंटरा फैमिली अडॉप्शन: बता दें परिवार के अंदर होने वाले एडॉप्शन को इंटरा फैमिली या रिलेटिव एडॉप्शन कहा जाता है। इस एडॉप्शन में शर्त ये हैं कि यदि बायोलॉजिकल पेरेंट्स जीवित नहीं हैं, माता-पिता में से किसी ने दूसरी शादी कर ली है या फिर वे बच्चे की देखभाल करने में समर्थ नहीं हैं।

डोमेस्टिक एडॉप्शन: डोमेस्टिक एडॉप्शन को अगर हम घरेलू कहें तो कोई हर्ज़ नहीं क्योंकि इसमें बच्चे को गोद लेना एक देश के भीतर ही होता है यानी बायलॉजिकल पेरेंट्स और गोद लेने वाले पेरेंट्स एक ही देश में रहते हैं।

इंटरनेशनल एडॉप्शन: इंटरनेशनल एडॉप्शन में गोद लेने वाले पेरेंट्स और उसके बायोलॉजिकल पेरेंट्स अलग-अलग देशों से संबंध रखते हैं। लेकिन बता दें कि हमारे देश में सबसे पहले डेमोस्टिक एडॉप्शन को ही मान्यता दी गई है।

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